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‘लेटरल एंट्री’ जैसी साजिशों को नाकाम करके दिखाएंगे... केंद्र की चिट्ठी के बाद BJP पर बोले राहुल

राहुल गांधी ने कहा कि संविधान और आरक्षण व्यवस्था की हम हर कीमत पर रक्षा करेंगे. भाजपा की लेटरल एंट्री जैसी साजिशों को हम हर हाल में नाकाम करके दिखाएंगे. मैं एक बार फिर कह रहा हूं कि 50 फीसदी आरक्षण सीमा को तोड़कर हम जातिगत गिनती के आधार पर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेंगे. 

विपक्ष के नेता राहुल गांधी विपक्ष के नेता राहुल गांधी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 2:52 PM IST

UPSC में लेटरल एंट्री को लेकर छिड़ी बहस के बीच केंद्र सरकार ने कदम पीछे खींचते हुए लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगाने का आदेश दिया है. इस संबंध में केंद्र सरकार ने यूपीएससी चेयरमैन को चिट्ठी लिखी है. सरकार के इस कदम के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया दी है.

राहुल गांधी ने कहा कि संविधान और आरक्षण व्यवस्था की हम हर कीमत पर रक्षा करेंगे. भाजपा की लेटरल एंट्री जैसी साजिशों को हम हर हाल में नाकाम करके दिखाएंगे. मैं एक बार फिर कह रहा हूं कि 50 फीसदी आरक्षण सीमा को तोड़कर हम जातिगत गिनती के आधार पर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेंगे. 

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केंद्र सरकार ने क्यों दिए आदेश?

केंद्र सरकार ने यूपीएससी को लिखे पत्र में कहा कि सरकार ने यह फैसला लेटरल एंट्री के व्यापक पुनर्मूल्यांकन के तहत लिया है.  अधिकतर लेटर एंट्रीज 2014 से पहले की थी और इन्हें एडहॉक स्तर पर किया गया था. प्रधानमंत्री का विश्वास है कि लेटरल एंट्री हमारे संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के समान होनी चाहिए, विशेष रूप से आरक्षण के प्रावधानों के संबंध में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए.

इस पत्र में कहा गया कि सामाजिक न्याय की दिशा में संवैधानिक जनादेश बनाए रखना जरूरी है ताकि वंचित समुदायों के योग्य उम्मीदवारों का सरकारी नौकरियों में सम्मानपूर्ण प्रतिनिधित्व हो. चूंकि, ये पद विशेष हैं ऐसे में इन पदों पर नियुक्तियों को लेकर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है. इसकी समीक्षा और जरूरत के अनुरूप इनमें सुधार की जरूरत है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी का पूरा फोकस सामाजिक न्याय की ओर है.

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पत्र में कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि सार्वजनिक नौकरियों में सामाजिक न्याय के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता होनी चाहिए. लेटरल एंट्री वाले पदों की समीक्षा किए जाने की जरूरत है. ऐसे में 17 अगस्त को जारी लेटरल एंट्री वाले विज्ञापन को रद्द कर दें. 

क्या था 17 अगस्त का आदेश?

इससे पहले UPSC ने 17 अगस्त को एक विज्ञापन जारी किया था, जिसमें लेटरल एंट्री के जरिए 45 जॉइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर लेवल की भर्तियां निकाली गई थी. लेटरल भर्ती में कैंडिडेट्स बिना UPSC की परीक्षा दिए रिक्रूट किए जाते हैं. इसमें आरक्षण के नियमों का भी फायदा नहीं मिलता है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है. 

इस पर विवाद बढ़ने पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मोर्चा संभालते हुए कहा था कि नौकरशाही में लेटरल एंट्री नई बात नहीं है. 1970 के दशक से कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों के दौरान लेटरल एंट्री होती रही है और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी ऐसी पहलों के प्रमुख उदाहरण हैं.

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