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लोकसभा से आउट हुए राहुल, कांग्रेस के लिए झटका या मौक़ा?: दिन भर, 24 मार्च

राहुल गांधी की संसद की सदस्यता रद्द होने पर कांग्रेस क्या एक्शन लेने वाली है, राहुल का वायनाड से जाना बीजेपी के लिए फायदा या नुकसान, अमृतपाल सिंह को लेकर कौन सी नई जानकारी आई है, टीबी के केस में भारत की स्थिति क्या है और डीएमडी बीमारी में जंतर मंतर पर आज रैली क्यों निकाली गई, सुनिए 'दिन भर' में नितिन ठाकुर से.

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नितिन ठाकुर
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  • 24 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 8:55 PM IST

कहते हैं समय का पहिया घूमता है और इतिहास अपनेआप को दोहराता है. 1975 में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के एलक्शन को कोर्ट ने इनवैलिड क़रार दिया था और उन्हें अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी थी. क़रीब 48 बरस बाद मानहानि के एक केस में 2 साल की सज़ा होते ही उनके पोते राहुल गांधी की लोकसभा मेंबरशिप चली गई है. आज लोकसभा सचिवालय ने नोटिफिकेशन जारी कर राहुल की संसद सदस्यता रद्द करने की जानकारी दी. इस ख़बर के सामने आते ही कांग्रेस समेत विपक्ष की लगभग सभी पार्टियों और बड़े नेताओं ने मोदी सरकार पर हमला बोला. 

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प्रियंका गांधी ने ट्विटर पर लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी नेताओं पर संसद में पंडित नेहरू और उनके परिवार पर लगातार कीचड़ उछाला, लेकिन उनपर कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई. वहीं राहुल गांधी ने एक ट्वीट में लिखा - मैं भारत की आवाज़ के लिए लड़ रहा हूं. मैं हर कीमत चुकाने को तैयार हूं. इस मसले पर कांग्रेस के कार्यकर्ता जगह जगह सड़कों पर उतरे और उनके समर्थन में नारेबाज़ी की. दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी के तमाम बड़े नेताओं की बैठक हुई. 

उबरेंगे या और फंसेंगे राहुल?

एक तरफ कांग्रेस इस मसले पर पॉलिटिकली और लीगली, दोनों तरीकों से लड़ने की बात कह रही है. वहीं बीजेपी इस मसले को ओबीसी समुदाय के अपमान से जोड़कर पूरे देश में अभियान चलाने की बात कह रही है. दो केंद्रीय मंत्रियों धर्मेंद्र प्रधान और अनुराग ठाकुर ने जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राहुल गांधी पर निशाना साधा. तो फ़िलहाल स्थिति ये है कि राहुल गांधी की सदस्यता चली गई है और उनकी सजा पर अपर कोर्ट से स्टे नहीं लगता है तो अगले 8 साल तक वो चुनाव नहीं लड़ सकते. लेकिन ये जो घटना है उसका राहुल के राजनैतिक भविष्य पर क्या असर पड़ेगा, क्या ये उनके लिए एक झटका है या झटके के साथ आया मौक़ा और जो ऑपोजिशन यूनिटी की कवायद चल रही थी, उसको अपनेआप एक धार मिल गई है, सुनिए 'दिन भर' की पहली ख़बर में.

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अमृतपाल नई चाल चलने वाला है?

पंजाब में अमृतपाल सिंह ने सरकार की नाक में दम कर रखा है. हफ्तों से पंजाब पुलिस उसकी तलाश में है,  रोज़ उसकी कोई न कोई तस्वीर सामने आती है लेकिन वो पकड़ में नहीं आता. कहा जा रहा है कि वो हरियाणा से होता हुआ अब उत्तराखंड भाग गया है जिसके बाद देहरादून, हरिद्वार और उधमसिंह नगर जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है. कल ही पुलिस ने अमृतपाल से जुड़े 207 लोगों को गिरफ्तार किया था. इसके अलावा बलजीत कौर जिसपर अमृतपाल सिंह और उसके साथियों को घर में छिपाने का आरोप हैं, उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया है. 

कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि अमृतपाल नेपाल भागने की तैयारी में हैं. जिसके बाद उत्तराखंड से लगे नेपाल के बॉर्डर पर सिक्योरिटी टाइट कर दी गई है. भारतीय खुफिया एजेंसी का ये कहना है कि ISI अमृतपाल को मोहरा बना कर इस्तेमाल कर रहा है ताकि राज्य में सेपरेटिस्ट्स सेंटीमेंट को भड़काया जा सके. अब सवाल ये है कि पंजाब पुलिस अपनी तहकीकात में कहां तक पहुंच पाई है? अमृतपाल हरियाणा से होता हुआ उत्तराखंड कैसे पहुंच गया, इस पर पुलिस ने क्या कहा है, सुनिए 'दिन भर' की दूसरी ख़बर में. 

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 2025 तक TB मुक्त होगा भारत?

आज 24 मार्च है. वर्ल्ड ट्यूबरक्लोसिस डे. सरकार ये दावा करती आई है कि उसने टीबी पर काफी हद तक फतह हासिल कर ली है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि 2025 तक भारत टीबी मुक्त हो जाएगा.  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया आज बनारस में थे. उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि भारत में हर साल 24 लाख लोगों को टीबी होती है जिसमें से 94 हज़ार लोग बीमारी की वज़ह से दम तोड़ देते हैं. 

सरकार टीबी मरीज़ों के लिए कई योजनाएं चला रही हैं, उन्हें आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाती है.  इसके अवाला एक और ख़बर है जो टीबी से जुड़ी हुई है, मल्टीनेशनल अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन एक दवा बनाती है.... बेडाक्विलाइन,मगर इस साल जुलाई में कंपनी का इस दवा पर पेटेंट खत्म हो जाएगा. अब कंपनी भारत में अपने पेटेंट अधिकार की अवधि बढ़ाना चाहती है लेकिन भारत सरकार ने इसे ख़ारिज कर दिया है. सरकार का कहना है कि भारतीय कंपनियां भी अब इस दवाई को बना सकेंगी, वो भी सस्ते में…तो इस दवा की कितनी अहमियत है और पेटेंट ख़त्म होने से क्या फायदे होंगे? साथ ही 2025 तक देश को टीबी-मुक्त करने का लक्ष्य क्या हासिल होता दिख रहा है, सुनिए 'दिन भर' की तीसरी ख़बर में.

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बीमारी जो लड़कों के लिए काल बनी

एक बीमारी है...डीएमडी यानी डचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी. इसमें मांसपेशियों की सेल्स में डाइस्ट्रोफिन प्रोटीन का उत्पादन कम जाता है या उसका उत्पादन पूरी तरह से बंद भी हो सकता है. जिस कारण मांसपेशियां धीरे-धीरे खत्म होने लगती हैं फिर 30 उम्र तक आते आते शरीर में जान बाकी नहीं रहती जिस कारण उस व्यक्ति की मौत भी हो सकती है. 

भारत में इस बीमारी के ऊपर काम न के बराबर हुआ है. डीएमडी की दवा भी करोड़ो में आती हैं तो मध्यमवर्गीय परिवार के लिए उसे हासिल कर पाना नामुमकिन है. तो ले दे कर एक ही उपाय बचता है- सरकार को इसके ऊपर पॉलिसी लेवल पर काम करना पड़ेगा. इसी कड़ी में आज दिल्ली के जंतर मंतर पर डीमडी से पीड़ित बच्चों के माता-पिता ने रैली निकाली और सरकार के सामने अपनी मांगें रखीं. तो ये डचेन मस्कुलर डिस्ट्राफी बीमारी क्या है और पॉलिसी लेवल पर सरकार को कौन कौन से कदम उठाए जाने की ज़रूरत है, सुनिए 'दिन भर' की आख़िरी ख़बर में. 

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