
महाराष्ट्र में हुए सियासी उलटफेर को लेकर एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि, आज जो हुआ उसको लेकर पहले से बात चल रही थी और इसे लेकर प्लानिंग थी. उन्होंने ये साफ करने की कोशिश की रविवार को लिया गया फैसला सिर्फ सत्ता के लिए नहीं है, बल्कि ये स्थिरता की बात थी और इससे कहीं अधिक ये फैसला महाराष्ट्र और राज्य के विकास के हित में लिया गया है. आजतक से खात बातचीत करते हुए एनसीपी वर्किंग प्रेसिडेंट ने अजित पवार के बगावती फैसले को लेकर अपनी राय पेश की और कहा कि शिवसेना और बीजेपी में कोई फर्क नहीं है.
एनडीए के साथ जाने की पहले से जारी थी चर्चा
बातचीत के दौरान प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि, इसमें कोई दोराए नहीं कि कुछ समय से एनसीपी में ये चर्चा जारी थी कि एनडीए में जाना चाहिए. इसलिए नहीं कि ये सत्ता की बात थी. शिवसेना और एनसीपी के साथ सरकार बनाना हमारा कोई नेचुरल अलायंस नहीं था. शिवसेना बीजेपी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. राजनीति में कम ज्यादा बातें नहीं होती. उस वक्त ऐसा हुआ. मेरे हिसाब से वो प्राकृतिक गठबंधन नहीं था.
शिवसेना-कांग्रेस के सामने कंप्रोमाइज एनसीपी को ही करना पड़ताः पटेल
शिवसेना टूटी, इसके बाद शिवसेना ही सबसे बड़ी पार्टी के तौर उस अलायंस में है. कांग्रेस अब भी मानने को तैयार नहीं कि वह सबसे बड़ी पार्टी नहीं है. हम विपक्ष में जरूर थे, लेकिन हमें ये समझ आ रहा था कि, साल भर बाद चुनाव में जाएंगे तो लोगों के सामने खुद को ठीक से प्रोजेक्ट नहीं कर पाएंगे. शिवसेना और कांग्रेस के सामने कंप्रोमाइज एनसीपी को ही करना पड़ेगा.
राजनीति में वक्त के हिसाब से होते हैं फैसलेः प्रफुल्ल पटेल
जब प्रफुल्ल पटेल से सवाल हुआ कि ऐसा कंप्रोमाइज तो आपको अभी भी करना पड़ेगा तो पटेल ने कहा कि, बीजेपी को ही देखिए वह 115 लोगों के समर्थन लेकर लार्जेस्ट पार्टी है. इससे इस सरकार में स्टेबिलिटी नजर आती है. भले ही सीएम एकनाथ शिंदे हैं, आज अजित पवार के माध्यम से हम जुड़े हैं तो ऐसे में एक स्थिरता दिखाई देती है.
देश के लेवल पर सोचिए पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पर कोई सवाल नहीं है और वह 9 साल से देश के नेतृत्व कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा, मैं शरद पवार पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा. साथ ही कहा कि 'शिवसेना और बीजेपी में कोई फर्क नहीं है. अगर आप आदर्श स्थिति की बात करें तो यह होना चाहिए, एनसीपी पूरे महाराष्ट्र में लड़े, जीते और सरकार बनाए.'
उन्होंने कहा कि, राजनीति में वक्त के हिसाब से फैसले होते हैं. पीएम मोदी की देश में देश से बाहर भी लोकप्रियता है. ये सभी बातें स्थिरता लाती हैं. प्रफुल्ल पटेल ने यह भी कहा कि, मैं आज के या कल के बयानों पर नहीं जाता हूं. राजनीति में टीका-टिप्पणी करना चलता रहता है. बीजेपी के साथ हम गए तो बीजेपी भी हमारे साथ आई, तभी तो तालमेल हुआ. मेरा तो इतना ही कहना है जो भी फैसला लिया, वह राज्य, विकास और स्थिरता को देखते हुए लिया है.
इसके बाद जब उनसे सवाल हुआ कि, क्या चुनाव जीतने के लिए फैसला लिया गया, क्योंकि कहा जा रहा था कि, बीजेपी-शिंदे गठबंधन 33 प्रतिशत से ज्यादा वोट नहीं पा सकेगा. उन्हें तीसरे पार्टनर की जरूरत पड़ेगी. इस पर पटेल ने कहा कि, कल क्या होने वाला है उसके लिए एक साल पहले बोलना ठीक नहीं. साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि, कही न कहीं ये बातचीत पहले से जारी थी. आज हम शिवसेना के साथ गए तो कहीं न कहीं संभावना है तभी तो गए.
शिवसेना में हुई टूट को उन्होंने आंतरिक कलह बताया, कहा कि ये उनका विषय था. हम आज इस सरकार में गए हैं तो उसमें बीजेपी को अहम रखते हुए गए हैं. इसके साथ ही शरद पवार से जुड़े एक और सवाल पर पटेल ने कहा कि, शरद पवार को लेकर मैं कोई उत्तर नहीं दूंगा. शरद पवार के साथ निशान की लड़ाई को लेकर कहा कि हम कोई लड़ाई नहीं कर रहे हैं. अजित पवार को बहुमत के साथ समर्थन मिला है. असली एनसीपी के सवाल पर कहा, असली-नकली का सवाल ही नहीं, एनसीपी हम हैं.