
साल था 2016, तारीख 4-5 जून... भारत के प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी का यह पहला कार्यकाल था. भरे-पूरे गर्मियों के दिन थे और इसी दौरान पीएम मोदी कतर की दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचे थे. कतर के अमीर महामहिम शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने उन्हें सस्नेह आमंत्रित किया था. बता दें कि कतर में 8 लाख भारतीय रहते हैं और यह उस देश का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है. कतर भी भारत को स्पेशल ट्रीटमेंट देता है.
कतर के अमीर अल थानी का आमंत्रण को स्वीकार कर पीएम मोदी ने यहां की दो दिवसीय यात्रा की थी. यात्रा का हासिल कई तरह के व्यापारिक, आर्थिक लाभ और सांस्कृतिक साझेदारी के तौर पर सामने आता रहा, लेकिन सबसे बड़ी उपलब्धि बना योग दिवस.
दोनों नेताओं ने इस बात पर बल दिया कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को लेकर शानदार प्रतिक्रिया से यह झलकता है कि विश्व समुदाय संतुलित, स्वस्थ्य तथा विश्व के लिए टिकाऊ भविष्य के लिए एक साथ आना चाहता है. प्रधानमंत्री मोदी ने 21 जून 2015 को आयोजित प्रथम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को समर्थन देने के लिए कतर को धन्यवाद दिया.
कतर ने जारी किया था डाक टिकट
इस अवसर पर कतर पोस्ट द्वारा डाक टिकट जारी किया गया था. यह वह समय था, जब भारत में योग दिवस को मनाए जाने को लेकर कुछ मुस्लिम समुदाय के लोग विरोध जता रहे थे. ऐसे में कतर का इसे समर्थन देना बड़ी बात थी और इसे सांस्कृतिक संबंधों की साझेदारी, और भारत के इस खाड़ी देश से मधुर संबंध के तौर पर देखा गया.
हालांकि कई ऐसे मौके आए हैं कि जब इस मधुरता के बीच-बीच में कड़वाहट-कसैलापन आता रहा है. जैसे आप बड़े स्वाद से मूंगफली खा रहे हों और अचानक दांतों के बीच एक खराब दाना आए जाए.
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8 पूर्व नेवी अफसरों को सजा, क्या बिगड़ जाएंगे कतर से रिश्ते?
दो दिन पहले मूंगफली के इसी खराब दाने वाला काम कतर से आई एक खबर ने किया. खबर में दर्ज था कि भारत के पूर्व 8 नेवी अफसरों को कतर में मौत का फरमान सुनाया गया है. दबी जुबान में जासूसी जैसे आरोपों की बात सामने आ रही है, लेकिन दोनों ही देश आधिकारिक तौर पर इस पर चुप्पी साधे बैठे हैं. कतर ये नहीं बता रहा है कि आखिर उसने इन 8 पूर्व नेवी अफसरों को बीते साल क्यों गिरफ्तार किया था और अब उन्हें किस जुर्म की सजा में मौत दी जाएगी. सामने आ रहा है कि ये सभी अफसर किसी सबमरीन प्रोजेक्ट में जुड़े थे और इसका सीक्रेट इजरायल से शेयर कर रहे थे. कतर में जासूसी के अपराध पर मौत की सजा दी जाती है.
ये पहली बार नहीं है, जब भारत और कतर के संबंधों के बीच तल्खी ने अपनी जगह बनाई है. ऐसे कई मामले और कई शख्सियत हैं, जिनकी वजह से ये स्थिति उत्पन्न हुई है. इनमें पूर्व बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा, इस्लामिक स्कॉलर जाकिर नाइक, मशहूर पेंटर रहे मकबूल फिदा हुसैन तक के नाम शामिल हैं.
क्या है जाकिर नाइक प्रकरण, जिसे तल्ख हुए थे कतर से भारत के रिश्ते
साल था 2022. फीफा वर्ल्डकप का फीवर दुनिया भर में सिर चढ़ कर बोल रहा है. खेल का यह बड़ा आयोजन तब कतर में ही हो रहा था. लेकिन यहां जाकिर नाइक की एंट्री पर बवाल हो गया. जाकिर नाइक के आने पर भारत ने कतर के सामने नाराजगी जाहिर की थी. भारत की आपत्ति के बाद कतर ने साफ किया है कि जाकिर नाइक को वर्ल्ड कप की ओपनिंग सेरेमनी के लिए आधिकारिक रूप से इनवाइट नहीं किया गया था.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया था कि जाकिर नाइक के शामिल होने का मुद्दा कतर के सामने उठाया गया था. कतर ने बताया है कि जाकिर नाइक को इनवाइट नहीं किया गया था. बागची ने कहा कि जाकिर नाइक को भारत लाने की पूरी कोशिश की जा रही है.
जाकिर नाइक भारत में वॉन्टेड है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) और नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने उसे वॉन्टेड घोषित कर रखा है. उस पर भड़काऊ भाषण देने, मनी लॉन्ड्रिंग करने और आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप है. 2017 में जाकिर नाइक मलेशिया भाग गया था. उसके पास मलेशिया की नागरिकता भी है. जाकिर नाइक इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF) के नाम से एक एनजीओ भी चलाता था. केंद्र सरकार ने उसके एनजीओ पर 2016 में बैन लगा दिया था.
इस साल मार्च में इस प्रतिबंध को पांच साल के लिए और बढ़ा दिया है. केंद्र सरकार ने इस फाउंडेशन पर UAPA के तहत बैन लगाया है. आरोप है कि फाउंडेशन के जरिए जाकिर नाइक फंडिंग लेता था और इसका इस्तेमाल कट्टरपंथ को बढ़ावा देने में किया जाता था.
नूपुर शर्मा प्रकरण, जिसने कतर से रिश्ते में खटास पैदा की
एक टीवी न्यूज चैनल पर बहस के दौरान बीजेपी प्रवक्ता नुपुर शर्मा ने कथित तौर पर पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी कर दी थी, जिसको लेकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भड़क गए थे. इस टिप्पणी के बाद नूपुर शर्मा ने कहा था कि वायरल वीडियो एडिटेड है, जिसे एक फैक्ट चेकर ने शेयर किया है.
इस वीडियो के शेयर होने के बाद से उन्हें इस्लामिक कट्टरपंथियों से धमकियां मिल रही थीं. पैगंबर मोहम्मद पर नूपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी को लेकर कतर ने भारतीय राजदूत को तलब कर लिया था. इसके साथ ही नूपुर शर्मा के खिलाफ हुई निलंबन की कार्रवाई का स्वागत किया था. भारतीय राजदूत ने कहा कि कतर में इस संबंध में एक बैठक हुई है, इसमें विवादित बयानों पर चिंता जताई गई है.इस मीटिंग में भारत ने कहा कि विवादित टिप्पणी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा चुकी है.
चित्रकार एमएफ हुसैन को नागरिकता का प्रकरण
हिंदू देवियों और पौराणिक चरित्रों पर बनाई गई अपनी पेंटिंग को लेकर विवाद में रहने वाले मशहूर चित्रकार एमएफ हुसैन भी भारत-कतर के बीच कड़वाहट की वजह रहे हैं. असल में साल 2006 में अपनी विवादित रचनाओं पर घिरने के बाद वह खुद भारत से निर्वासित हो गए थे और लंदन में रहने लगे थे. कुछ समय उन्होंने दुबई में बिताया. साल 2010 में मक़बूल फिदा हुसैन को कतर के शाही परिवार ने अपने देश की नागरिकता देकर सम्मानित किया था.
ऐसा शायद ही किसी भारतीय के साथ हुआ हो कि उसे कतर की नागरिकता का प्रस्ताव मिला है. हालांकि ये कतर का खुद से किया गया फैसला था, हुसैन ने अपनी ओर से न तो आवेदन किया था और न ही ऐसी मंशा व्यक्त की थी. इस नागरिकता के बाद कतर-भारत में सीधे तौर पर तो नहीं, लेकिन एक हल्की कड़वाहट तो आ गई थी.
भारत और कतर के बीच व्यापारिक संबंध
भारत अपने कुल LNG आयात का 40 फीसदी कतर से मंगाता है. जबकि कतर के कुल LNG निर्यात में भारत की खरीदारी 15 फीसदी है. कतर का गैस भारत के लिए स्वच्छ और सुरक्षित ऊर्जा की गारंटी है. खरीदार के रूप में कतर के लिए भारत बेहद अहम है. कतर भारत को स्पेशल ट्रीटमेंट देता है. 2016 में कतर ने भारत के लिए LNG की कीमतों में 50 फीसदी से ज्यादा की कटौती कर दी थी. इससे पहले 2015 में भारत को कतर से 12 डॉलर प्रति मीट्रिक मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट के दर से लिक्विफाइड नेचुरल गैस खरीदनी पड़ती थी. भारत को इस डील से अरबों डॉलर का फायदा हुआ था.
भारत की सरकारी कंपनी पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड कतर की रासगैस से LNG मंगाती है. कतर के साथ अच्छे बिजनेस डील की वजह से भारत ने 2003 से लेकर अगले 11 साल तक गैस डील पर 15 अरब डॉलर बचाए थे. इसके साथ ही कतर ने भारत को 12000 करोड़ रुपये की छूट दी थी. ये रकम भारत को बतौर जुर्माना कतर को चुकानी थी. भारत ने साल 2015 में तय समझौते से कम एलएनजी खरीदी थी. इसी के एवज में भारत को ये जुर्माना देना था. लेकिन 2015-0216 में पीएम मोदी और कतर के अमीर के बीच हुए समझौते की वजह से कतर भारत को ये छूट देने पर राजी हो गया.