
भारत ने वैक्सीनेशन में सौ करोड़ डोज के जादुई आंकड़े को पार कर लिया है. देश की इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक लेख लिखा है. पीएम मोदी ने अपने इस लेख में वैक्सीन के हैदराबाद या पुणे के संयंत्र में उत्पादन से लेकर वैक्सीनेशन सेंटर तक पहुंचने की प्रक्रिया की चर्चा की है. साथ ही सौ करोड़ डोज वैक्सीनेशन को बड़ी सफलता बताया है.
प्रधानमंत्री ने साल 2015 के स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में 'टीम इंडिया' का जिक्र किए जाने का भी जिक्र किया और कहा कि ये 130 करोड़ लोगों की एक बड़ी टीम है. जनभागीदारी लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है. उन्होंने आगे लिखा कि 130 करोड़ लोगों की भागीदारी से देश चलाएंगे तो हर पल 130 करोड़ कदम आगे बढ़ेंगे. टीकाकरण अभियान ने फिर 'टीम इंडिया' की ताकत दिखाई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लेख में वैक्सीनेशन अभियान को लेकर लिखा कि इसकी सफलता ने दुनिया को दिखाया है कि लोकतंत्र हर उपलब्धि हासिल कर सकता है. मुझे उम्मीद है कि दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान में मिली सफलता हमारे युवाओं, शोधकर्ताओं और सरकार के सभी स्तरों को सार्वजनिक सेवा वितरण के नए मानक स्थापित करने के लिए प्रेरित करेगी. ये दुनिया के लिए भी एक मॉडल होगा.
उन्होंने आगे लिखा कि नागरिक और सरकार साझा लक्ष्य के लिए साथ आएं, तो देश बहुत कुछ हासिल कर सकता है. वैक्सीनेशन अभियान की सफलता इसका उदाहरण है. देश ने टीकाकरण की शुरुआत के मात्र नौ महीने बाद ही 21 अक्टूबर 2021 को सौ करोड़ डोज का लक्ष्य हासिल कर लिया. पीएम ने कोरोना से मुकाबले में इस यात्रा को अद्भुत बताते हुए कहा है कि सौ साल बाद दुनिया महामारी का सामना कर रही थी और किसी को भी इस वायरस के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी.
पूरी हो गई चिंता से आश्वासन की यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लेख में लिखा है कि चिंता से आश्वासन तक की यात्रा पूरी हो चुकी है. हमारा देश और भी मजबूत होकर उभरा है. इसे वास्तव में एक भगीरथ प्रयास मानना चाहिए जिसमें समाज के कई वर्ग शामिल हुए. उन्होंने कहा कि प्रत्येक टीकाकरण में एक स्वास्थ्यकर्मी को केवल दो मिनट का समय लगता है. इस लिहाज से देखें तो ये उपलब्धि हासिल करने में करीब 41 लाख मानव दिवस या लगभग 11 हजार मानव वर्ष लगे. गति और पैमाने को प्राप्त करने तथा इसे बनाए रखने के किसी भी प्रयास के लिए सभी का विश्वास महत्वपूर्ण है.
पीएम ने कहा कि दैनिक जरूरतों के लिए भी विदेशी ब्रांड पर भरोसा करने वाले लोग भी जब कोविड वैक्सीन के लिए 'मेड इन इंडिया' वैक्सीन पर भरोसा किया. उन्होंने इसे महत्वपूर्ण मौलिक बदलाव बताया और कहा कि जब टीकाकरण कार्यक्रम शुरू हुआ तब भारतीयों की क्षमताओं पर संदेह करने वाले कई लोग थे लेकिन जनता कर्फ्यू और लॉकडाउन की तरह लोगों ने ये दिखा दिया कि अगर उन्हें भरोसेमंद साथी बनाया जाए तो परिणाम कितने शानदार हो सकते हैं. पीएम ने ये भी कहा कि हमारे युवाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, स्वास्थ्य कर्मियों, सामाजिक एवं धार्मिक नेताओं को भी इसका श्रेय जाता है कि टीका लेने के मामले में भारत को विकसित देशों की तुलना में कम हिचकिचाहट का सामना करना पड़ा है.
भारतीय उद्यमियों, वैज्ञानिकों को भी दिया श्रेय
पीएम ने आगे लिखा कि आज तक कुछ चुनिंदा देशों ने ही अपने टीके विकसित किए हैं. 180 से भी अधिक देश टीके के लिए सीमित उत्पादकों पर निर्भर हैं. भारत ने जहां 100 करोड़ खुराक का अविश्वसनीय आंकड़ा पार कर लिया है, वहीं दूसरी ओर दर्जनों देश अब भी अपने यहां टीकों की आपूर्ति की बड़ी बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे हैं. इसका श्रेय भारतीय वैज्ञानिकों और उद्यमियों को दिया जाना चाहिए जिन्होंने इस चुनौती का सफलतापूर्वक सामना किया और उनकी प्रतिभा, कड़ी मेहनत की बदौलत भारत टीकों के मामले में ‘आत्मनिर्भर’ बन गया.