
बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने शुक्रवार को हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (HDIL) के प्रमोटरों सारंग वधावन और उनके पिता राकेश वधावन को जमानत दे दी है. दोनों पर पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (PMC) बैंक धोखाधड़ी का आरोप है. जस्टिस मोदक की बेंच ने प्रवर्तन निदेशालय के साथ-साथ मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज मामले में HDIL के प्रमोटरों को जमानत दे दी है. साथ ही कोर्ट ने दोनों मामलों में 5-5 लाख रुपये की जमानत राशि जमा करने पर उन्हें रिहा करने का आदेश दिया.
बेंच द्वारा पारित आदेश अभी उपलब्ध नहीं कराया गया है, लेकिन ऑपरेटिव मामले में अदालत ने कहा कि दोनों को अपने पासपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया गया है और जब तक जरूरी न हो तब तक निचली अदालत की बिना अनुमति के महाराष्ट्र राज्य से बाहर नहीं जा सकते हैं.
HDIL के प्रमोटर राकेश और सारंग वधावन 4 साल से ज्यादा वक्त के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) के साथ-साथ मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज मामले में मुंबई की आर्थर रोड जेल बंद हैं.
आधी सजा काट चुके हैं आरोपी
राकेश वधावन की तरफ से पेश वकील हर्षद निंबालकर, हृषिकेश चितले, आशीष वर्मा और सागर शेट्टी ने नियमित जमानत की मांग करते हुए कहा कि दोषी पाए जाने पर धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत अधिकतम सजा सात साल की जेल है, जबकि आरोपियों को जेल भेजे हुए लगभग साढ़े चार साल हो गए हैं. इसके साथ ही वो विचाराधीन कैदी के रूप में जेल की सजा के आधे से ज्यादा सजा काट चुके हैं.
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अदालत द्वारा HDIL के प्रमोटरों को जमानत दिए जाने के आदेश के बाद अधिवक्ता अबाद पोंडा ने कोर्ट अनुरोध किया कि सीमित अवधि के लिए नकदी जमानत की अनुमति दी जाए, क्योंकि जमानत की व्यवस्था करने में समय लगेगा. हालांकि, ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील हितेन वेनेगांवकर ने इस दलील का विरोध किया.
वहीं, दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस मोदक ने कहा कि नकद जमानत के लिए अनुमति नहीं दी जा सकती. जमानत और वह भी भारी जमानत पर जोर देने के पीछे एक उद्देश्य है, क्योंकि प्रजेंस सुरक्षित रूप से होनी चाहिए. इसलिए इसे खारिज किया जाता है.
बता दें कि साल 2019 में EOW ने छह राज्यों में 137 शाखाओं वाले बहु-राज्यीय सहकारी बैंक में कथित धोखाधड़ी के संबंध में एक मामला दर्ज किया था और आरोप लगाया था कि पीएमसी बैंक ने 7,457.49 करोड़ रुपये अग्रिम राशि वाले 44 पॉब्लेमैटिक लोक अकाउंट्स का ऑडिट किया था.