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कतर में मुश्किल में फंसे 8 भारतीयों को लेकर गुरुवार को राहत भरी खबर आई. कतर ने इन सभी 8 भारतीयों की फांसी की सजा को कम कर दिया, जिसके बाद इनके सुरक्षित वापस भारत लौटने की उम्मीद बढ़ गई है. नूपुर शर्मा जैसे मामलों पर विरोध और फिर पूर्व नौसैनिकों को फांसी की सजा, इन दोनों मामलों के बाद कतर-भारत के संबंध में तल्खी का खतरा बढ़ गया था, लेकिन अब जिस तरीके से पूर्व नौसैनिकों की फांसी की सजा कम हो गई है, उसे भारत की कूटनीतिक उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है. इस कूटनीतिक उपलब्धि की Inside Story पर डालते हैं नजर.
जब पहली बार कतर दौरे पर गए थे पीएम मोदी
पहले थोड़ा पीछे चलते हैं. तारीख, 4 जून 2016, कतर में प्रधानमंत्री मोदी का पहला दौरा था. जहां उन्होंने प्रवासी भारतीयों के बीच कतर के अमीर के बारे में जो कुछ कहा वह आज सभी को जानना चाहिए. पीएम मोदी ने तब कहा था कि, 'यहां के शासन कर्ता भी भारतीय समुदाय को बहुत प्यार करते हैं. उन पर बड़ा भरोसा है. मुझे विश्वास है हम जब भी कोई चीज उनके सामने रखते हैं, तो वे उसका समाधान खोजते ही हैं. अबतक जो भी मैंने कहा है उसका मुझे सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुआ है.
अभी हाल ही में हुई थी कतर के अमीर से पीएम मोदी की मुलाकात
साल 2016 में प्रधानमंत्री मोदी ने कतर के अमीर के बारे में कहा कि वो समाधान खोजते हैं. तो क्या 8 भारतीयों की फांसी के मामले में भी कतर के अमीर ने यही किया ? कतर ने 8 भारतीयों की फांसी की सजा को कम कर दिया. 2 दिसंबर 2023 को दुबई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी की मुलाकात हुई. जिस तरह से दोनों नेताओं ने हाथ पकड़े हुए मुस्कुराहट के साथ मुलाकात की, उससे लगा कि क्या कतर की जेल में बंद 8 भारतीयों के परिवारों को जल्द ही इस तरह हंसने का मौका मिलने वाला है तो क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के शेख की केमिस्ट्री ने 8 भारतीयों को फांसी की सजा से राहत देने में बड़ा रोल निभाया ?
COP28 शिखर सम्मेलन में हुई थी मुलाकात, क्या यहीं रची गई भूमिका?
क्या प्रधानमंत्री मोदी ने कतर के शासक के सामने 8 भारतीयों से जुड़ी समस्या रखी और उसके बाद ही कतर के सुर नरम हुए ? क्योंकि कतर और भारत दोनों ने ही इस मुलाकात में जेल में बंद 8 भारतीयों को लेकर कुछ नहीं कहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कतर के शासक शेख तमीम बिन हमद अल थानी से दुबई में सीओपी28 शिखर सम्मेलन में मुलाकात के बाद जो ट्वीट किया, उसमें लिखा, "दुबई में COP28 शिखर सम्मेलन के मौके पर कतर के अमीर महामहिम शेख तमीम बिन हमदद अल थानी से मिलने का अवसर मिला. द्विपक्षीय साझेदारी की संभावना और कतर में भारतीय समुदाय की भलाई पर हमारी अच्छी बातचीत हुई."
कतर के शेख और पीएम मोदी की मुलाकात में हमेशा दिखी गर्मजोशी
एक खास बात ये है कि, कतर के शेख प्रधानमंत्री मोदी से हमेशा दिल खोलकर मिलते हुए दिखते रहे हैं? वो चाहे 8 साल पहले की पहली मुलाकात हो, 25 मार्च 2015 को भारत आए कतर के अमीर हर तस्वीर में हंसते मुस्कुराते दिखे थे, और पीएम मोदी के साथ गर्मजोशी से मिले थे. यही नहीं जब प्रधानमंत्री मोदी इसके अगले साल कतर गए तब भी दोनों नेताओं के बीच करीबी देखने को मिली थी.
संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान भी दोनों नेताओं की गर्मजोशी में कमी नजर नहीं आई. ऐसे में फिर क्या हो गया जिस वजह से कतर ने भारत के आठ पूर्व नौसैनिकों को 30 अगस्त 2022 की रात को उठा लिया और उन्हें दोहा की एक जेल में बाक़ी क़ैदियों से अलग रख दिया गया. इन भारतीयों में तीन रिटायर्ड कैप्टन, चार कमांडर और एक नाविक शामिल हैं.
क्या 2 दिसंबर को इस मामले पर कोई बातचीत हुई?
सवाल ये है कि क्या 2 दिसंबर को दुबई में पीएम मोदी और कतर के अमीर के बीच कोई बातचीत हुई ? इस सवाल का जवाब तो किसी के पास नहीं है, लेकिन क्या इस मुलाकात के बाद कुछ तस्वीर बदली, उस पर नजर डालते हैं.
2 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी और कतर के अमीर दुबई में मिले इसके अगले ही दिन 3 दिसंबर को कतर ने जेल में बंद 8 भारतीयों से भारतीय राजदूत को मिलने दिया गया. इसके 26 दिन बाद सभी 8 भारतीयों की फांसी की सजा को कम कर दिया गया. सवाल ये है कि क्या पर्दे के पीछे से कतर को साधने की कोशिश की जा रही थी और क्या इसीलिए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 30 अक्टूबर को भरोसा दिलाया कि ये मामला सरकार की प्राथमिकताओं में शुमार है.
भारत के लिए क्या थी चुनौती?
भारत के लिए कतर से अपनी बात मनवाना इसलिए भी बड़ी चुनौती रही, क्योंकि सऊदी अरब-UAE जैसे भारत के करीबी दोस्तों के रिश्ते कतर से उतने अच्छे नहीं हैं. दोनों देश 2017 से 2021 के बीच कतर से अपने रिश्ते पूरी तरह तोड़ चुके हैं इस मामले में अमेरिका से मदद भी मुश्किल लगती है, क्योंकि 8 भारतीयों पर जो आरोप हैं वो कतर की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हैं. इसलिए मोदी और कतर के अमीर के बीच केमिस्ट्री ही सबसे भरोसेमंद विकल्प है.
तो कहीं न कहीं कतर के शासक के मन में भारतीयों की अच्छी छवि है. लेकिन फिर भी वो नुपुर शर्मा जैसे मामलों में विरोध करने वाला पहले मध्य पूर्व का देश रहा है, और 8 भारतीयों को पकड़कर तो उसने भारत को चौंका दिया था. इसीलिए कतर की तरफ से ताजा नरमी भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा सकती है. पूर्व नौसैनिकों को राहत मिलने को एक बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है.
क्या भारतीयों की वापसी संभव है?
कतर में बंद सभी भारतीय भले ही मौत के चंगुल से छूट गए हों. लेकिन क्या इनकी वापसी संभव है ? इस सवाल का जवाब सकारात्मक है. 2 दिसंबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने भारत और कतर के बीच सजायाफ्ता व्यक्तियों के स्थानांतरण संधि को मंजूरी दी थी. जिसके बाद मार्च 2015 में दोनों देशों के बीच संधि पर हस्ताक्षर हुए थे. इस संधि के बाद से कतर में सजा पाए भारतीय कैदी अपनी बची सजा भारत में पूरी कर सकते हैं और अगर कतर का कोई नागरिक भारत में सजा भुगत रहा है तो वो अपने देश में उस सजा की अवधी को पूरा कर सकता है. कतर ने भले ही आधी रात 8 भारतीयों को पकड़ कर जेल में डाला. लेकिन इसके बाद जिस तरह से दोनों के बीच कूटनीतिक बातचीत चलती रही उससे 8 भारतीयों के कतर से लौटने की उम्मीद मजबूत होती है.