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राहुल के बयान से फिर चर्चा में Pegasus, जानिए शुरू से आखिर तक इस पर बवाल की पूरी कहानी

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पेगासस को लेकर बड़ा दावा किया है. राहुल गांधी ने दावा किया है कि उनके फोन में पेगासस सॉफ्टवेयर था और अफसरों ने सलाह दी थी को फोन पर संभलकर बात करें क्योंकि उसकी रिकॉर्डिंग की जा रही है. पेगासस का पूरा मामला क्या है? ये जासूसी सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है? जानिए...

पेगासस को इजरायली कंपनी एनएसओ ने बनाया था. (प्रतीकात्मक तस्वीर) पेगासस को इजरायली कंपनी एनएसओ ने बनाया था. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 1:22 PM IST

इजरायली कंपनी NSO का जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस (Pegasus) एक बार फिर चर्चा में है. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने दावा किया कि उनके फोन में पेगासस था और अधिकारियों ने उन्हें सलाह दी थी कि फोन पर संभलकर बात करें, क्योंकि उसकी रिकॉर्डिंग की जा रही है.

राहुल गांधी ने दावा किया, भारत में लोकतंत्र खतरे में है. मेरे फोन में पेगासस था. कई सारे नेताओं के फोन में भी पेगासस था. इंटेलिजेंस ऑफिसर ने मुझसे कहा था कि फोन पर संभलकर बात करें, क्योंकि उसकी रिकॉर्डिंग की जा रही है. 

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दुनियाभर में पेगासस दो साल पहले विवादों में आया था. उस समय एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि पेगासस के जरिए दुनियाभर के पत्रकारों और राजनेताओं की जासूसी की गई थी. इसमें 300 भारतीयों की जासूसी होने का दावा भी था. 

पेगासस के जरिए जासूसी की रिपोर्ट सामने आने के बाद जमकर बवाल हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था. ऐेसे में जानना जरूरी है कि ये पेगासस क्या है? पेगासस काम कैसे करता है? भारत को लेकर क्या किया गया था दावा?

क्या है पेगासस?

- पेगासस एक जासूस सॉफ्टवेयर है, इसलिए इसे स्पाईवेयर भी कहा जाता है. इसे इजरायली कंपनी एनएसओ ने तैयार किया है. 

- पेगासस को दुनिया का सबसे ताकतवर सॉफ्टवेयर माना जाता है, क्योंकि ये एंड्रॉइड के साथ-साथ आईफोन की खामियों का फायदा उठाकर भी जासूसी को अंजाम दे सकता है.

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- ये सॉफ्टवेयर एप्पल और एंड्राइड के सभी सॉफ्टवेयर को हैक कर सकता है और इसीलिए इसे बेहद ताकतवर माना जाता है. ये सॉफ्टवेयर फोन के अंदर मौजूद किसी भी एप्लीकेशन की बारीक से बारीक कमियों का फायदा उठाकर जासूसी कर सकता है.

- पेगासस दरअसल एक रिमोट कंट्रोल जासूसी डिवाइस की तरह है जिसका इस्तेमाल करके किसी भी मोबाइल फोन को दूर से बैठकर नियंत्रित किया जा सकता है और उसके जरिए जासूसी की जा सकती है क्योंकि ये फोन के अंदर मौजूद हर चीज को पढ़ सकता है.

पेगासस पर क्या हुआ था दावा?

- दो साल पहले अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट छापी. ये रिपोर्ट खोजी पत्रकारों के एक समूहों की जांच के आधार पर तैयार की गई थी.

- इस रिपोर्ट में दावा किया गया कि पेगासस के जरिए दुनियाभर के 50 हजार से ज्यादा लोगों की जासूसी की गई. इन 50 हजार में से 300 नंबर भारतीयों के हैं.

- जिन लोगों की जासूसी का दावा किया गया था, उनमें राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव समेत कई पत्रकारों और एक्टिविस्ट के नाम शामिल थे. 

- न्यूयॉर्क टाइम्स ने दावा किया था कि भारत ने 2017 में इजरायल से दो अरब डॉलर के रक्षा समझौते के तहत पेगासस को खरीदा था. 

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- इस पूरे बवाल पर एनएसओ का कहना था कि पेगासस किसे बेचा जाएगा, ये सब सरकार की देखरेख में होता है और एक बार सॉफ्टवेयर बिक जाने के बाद उसमें एनएसओ की कोई भूमिका नहीं होती.

सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?

- पेगासस से जासूसी का मामला सामने आने के बाद जमकर बवाल हुआ था. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए जांच कमेटी बनाई.

- उस समय सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए निगरानी जरूरी है, लेकिन लोकतंत्र में अंधाधुंध जासूस की अनुमति नहीं दी जा सकती.

- सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनी तीन सदस्यों की कमेटी ने पिछले साल अगस्त में अपनी रिपोर्ट सौंपी. ये रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दी गई थी.

- कमेटी ने रिपोर्ट में बताया था कि 29 लोगों ने अपने फोन जांच के लिए दिए थे, जिनमें से पांच में मालवेयर मिला था. हालांकि, ये साफ नहीं है कि ये पेगासस ही था या कुछ और.

 

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