
अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव से पहले चुनावी रणनीतिकार और जन सुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर ने अपनी राजनीतिक पारी को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि वैचारिक तौर पर मेरी विचारधारा कांग्रेस के साथ है.
बिजनेस टुडे को दिए इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति से लेकर लोकसभा चुनाव 2024 और देश की राजनीति पर चर्चा की. कांग्रेस के साथ एक बार फिर काम करने के सवाल पर प्रशांत किशोर ने कहा कि कांग्रेस इस बार मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने जा रही है. उन लोगों ने अपने रास्ते चुन लिए हैं. लोकसभा चुनाव के बाद क्या होगा, ये हमें नहीं पता. लेकिन मैं वैचारिक रूप से किसी अन्य पार्टी की तुलना में कांग्रेस की विचारधारा के करीब हूं. मैं बस इतना ही कह सकता हूं.
यह पूछने पर कि क्या उन्होंने कांग्रेस में जाने को लेकर अपने पत्ते खोलकर रखे हुए है? इस पर किशोर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को फैसला लेना है. मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता.
INDIA गठबंधन से आगे है बीजेपी
प्रशांत किशोर ने कहा कि फिलहाल तो बीजेपी विपक्षी इंडिया गठबंधन से आगे है. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी को मिली जीत की वजह से लोकसभा चुनाव 2024 में उनका पलड़ा भारी है. लेकिन कोशोर ने हालिया विधानसभा चुनावों को सेमीफाइनल कहने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता तो बीजेपी 2019 में नहीं जीतती क्योंकि वह 2018 में पांच राज्यों में हुए चुनाव हार गई थी.
यह पूछने पर कि वह हिंदी पट्टी में कांग्रेस की हार को लेकर क्या सोचते हैं? इस पर किशोर ने कहा कि कांग्रेस एक यूनिट के तौर पर मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ने और जीतने की स्थिति में नहीं थी. राजस्थान में भी नतीजे स्पष्ट ही थे. छत्तीसगढ़ को लेकर कहा जा सकता है कि अक्सर कई बार मजबूत चेहरों को लेकर धारणा होती है कि इन्हें तो हराया ही नहीं जा सकता. हमने तेलंगाना में बीआरएस के साथ भी ऐसा ही होता देखा.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस छत्तीसगढ़ में बहुत मजबूत स्थिति में नहीं थी. पिछली बार यहां कांग्रेस फसल मामले को लेकर जीती थी. तो छत्तीसगढ़ को लेकर भी इतना आशावादी नहीं होना था.
छत्तीसगढ़ में जाति आधारित जनगणना से नुकसान हुआ
किशोर ने कहा कि कांग्रेस जाति आधारित आरक्षण को केंद्रीय मुद्दा बना रही है. लेकिन इससे पार्टी को नुकसान हुआ है. इसका ध्यान से अध्ययन करने की जरूरत है. क्योंकि कांग्रेस के कोर वोटर्स को शायद यह पसंद नहीं आया होगा.
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि जाति आधारित जनगणना की बातें करने वाली किसी क्षेत्रीय पार्टी की तुलना में इसे केंद्रीय मुद्दा बनाने में जुटी राष्ट्रीय पार्टी को हिंदी पट्टी में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.
बता दें कि राहुल गांधी ने विधानसभा चुनावों से पहले कहा था कि अगर वे छत्तीसगढ़ में चुनकर सत्ता में आते हैं तो वे जाति आधारित जगणना कराएंगे.