
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के मशहूर पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमेन के साथ बातचीत की. इस दौरान उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अपने मजबूत रिश्तों पर भी चर्चा की. एक दोस्त और नेता के रूप में ट्रंप के बारे में क्या पसंद है? इस सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने एक पुरानी घटना का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि हमारा ह्यूस्टन में एक कार्यक्रम था 'हाउडी मोदी'. मैं और राष्ट्रपति ट्रंप वहां मौजूद थे, पूरा स्टेडियम लोगों से खचाखच भरा हुआ था. इतने लोगों का एक जगह पर एकत्र होना अमेरिका में बहुत बड़ी घटना थी. मैंने वहां अपना भाषण दिया, तो ट्रंप नीचे बैठकर मुझे सुन रहे थे. ये उनका बडप्पन है कि अमेरिका के राष्ट्रपति स्टेडियम में नीचे बैठकर सुन रहे हैं और मैं मंच पर भाषण दे रहा हूं.
पीएम मोदी ने कहा कि भाषण देने के बाद मैं मंच से नीचे गया, और मैंने ट्रंप से कहा कि 'आइए, हम जरा स्टेडियम का एक पूरा चक्कर लगाकर आते हैं, इतने लोग हैं तो सभी से नमस्ते करके आते हैं, तो एक का भी विलंब किए बिना अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप मेरे साथ भीड़ में चल पड़े'. इस दौरान अमेरिका का जो सुरक्षा तंत्र था वो एकदम से बैचेन हो गया. लेकिन ये मेरे दिल को छू गया कि इस व्यक्ति में बहुत हिम्मत है. ये निर्णय खुद लेते हैं और उन्हें मोदी पर भरोसा है कि मोदी लेकर जा रहा है तो साथ चलते हैं.
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मैं 'भारत फर्स्ट' वाला हूं और ट्रंप 'अमेरिका फर्स्ट' वालेः पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान जब ट्रंप पर गोली चली, तो मुझे एक ही ट्रंप नजर आए. स्टेडियम में मेरा हाथ पकड़कर चलने वाले ट्रंप और गोली लगने के बाद भी अमेरिका के लिए जीने वाले ट्रंप. पीएम मोदी ने कहा कि मैं 'भारत फर्स्ट' वाला हूं और ट्रंप 'अमेरिका फर्स्ट' वाले हैं. तो हमारी जोड़ी बराबर जम जाती है. ट्रंप की ये बातें अपील करने वाली हैं.
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पीएम मोदी ने सुनाया ट्रंप से पहली मुलाकात का किस्सा
पीएम मोदी ने पॉडकास्ट में एक और किस्सा सुनाया. उन्होंने कहा कि मैं जब पहली बार व्हाइट हाउस गया, तो पहले ही मिनट में उन्होंने प्रोटोकॉल की सभी दीवारें तोड़ दीं. और फिर मुझे पूरे व्हाइट हाउस में घुमाने ले गए, उनके हाथ में कोई कागज नहीं था, साथ में कोई व्यक्ति नहीं था. मुझे दिखा रहे थे कि अब्राहम लिंकन यहां रहते थे, ये कोर्ट इतना लंबा क्यों हैं, इस टेबल पर किस-किस राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर किए थे. वह डेटवाइज बोल रहे थे. ये मेरे लिए काफी प्रभावशाली थ कि वे इंस्टीट्यूशन को कितना सम्मान करते हैं. अमेरिका के इतिहास के साथ उनका कैसा लगाव है. ये मेरी पहली मुलाकात का पहला अनुभव था.