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कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद की सदस्यता को लोकसभा सचिवालय ने रद्द कर दिया है. सूरत सेशन कोर्ट ने मोदी सरनेम केस में विवादित बयान देने के मामले में उन्हें दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई थी. लोकसभा सचिवालय का यह नोटिफिकेशन 23 मार्च से ही प्रभावी होगा, क्योंकि अदालत का फैसला उसी दिन आया था. राहुल गांधी अभी केरल के वायनाड लोकसभा सीट से सांसद हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि संसद की सदस्यता रद्द होने के बाद क्या वायनाड में दोबारा चुनाव होंगे?
लोकसभा स्पीकर की अधिसूचना के बाद निर्वाचन आयोग में वायनाड उपचुनाव की संभावना पर मंथन शुरू हो गया है. आयोग सूत्रों के मुताबिक वायनाड लोकसभा क्षेत्र में उपचुनाव का कार्यक्रम अप्रैल में घोषित हो सकता है.
सूरत कोर्ट से आपराधिक मानहानि के मामले में दो साल कैद की सजा सुनाए जाने के साथ ही राहुल गांधी सांसदी से अयोग्य हो गए हैं. उनको राहत की अपील दाखिल करने के लिए एक महीने की मोहलत देते हुए सजा मुल्तवी कर दी गई है. राहुल को सत्र न्यायालय में अपील दाखिल करनी है. वहां से राहत ना मिलने पर वो हाईकोर्ट में भी अपील दाखिल कर सकते हैं. अगर वहां भी राहत नहीं मिली तो वो सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर सकते हैं.
क्या कहते हैं जानकार?
लोकसभा सचिवालय के फैसले के बाद अब राहुल गांधी के सामने कुछ विकल्प हैं. जानकारों का कहना है कि सबसे पहले राहुल गांधी निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाने के लिए हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं. हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में लोकसभा सचिवालय के फैसले पर स्टे लगा सकता है. हालांकि यह अभी साफ नहीं है कि फैसले पर स्टे लगाने के बाद उनकी सदस्यता बहाल होगी या नहीं. अगला लोकसभा चुनाव साल 2024 में होना है. ऐसे में आगामी संसदीय चुनाव में एक साल से अधिक का वक्त बाकी है. यदि राहुल की सदस्यता बहाल नहीं होती है तो वायनाड सीट पर फिर से चुनाव हो सकता है.
ऐसे में मौजूदा हालात में कुछ ऐसी सियासी तस्वीर बन रही है. यदि राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाली नहीं होती है तो वायनाड में फिर से लोकसभा चुनाव होगा. 2019 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी दो लोकसभा सीट- अमेठी और वायनाड से चुनाव लड़े थे. अमेठी में राहुल गांधी को स्मृति ईरानी से शिकस्त झेलनी पड़ी थी, वहीं वायनाड में राहुल गांधी जीतने में कामयाब रहे थे.
उपचुनाव कब होता है?
किसी भी विधानसभा या लोकसभा सीट पर उपचुनाव तभी कराया जाता है जब उस सीट पर किसी प्रत्याशी का प्रतिनिधित्व नहीं रहता है. अधिकतर मामलों में विधायकों या सांसदों के निधन के बाद चुनाव आयोग उस सीट पर उपचुनाव कराता है. हालांकि यदि विधायक/सांसद की विधायकी/सांसदी चली जाती है तो भी उस सीट पर चुनाव होता है. जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के सेक्शन-151 (A) मुताबिक, कोई भी सीट (लोकसभा या विधानसभा) खाली होने पर छह महींने के भीतर चुनाव कराना जरूरी है. यह तारीख उस दिन से लागू होती है, जिस तिथि से वह सीट खाली हुई है.
ऐसे में लोकसभा सचिवालय के फैसले के बाद यदि राहुल गांधी को अदालत से राहत नहीं मिलती है तो राहुल गांधी की वायनाड सीट पर फिर से चुनाव की तस्वीर बन रही है. वहां छह महीने के भीतर फिर चुनाव होंगे.
वायनाड में राहुल को मिली थी दमदार जीत
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में केरल के वायनाड सीट पर राहुल गांधी ने चार लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी. उन्होंने सीपीआई कैंडिडेट पीपी सुनीर को 4.31 लाख वोटों के अंतर से हराया था. राहुल गांधी को 7,05,034 वोट मिले थे. वहीं सीपीआई प्रत्याशी को महज 2,73,971 वोट मिले थे. एनडीए उम्मीदवार तुषार वेल्लापेली तीसरे पायदान पर रहे थे और उन्हें 78 हजार वोट मिले थे.
सांसदी को लेकर क्या कहता है कानून?
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में अयोग्यता के संबंध में प्रावधान है. आरपी अधिनियम की धारा 8 (3) में कहा गया है कि किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति को कम से कम दो साल के कारावास की सजा सुनाई जाने पर सजा की तारीख से अयोग्य घोषित किया जाएगा.
- इसके अलावा, व्यक्ति अपनी सजा काटने के बाद छह साल की अवधि के लिए चुनाव नहीं लड़ सकेगा.
- अधिनियम के तहत राहुल गांधी को सांसद के तौर अयोग्य ठहराया गया है लोकसभा सचिवालय नेअयोग्यता का नोटिस जारी कर दिया है जिससे साफ हो गया है कि राहुल गांधी की सीट वायनाड अब रिक्त हो गई है.
- उनकी रिहाई के बाद 6 साल तक अयोग्यता जारी रहेगी, इसका मतलब है कि उन्हें कुल 8 साल के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है.
वहीं कांग्रेस ने कहा है कि उन्हें इस बात का अहसास पहले से ही था. इसके लिए हमें लोकप्रतिनिधित्व कानून के बारे में जानना होगा, जिसके अनुसार, जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा हुई है तो ऐसे में उनकी सदस्यता उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाएगी.
8 साल तक राहुल नहीं लड़ पाएंगे चुनाव
अब जब लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता को खत्म करने की अधिसूचना जारी कर दी है तो साफ है कि वो अब 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. राहुल गांधी को दो साल की सजा हुई है, जिसके बाद छह साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. इस तरह से राहुल गांधी अब कुल आठ साल तक कोई भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
किस मामले में राहुल को मिली सजा?
राहुल गांधी ने कर्नाटक में 13 अप्रैल 2019 को चुनावी रैली में कहा था कि नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? इसके बाद बीजेपी विधायक ने मानहानि का केस करते हुए आरोप लगाया था कि राहुल ने 2019 में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूरे मोदी समुदाय को कथित रूप से यह कहकर बदनाम किया कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? उनके इस बयान से हमारी और समाज की भावनाओं को ठेस पहुंची. पूर्णेश भूपेंद्र पटेल सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री थे. वे दिसंबर में सूरत से दोबारा विधायक चुने गए हैं.