
प्रयागराज में संगम तट पर अयोजित महाकुंभ में पतंजलि ने निशुल्क योग और मेडिटेशन कैम्प का आयोजन किया. इस कैम्प में स्वामीशरणानंद महाराज, स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण भी उपस्थित रहे. इस आयोजन के दौरान योग गुरुओं ने प्रतिभागियों को संगम में पवित्र स्नान के आध्यात्मिक आशीर्वाद का अनुभव करते हुए योग और ध्यान के माध्यम से अपनी आंतरिक शक्ति को जागृत करने के लिए प्रोत्साहित किया.
महाकुंभ 2025 में आयोजित पतंजलि के निशुल्क योग और मेडिटेशन कैम्प में अनगिनत लोगों ने अपनी उपस्थित दर्ज कराई. स्वामी रामदेव ने भक्तों और आध्यात्मिक साधकों को सनातन धर्म के गहन सिद्धांतों को अपनाने के लिए महाकुंभ 2025 में आमंत्रित किया. पतंजलि के योग और ध्यान शिविर में स्वामी रामदेव ने समृद्ध भारत बनाने के लिए तीन आवश्यक स्तंभों के रूप में एकता, आचरण की शुद्धता और सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के महत्व पर प्रकाश डाला.
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स्वामी रामदेव ने कहा कि समानता, सद्भावना और स्वधर्म सनातन धर्म के मूल सिद्धांत हैं. सनातन धर्म में भेदभाव या अंधविश्वास के लिए कोई जगह नहीं है. इन मूल्यों के प्रति बढ़ते संगठित विरोध के बीच, पतंजलि ने सभी भारतीयों से सनातन धर्म को युग की मार्गदर्शक शक्ति बनाने के लिए दृढ़ और समर्पित रहने का आह्वान किया. पतंजलि ने प्रत्येक भारतीय से अपनी सांस्कृतिक जड़ों से फिर से जुड़ने और सनातन धर्म के सिद्धांतों को बढ़ावा देने का आग्रह किया.
रामदेव ने कहा कि ऐसा करके, नागरिक भारत की आध्यात्मिक और आर्थिक अखंडता को मजबूत कर सकते हैं और देश के पारंपरिक मूल्यों को नष्ट करने की धमकी देने वाली बाहरी ताकतों के खिलाफ मजबूती से खड़े हो सकते हैं. इसके साथ ही पतंजलि ने स्वदेशी आदर्शों के प्रति अपनी गहरी प्रतिबद्धता दोहराई. आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि पिछले तीन दशकों में पतंजलि ने एजुकेशन, हेल्क केयर और कैरेक्टर डेवलपमेंट में ₹1 लाख करोड़ से अधिक का निवेश किया है.
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पतंजलि ने 'प्रॉस्पेरिटी फॉर चैरिटी' के अपने मोटो पर जोर देते हुए आत्मनिर्भर राष्ट्र के निर्माण के लिए स्वदेशी उत्पादों को चुनने के महत्व पर जोर दिया. आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि स्वदेशी के उपयोग से देश की संपत्ति सीधे उसके लोगों को लाभ पहुंचाती है. महाकुंभ में स्वामी रामदेव दुनिया भर के आध्यात्मिक साधकों के लिए एक मार्गदर्शक बनकर उभरे. उनकी उपस्थिति और शिक्षाओं ने कुंभ मेले में योग, आध्यात्म और ध्यान सत्रों में भाग लेने के लिए एकत्र हुए हजारों लोगों को आकर्षित किया.