Advertisement

'जन्म से मौत तक TAX की मार...', राघव चड्ढा ने संसद में उठाया GST का मुद्दा, सरकार से पूछे कई सवाल

AAP सांसद राघव चड्ढा ने अपील करते हुए कहा, "सरकार को जीएसटी कम करना चाहिए. अगर जीएसटी कम करेंगे, तो जनता की जेब में पैसा आएगा. पैसा आएगा, तो मांग बढ़ेगी, खपत बढ़ेगी और इकॉनमी का चक्का चलेगा."

AAP सांसद राघव चड्ढा (Sansad TV/PTI) AAP सांसद राघव चड्ढा (Sansad TV/PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 2:25 PM IST

आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद राघव चड्ढा ने संसद के उच्च सदन राज्यसभा में गुरुवार को फाइनेंस बिल 2025 और The Appropriation (No 3) Bill, 2025 पर चर्चा के दौरान टैक्स का मुद्दा उठाया. उन्होंने जन्म से लेकर मत्यु तक की आठ स्टेज का जिक्र करते हुए कहा कि किस तरह से जन्म से लेकर जीवन के अंतिम समय तक आम आदमी टैक्स के जंजाल में फंसा रहता है.

Advertisement

राघव चड्ढा ने सरकार से अपील करते आम जनता पर से टैक्स का बोझ कम करने की अपील की, जिससे आम आदमी के हाथ में पैसा आए और अर्थव्यवस्था आगे बढ़े.
 
'टैक्स के बदले क्या मिलता है?'

सांसद राघव चड्ढा ने सवाल उठाया कि इस टैक्स के बदले देशवासियों को क्या मिल रहा है? उन्होंने पूछा कि क्या सरकार हमें फ्री या क्वॉलिटी वाली स्वास्थ्य सेवाएं देती है? क्या हमारे पास बेहतर सड़कें, किफायती शिक्षा या सुरक्षित पब्लिक ट्रांसपोर्ट है?

उन्होंने तंज कसते हुए कहा, "हम भारत में विकसित देशों की तरह टैक्स भरते हैं, लेकिन सुविधाएं अविकसित देशों की तरह हैं. सरकार हर कदम पर टैक्स वसूलती है, लेकिन बदले में जनता को मूलभूत सुविधाएं भी ठीक से नहीं मिलतीं.

'जन्म से मौत तक टैक्स की मार...'

राघव चड्ढा ने कहा, "जिस पल एक बच्चा जन्म लेता है, उसी पल से सरकार टैक्स वसूलने के लिए तैयार खड़ी होती है और जब तक एक परिवार उसकी मृत्यु पर शोक मना रहा होता है, तब भी सरकार टैक्स वसूलने में पीछे नहीं हटती."

Advertisement

उन्होंने कहा कि हमारी मेहनत की कमाई का एक बड़ा हिस्सा टैक्स चुकाने में चला जाता है. सवाल यह है कि जनता को टैक्स के बदले क्या मिल रहा है? राघव चड्ढा ने देश की मौजूदा टैक्स व्यवस्था को “Life Cycle Taxation Model” करार दिया और जीवन के आठ चरणों में लगने वाले टैक्स का विवरण सदन के सामने रखा.

उन्होंने आगे कहा कि जब बच्चा स्कूल जाने लगता है, तब भी टैक्स पीछा नहीं छोड़ता. यूनिफॉर्म, जूते, स्कूल बैग, लंच बॉक्स इन सब पर जीएसटी. स्टेशनरी आइटम्स पर 18 फीसदी जीएसटी लगाया जाता है.

यह भी पढ़ें: AAP MP राघव चड्ढा को आया हार्वर्ड से बुलावा, अमेरिका में पढ़ेंगे पब्लिक पॉलिसी, बोले- सीखने की कोई उम्र नहीं

उच्च शिक्षा में GST का मुद्दा

राघव चड्ढा ने कहा, "चौथे चरण में यानी उच्च शिक्षा के दौरान भी टैक्स की मार जारी रहती है. प्राइवेट कॉलेज की ट्यूशन फी पर जीएसटी, हॉस्टल या पीजी का रेंट भर रहे हैं, तो उस पर जीएसटी, स्टूडेंट लोन की प्रोसेसिंग फी पर जीएसटी, किताबों से लेकर लैपटॉप तक, हर चीज पर जीएसटी लगता है.

उन्होंने जोर देकर कहा कि जब तक आप ग्रेजुएट होते हैं, तब तक आपको एहसास हो जाता है कि सरकार आपकी मेहनत की कमाई को अपने पास रखने नहीं देती. अगर आप विदेश में पढ़ाई करते हैं, तो फॉरेन रेमिटेंस पर टीसीएस (टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स) देना पड़ता है.

Advertisement

'मौत के बाद भी टैक्स की मार...'

राघव चड्ढा ने जोर देकर कहा, "मौत के बाद भी टैक्स पीछा नहीं छोड़ता. अखबार में शोक-संदेश छपवाने पर जीएसटी, अंतिम संस्कार में देसी घी, चंदन, नारियल, इत्तर पर जीएसटी. जमीन या प्रॉपर्टी पर टैक्स." 

उन्होंने कहा कि प्रॉपर्टी को परिवार में ट्रांसफर करने पर लीगल फी और जीएसटी. अगर परिवार वाले इसे आगे बेचते हैं, तो कैपिटल गेन्स टैक्स, स्टैंप ड्यूटी, और रजिस्ट्रेशन फी चुकानी पड़ती है. इसके अलावा जमीन या प्रॉपर्टी की म्युटेशन पर कई राज्यों में स्टॉम्प ड्यूटी भी चुकानी पड़ती है.

यह भी पढ़ें: राघव चड्ढा की मांग, एयरपोर्ट पर सस्ता हुआ खाना, देखकर बोलीं परिणीत‍ि-गर्व है तुम पर

'टैक्स के बदले क्या?'

सांसद राघव चड्ढा ने टैक्स के अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर का भी संसद में जिक्र किया. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, "इतना टैक्स देने के बाद सरकार हमें देती क्या है? टैक्स सरकार के लिए जरूरी हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या ये टैक्स हमारी इकॉनमी को बढ़ा रहे हैं या खा रहे हैं? हमारी जिंदगी बेहतर हो रही है या बदतर? टैक्स की वजह से आमदनी घट रही है, खपत गिर रही है, डिमांड नहीं बढ़ रही, प्रोडक्शन गिर रहा है। इकॉनमी का चक्का धीमा हो गया है."

Advertisement

उन्होंने कहा कि इस देश में 80 करोड़ जनता 5 किलो फ्री राशन के सहारे जी रही है. लेकिन उनसे भी जीएसटी लिया जाता है. गरीब से गरीब आदमी भी जीएसटी देता है. टैक्स की वजह से एफएमसीजी की सेल्स घट रही है, स्टॉक्स गिर रहे हैं, खपत घटरही है, नई गाड़ियों की सेल सिकुड़ रही है.

राघव चड्ढा ने सरकार से अपील की, "सरकार को जीएसटी कम करना चाहिए. अगर जीएसटी कम करेंगे, तो जनता की जेब में पैसा आएगा. पैसा आएगा, तो मांग बढ़ेगी, खपत बढ़ेगी और इकॉनमी का चक्का चलेगा."

राघव चड्ढा ने अपनी स्पीच में टैक्सेशन सिस्टम में सुधार की जरूरत पर बल दिया और सरकार से मध्यम वर्ग को राहत देने की मांग की.
 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement