Advertisement

पुणे पोर्श कांड पर पुलिस ने सेना के फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स की मदद से तैयार कराई क्रैश इम्पैक्ट एनालिसिस रिपोर्ट, जानिए क्या हुए खुलासे

क्राइम ब्रांच से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि हमें भारतीय सेना के फॉरेंसिक एक्सपर्ट से क्रैश इंपैक्ट एनालिसिस रिपोर्ट मिली हैं. इस एनालिसिस से दोनों वाहनों के एक दूसरे पर इंपैक्ट, कार की पॉजिशन और मृतकों की चोटों को कोरिलेट किया गया है.

पुणे पोर्श कांड पुणे पोर्श कांड
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 जून 2024,
  • अपडेटेड 10:54 AM IST

महाराष्ट्र के पुणे पोर्श कांड को लेकर देशभर में लोगों में गुस्सा बना हुआ है. अब इस केस में पहली बार पुलिस ने सेना की मदद ली है. पुलिस ने सेना के फॉरेंसिक एक्सपर्ट के सहयोग से क्रैश इंपैक्ट एनालिसिस रिपोर्ट तैयार की है.

इस रिपोर्ट का उद्देश्य इस घटना में शामिल बाइक से पोर्श कार की टक्कर के प्रभाव को कोरिलेट करना है. इस दुर्घटना में बाइक सवार दो लोगों की मौत हो गई थी जबकि कार 17 साल का नाबालिग चला रहा था. 

Advertisement

जांचकर्ताओं के मुताबिक, कार की टक्कर के बाद बाइक के पीछे बैठी अश्विनी कोष्ठा कार की विंडशील्ड पर जा गिरी थी. क्राइम ब्रांच से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि हमें भारतीय सेना के फॉरेंसिक एक्सपर्ट से क्रैश इंपैक्ट एनालिसिस रिपोर्ट मिली हैं. इस एनालिसिस से दोनों वाहनों के एक दूसरे पर इंपैक्ट, कार की पॉजिशन और मृतकों की चोटों को कोरिलेट किया गया है. ये रिपोर्ट ये सबित करने में काफी अहम है कि इस दुर्घटना में पोर्श कार शामिल थी. 

बता दें कि इससे पहले पुलिस ने कहा था कि वे AI टूल और सॉफ्टवेयर की मदद से एक्सीडेंट साइट का डिजिटल रिकंस्ट्रक्शन करने की योजना बना रही है. 

क्या है मामला?

पुणे के कल्याणी नगर इलाके में 19 मई को रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 साल के बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से एक बाइक सवार को टक्कर मार दी थी. इस घटना में बाइक सवार दो लोगों की मौत हो गई थी.  

Advertisement

घटना के 14 घंटे बाद नाबालिग आरोपी को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी. कोर्ट ने उसे 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने और सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव-समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का निर्देश दिया था. हालांकि, पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी शराब के नशे में था और बेहद तेज गति से कार को चला रहा था. नाबालिग इस समय सुधार गृह में है.

पुलिसकर्मियों की लापरवाही

हादसे के बाद सबसे पहले यरवदा पुलिस स्टेशन के दो अफसर घटनास्थल पर पहुंचे थे. लेकिन उन्होंने ना अफसरों को सूचना दी और ना कंट्रोल रूम को बताना जरूरी समझा. जोन-1 के डीसीपी गिल भी नाइट राउंड पर थे. उन्हें भी जानकारी नहीं दी गई थी. बाद में पुलिस ने दोनों अफसरों पर एक्शन लिया और उन्हें सस्पेंड कर दिया. दोनों अफसरों के नाम पुलिस निरीक्षक राहुल जगदाले और एपीआई विश्वनाथ टोडकरी हैं. आरोप है कि संबंधित अफसरों ने अपराध की देरी से रिपोर्ट की और कर्तव्य में लापरवाही बरती. आरोपी नाबालिग को मेडिकल परीक्षण के लिए भी लेकर नहीं गए थे.

जांच प्रभावित करने की कोशिश!

घटना के बाद वडगांव शेरी के विधायक सुनील टिंगरे भी सुबह-सुबह यरवदा पुलिस स्टेशन पहुंचे थे. उनके थाने जाने से विवाद खड़ा हो गया था. आरोप है कि उन्होंने नाबालिग के पक्ष में जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी. क्योंकि उन्हें रियल एस्टेट कारोबारी विशाल अग्रवाल का करीबी माना जाता है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement