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UP: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अगस्त में कर सकते हैं रामलला के दर्शन, स्पेशल विमान से पहुंचेंगे अमौसी एयरपोर्ट

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) आने वाले अगस्त में रामलला (Ram Janmabhoomi Temple) के दर्शन कर सकते हैं. 27 से 29 अगस्त तक राष्ट्रपति का संभावित कार्यक्रम है.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद. (फाइल फोटो) राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद. (फाइल फोटो)
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 20 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 12:14 PM IST
  • स्पेशल विमान से पहुंचेंगे अमौसी एयरपोर्ट
  • गोरखपुर भी जाएंगे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind)  आने वाले अगस्त में रामलला (Ram Janmabhoomi Temple) के दर्शन कर सकते हैं. 27 से 29 अगस्त तक राष्ट्रपति का संभावित कार्यक्रम है. वह  27 अगस्त को स्पेशल विमान से अमौसी एयरपोर्ट पहुंचेंगे. 28 अगस्त को गोरखपुर में आयुष विश्विद्यालय का शिलान्यास करेंगे. वह गुरु गोरक्षनाथ विश्वविद्यालय में अस्पताल भवन का उद्घाटन करेंगे.

बताया जा रहा है कि अगस्त माह में लखनऊ से अयोध्या तक राष्ट्रपति कोविंद प्रेसिडेंशियल ट्रेन से सफर कर सकते हैं. 29 अगस्त को प्रेसिडेंशियल ट्रेन से रामनाथ कोविंद अयोध्या पहुंचेंगे. रेलवे ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं. हालांकि रेलवे की तरफ से अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है.

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गौरतलब है कि बीते 25 जून को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद प्रेसिडेंशियल ट्रेन से दिल्ली के सफदरजंग से कानपुर पहुंचे थे. वह अपने पैतृक गांव पहुंचे थे. अपने परिजनों और करीबियों से मिलने के बाद प्रेसिडेंशियल ट्रेन से ही वह कानपुर से लखनऊ आए थे. अपने गांव पहुंचने के बाद कोविंद ने ट्वीट किया था,''मैं कहीं भी रहूं, मेरे गांव की मिट्टी की खुशबू और मेरे गांव के निवासियों की यादें सदैव मेरे हृदय में विद्यमान रहती हैं. मेरे लिए परौंख केवल एक गांव नहीं है, ये मेरी मातृभूमि है, जहां से मुझे, आगे बढ़कर, देश-सेवा की सदैव प्रेरणा मिलती रही."

इसपर भी क्लिक करें- कानपुर: गांव पहुंचते ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चूम ली मिट्टी, बोले- यहीं से राष्ट्रपति भवन तक पहुंचा
 
उन्होंने आगे लिखा था कि, "मातृभूमि की इसी प्रेरणा ने मुझे हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट से राज्यसभा, राज्यसभा से राजभवन और राजभवन से राष्ट्रपति भवन तक पहुंचा दिया." उन्होंने कहा, "मैंने सपने में भी कभी कल्पना नहीं की थी कि गांव के मेरे जैसे एक सामान्य बालक को देश के सर्वोच्च पद के दायित्व-निर्वहन का सौभाग्य मिलेगा. लेकिन हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने ये कर के दिखा दिया.

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