
पंजाब से पिछले 75 वर्षों के दौरान बड़े पैमाने पर लोगों का पलायन हुआ है. भारत के इस राज्य से पलायन 1947-48 में शुरू हुआ जो 1960 के दशक में और बढ़ गया. अगर 21वीं सदी की बात करें तो 2016 से मार्च 2021 के बीच 4.78 लाख से ज्यादा पंजाबी बेहतर मौकों की तलाश में विदेशों की ओर निकले. अगर पढ़ाई-लिखाई के अवसर की बात करें तो पंजाब वो राज्य है जहां से तीसरा सबसे ज्यादा छात्र-छात्राएं विदेश करियर बनाने जाते हैं. 2016 से 2021 के बीच 2.62 लाख बच्चे पढ़ने-लिखने के लिए विदेश गए.
अगर चंडीगढ़ की बात करें तो 1.26 लाख छात्र-छात्राएं 2016 से 2021 के बीच पढ़ाई के लिए विदेश गए. पंजाब से हर साल विदेश जाने वाले लगभग 1 लाख छात्र बमुश्किल ही लौटते हैं. पंजाब की डेमोग्राफी में हो रहे बदलाव का एक असर यह है कि यहां काम करने के लिए लोग नहीं मिलते. राज्य का 70 फीसदी वर्कफोर्स दूसरे सूबों से पंजाब आता है.
हालांकि 75 सालों में बड़े विदेशों में पलायन के बाद पंजाब में अब रिवर्स माइग्रेशन का दौर देखने को मिल रहा है. यानी कि पंजाब से निकले लोग विदेशों में कई साल गुजारने के बाद अब एक बार फिर अपने पिंड-गांव की और लौट रहे हैं. इसे साबित करने के लिए कई उदाहरण हैं.
42 सालों के बाद बर्मिंघम से लौटे अवतार सिंह आजाद
अवतार सिंह आजाद इंग्लैंड के बर्मिंघम में 42 साल गुजारने के बाद पंजाब के बहुआ में लौटे हैं. उन्होंने यहां एनआरआई के लिए एक खास हाउसिंग सोसायटी बनाई है. इसके अलावा वे एक होटल और रेस्तरां भी चलाते हैं, जिसका नाम एनआरआई रसोई है.
अवतार सिंह आजाद अपनी बात बताते हुए कहते हैं, "मैंने पैसे कमाने के उद्देश्य से कॉलेज के बाद देश छोड़ दिया. मैं यूनाइटेड किंगडम में 42 साल बिताने के बाद अपने राज्य वापस आ गया ताकि मैं रोजगार के अवसर प्रदान करके और निवेश करके देश की सेवा कर सकूं." अवतार कहते हैं कि जब मैं देश छोड़ने को मजबूर हुआ था तो भारत एक गरीब मुल्क था.
अवतार सिंह आजाद भी 52 परिवारों को भी बहुआ वापस लाने में सफल रहे. इनमें से करीब एक दर्जन परिवार अब उन्हीं की तरह कारोबार चला रहे हैं और स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया करा रहे हैं.
30 साल बाद लौटे तरसेम सिंह
70 साल के तरसेम सिंह मूल रूप से कपुरथला के रहने वाले हैं उन्होंने अवतार सिंह आजाद की एनआरआई हाउसिंग कॉम्पलेक्स में एक घर खरीदा है. इससे पहले उन्होंने बर्मिंघम में 30 साल गुजारे हैं. तरसेम सिंह अब कपुरथला गांव में डेयरी बिजनेस शुरू करना चाह रहे हैं.
तरसेम सिंह ने कहा, "मैं पंजाब सरकार का कर्मचारी था और नौकरी से इस्तीफा देने के बाद 1987 में इंग्लैंड चला गया था. मेरा परिवार अभी भी बर्मिंघम में रहता है. सांस्कृतिक संबंधों को जीवित रखने के लिए परिवार के सदस्य नियमित रूप से पंजाब जाते हैं. देश में विकास, बढ़ती अर्थव्यवस्था और बढ़िया इंफ्रास्ट्रक्चर एनआरआई को आकर्षित कर रहा है."
'गांव की इमेज सुधारनी है'
जालंधर गांव के सरपंच हरजिंदर सिंह राजा अपनी वापसी की कहानी बताते हुए कहते हैं कि उन्होंने इंग्लैंड में 10 साल बिताए. अब गांव में नशे के बढ़ते मामले, अराजकता और अपराध दर में इजाफा के कारण वह अपने गांव लौट आए हैं. उन्होंने कहा कि वह अपने गांव की तस्वीर बदलना चाहते हैं.
इंग्लैंड से वापसी के बाद हरजिंदर सिंह राजा की कई उपलब्धिया हैं. इनमें एक खेल स्टेडियम बनवाना, जिम की स्थापना के अलावा गांव की सड़कों का निर्माण और बुनियादी ढांचे में सुधार, श्मशान घाट का निर्माण अहम है.
2018 में सरपंच बनने वाले हरजिंदर सिंह राजा ने कहा, "ड्रग्स के आदी 82 से अधिक लोगों को नशा मुक्ति केंद्रों में भेजा गया, अपराधियों को मैंने व्यक्तिगत रूप से पुलिस को सौंपा है. हमारे कबड्डी खिलाड़ियों में से तीन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल खेला है. हमने विदेशों में जो कुछ सीखा है उसे अपने लोगों को वापस देना चाहते हैं."
इस बीच, पंजाब में ग्रामीण बुनियादी ढांचे और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एनआरआई को स्थानीय लोगों का समर्थन मिल रहा है. पंजाब के गांवों में लगभग 80 प्रतिशत विकास कार्य अनिवासी भारतीय करवा रहे हैं. आज पंजाब के कई गांवों में शहरों जैसी सुविधा है. कई गांवों में अच्छे प्राइवेट स्कूल, कॉलेज, जिम और खेलकूद की सुविधाएं हैं.
आखिर पंजाब में क्यों हो रहा है रिवर्स माइग्रेशन?
पश्चिमी दुनिया में बेतहाशा बढ़ती महंगाई, भारत की तेज रफ्तार इकोनॉमी और देश और अपने रीति-रिवाजों के लिए लगाव ये ऐसे फैक्टर हैं जिन्हें पंजाब में रिवर्स माइग्रेशन में अहम माना जा रहा है.
इंडिया टुडे की ओर से की गई केस स्टडी से पता चलता है कि कई समृद्ध एनआरआई अब कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन की बजाय पंजाब में निवेश करना पसंद कर रहे हैं क्योंकि विकसित देशों में निवेश पर कमाई भारत से कम हो गई है. भारत में जहां सामान्य ब्याज दर 7 फीसदी है वही कनाडा में ये रेट 4.5, ब्रिटेन में 4.5 और अमेरिका में 5.25 फीसदी है.
बर्मिंघम से लौटने वाले तरसेम सिंह कहते हैं, "यूके के बैंकों में जमा की गई नकदी से शायद ही कोई आमदनी होती है. अगर बैंक में मेरे पास दो लाख पाउंड हैं तो मुझे केवल 4000 से 5000 पाउंड ही मिलेंगे. वहीं अगर मैं यहां (पंजाब) व्यापार में दो करोड़ भारतीय रुपये का निवेश करता हूं तो मुझे अच्छी आय होगी."
निवेश के अलावा सस्ती स्वास्थ्य सुविधाएं भी भारत में एनआरआई को लुभाने में अहम रोल निभा रही हैं.
यूके, यूएस और कनाडा सहित पश्चिमी देशों में खराब आर्थिक विकास, जहां ज्यादातर पंजाबी जाकर बसते हैं, भविष्य में पलायन को प्रभावित कर सकता है.
इस बीच, आर्थिक सुस्ती ने एनआरआई पंजाबियों को चिंतित कर दिया है. ग्लोबल जीडीपी में गिरावट की आशंका नौकरियों और सुविधाओं को प्रभावित कर सकती है. इसके दुष्प्रभाव पहले से ही दिखाई दे रहे हैं. कनाडा और ब्रिटेन के अप्रवासियों को मेडिकल ट्रीटमेंट प्राप्त करने के लिए वर्षों तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है.
करप्शन समस्या, सिंगल विंडो सिस्टम की मांग
इस बीच विदेशों से पंजाब लौटने वाले पंजाबियों ने पंजाब में अपनी समस्याएं भी बताई है. इनका कहना है कि निवेश को सुगम बनाने के लिए सरकार सिंगल विंडो सिस्टम की व्यवस्था करे. अवतार सिंह आजाद और तरसेम सिंह ने पंजाब में व्यापक भ्रष्टाचार की शिकायत की, इसकी वजह से एनआरआई पंजाब में निवेश करने से कतरा रहे हैं.
अवतार सिंह आजाद ने कहा, "एनआरआई पंजाबी बड़े पैमाने पर निवेश कर सकते हैं लेकिन वे भरोसा नहीं करते. हम लोग सिस्टम से तो परेशान होते ही हैं, रिश्वत देने के लिए मजबूर हैं. एनआरआई ईमानदारी पसंद करते हैं. हम अपने बच्चों को वापस लाने में भी हिचकिचा रहे हैं. केवल एक चीज की जरूरत वो है सिंगल विंडो सिस्टम की है जो गायब है."
पंजाब सरकार ने दिया मदद का भरोसा
हालांकि, नई पंजाब सरकार ने राज्य में निवेश लाने वाले अनिवासी भारतीयों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है और रिवर्स माइग्रेशन को प्रोत्साहित करने के लिए कदमों की भी घोषणा की है. पंजाब के सीएम भगवंत मान ने भी लोगों को भरोसा दिलाया है कि उनकी सरकार पर्याप्त अवसर पैदा करेगी ताकि ब्रेन ड्रेन को रोका जा सके.