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देश को मिलेगा अटल टनल: 60 मीटर पर अग्निशमन यंत्र, 250 मीटर पर CCTV, PM मोदी करेंगे उद्घाटन

अटल टनल का आकार घोड़े के नाल जैसा है. इस सुरंग का दक्षिणी किनारा मनाली से 25 किलोमीटर की दूरी पर समुद्र तल से 3060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि उत्तरी किनारा लाहौल घाटी में तेलिंग और सिस्सू गांव के नजदीक समुद्र तल से 3071 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.

3 अक्टूबर को अटल टनल का उद्घाटन करेंगे पीएम मोदी (फोटो-पीटीआई) 3 अक्टूबर को अटल टनल का उद्घाटन करेंगे पीएम मोदी (फोटो-पीटीआई)
aajtak.in
  • मनाली,
  • 01 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 4:57 PM IST
  • 9.02 किलोमीटर लंबा सुरंग बनकर तैयार
  • 3 अक्टूबर को पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन
  • लाहौल स्फीति को सालों भर मिलेगी कनेक्टिविटी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 अक्टूबर को दुनिया के सबसे बड़े सुरंग का उद्घाटन करेंगे. रोहतांग में स्थित 9.02 किलोमीटर लंबा ये सुंरग मनाली को लाहौल स्फीति से जोड़ता है. इस सुरंग की वजह से मनाली और लाहौल स्फीति घाटी सालों भर एक दूसरे से जुड़े रह सकेंगे. इससे पहले बर्फबारी की वजह से लाहौल स्फीति घाटी साल के 6 महीनों तक देश के बाकी हिस्सों से कट जाता था. 

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पीएमओ से मिली जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री सुबह 10 बजे 3 अक्टूबर को इसका उद्धाटन करेंगे. 

बता दें कि इस सुरंग का निर्माण अत्याधुनिक तकनीक की मदद से पीर पंजाल की पहाड़ियों में किया गया है. ये सुरंग समुद्र तट से 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. 

इस सुरंग के बन जाने की वजह से मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाती है और दोनों स्थानों के बीच सफर में लगने वाले समय में 4 से 5 घंटे की कमी हो जाएगी. 

इस सुरंग का आकार घोड़े के नाल जैसा है. इस सुरंग का दक्षिणी किनारा मनाली से 25 किलोमीटर की दूरी पर समुद्र तल से 3060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि उत्तरी किनारा लाहौल घाटी में तेलिंग और सिस्सू गांव के नजदीक समुद्र तल से 3071 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. 

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10.5 मीटर चौड़ी इस सुरंग पर 3.6 x 2.25 मीटर आकार का फायरप्रूफ आपातकालीन निकास द्वार बना हुआ है. इस सुरंग से रोजाना 3000 कारें, और 1500 ट्रक 80 किलोमीटर की स्पीड से रोजाना निकल सकेंगे. 

सुरंग में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं. हर 150 मीटर की दूरी पर टेलीफोन की व्यवस्था की गई है ताकि आपात स्थिति में संपर्क स्थापित किया जा सके. 

हर 60 मीटर की दूरी पर अग्निशमन यंत्र रखे गए हैं. 250 की दूरी पर सीसीटीवी की व्यवस्था है. वायु की गुणवत्ता जांचने के लिए हर 1 किलोमीटर पर मशीन लगे हुए हैं. 

बता दें कि रोहतांग दर्रे के नीचे इस सुरंग को बनाने का फैसला 3 जून 2000 को लिया गया था. इस सुरंग की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी. 

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