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राहुल गांधी की संसद सदस्यता गई, 2024 का चुनाव लड़ना भी हुआ मुश्किल

सूरत कोर्ट ने मानहानि मामले में गुरुवार को राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी. इस फैसले के बाद लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसद की सदस्यता को रद्द कर दिया है. जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक, अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल या उससे ज्यादा की सजा होने पर उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाती है.

राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द (फाइल फोटो) राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द (फाइल फोटो)
अशोक सिंघल
  • नई दिल्ली,
  • 24 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 3:39 PM IST

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बड़ा झटका लगा है. लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसद की सदस्यता को रद्द कर दिया है. दरअसल, सूरत कोर्ट ने मानहानि मामले में गुरुवार को राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी. राहुल गांधी केरल के वायनाड से सांसद थे. 

सूरत कोर्ट के फैसले के बाद से ही राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता पर तलवार लटक रही थी. दरअसल,  जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक, अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा हुई हो तो ऐसे में उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाएगी. इतना ही नहीं सजा की अवधि पूरी करने के बाद छह वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी होते हैं.

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पढ़ें: 72 साल पुराना कानून और लिली थॉमस केस पर फैसला... ऐसे गई राहुल गांधी की सांसदी
 
राहुल पर अब क्या क्या विकल्प ?

राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म हो गई है. हालांकि, राहुल को अपनी सदस्यता को बचाए रखने के सारे रास्ते बंद नहीं हुए हैं. वो अपनी राहत के लिए हाईकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं, जहां अगर सूरत सेशन कोर्ट के फैसले पर स्टे लग जाता है तो सदस्यता बच सकती है. हाईकोर्ट अगर स्टे नहीं देता है तो फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से अगर स्टे मिल जाता है तो भी उनकी सदस्यता बच सकती है. लेकिन अगर ऊपरी अदालत से उन्हें राहत नहीं मिलती तो राहुल गांधी 8 साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. 

2024 में चुनाव लड़ना भी मुश्किल!

राहुल गांधी की मुसीबतें और बढ़ सकती हैं. बताया जा रहा है कि अगर हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट राहुल के दोषी पाए जाने पर रोक नहीं लगाता तो वे 8 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. 

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अगर राहुल की याचिका पर हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट सजा पर रोक भी लगा देती है, तब भी उनकी सदस्यता बहाल नहीं होगी. दरअसल, इसके लिए राहुल गांधी के दोषी पाए जाने पर भी रोक जरूरी है.

राहुल ने 2019 में क्या बयान दिया था

राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को चुनावी रैली में कहा था, ''नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?''

पढ़ें: ...जब दोषी करार दी गई थीं इंदिरा गांधी! जानिए सोनिया-राहुल समेत गांधी फैमिली किन केसों का कर रही सामना
 
राहुल के इस बयान को लेकर बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ धारा 499, 500 के तहत आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था. अपनी शिकायत में बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया था कि राहुल ने 2019 में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूरे मोदी समुदाय को कथित रूप से यह कहकर बदनाम किया कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?

कोर्ट ने क्या कहा था?

दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने 'मोदी सरनेम' वाले बयान को लेकर दायर मानहानि के मामले में दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई. राहुल गांधी ने कर्नाटक में 2019 लोकसभा चुनाव से पहले ये बयान दिया था. कोर्ट ने राहुल को 15000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत देते हुए सजा को 30 दिन के लिए सस्पेंड कर दिया. इस दौरान राहुल गांधी ऊपरी अदालत में सजा को चुनौती दे सकते हैं. कोर्ट ने अपने 170 पेज के फैसले में कहा है कि आरोपी खुद सांसद (संसद सदस्य) हैं और सुप्रीम कोर्ट की सलाह के बाद भी आचरण में कोई बदलाव नहीं आया. 

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