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'सत्य मेरा भगवान...', मानहानि केस में सजा सुनाए जाने के बाद बोले राहुल गांधी

राहुल गांधी ने 2019 में कर्नाटक में एक रैली के दौरान कहा था, सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? राहुल के इस बयान को पूरे मोदी समाज का अपमान बताते हुए बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया था. गुजरात की सूरत कोर्ट ने चार साल पुराने इस मामले में गुरुवार को राहुल को दोषी ठहराया. इस दौरान राहुल गांधी भी कोर्ट में मौजूद रहे.

राहुल गांधी (फोटो- पीटीआई) राहुल गांधी (फोटो- पीटीआई)
aajtak.in
  • सूरत,
  • 23 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 12:32 PM IST

मोदी सरनेम वाले बयान को लेकर मानहानि केस में राहुल गांधी को सूरत की सेशन कोर्ट ने दोषी ठहराया है. कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई. हालांकि, उन्हें 30 दिन के लिए जमानत भी मिल गई. सजा सुनाए जाने के बाद राहुल गांधी ने ट्वीट कर महात्मा गांधी की कही हुई बात शेयर की. राहुल ने लिखा, सत्य मेरा भगवान है. 

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राहुल ने ट्वीट किया, मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन- महात्मा गांधी. 

चार साल पुराने केस में राहुल को सजा

राहुल ने 2019 में कर्नाटक में एक रैली के दौरान कहा था, सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? राहुल के इस बयान को पूरे मोदी समाज का अपमान बताते हुए बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया था. गुजरात की सूरत कोर्ट ने चार साल पुराने इस मामले में गुरुवार को राहुल को दोषी ठहराया. इस दौरान राहुल गांधी भी कोर्ट में मौजूद रहे. 

राहुल गांधी से जब कोर्ट में सजा को लेकर पूछा गया, तो उन्होंने कहा, मैं राजनेता हूं. ऐसे में जो भ्रष्टाचार हो रहे हैं, उसे उठाना मेरा फर्ज है. मैंने इसी फर्ज को निभाया. मेरा इरादा किसी को नुकसान पहुंचाने का नहीं था. मैंने जानबूझकर ऐसा नहीं कहा.राहुल ने कहा, आगे की बात मेरे वकील कहेंगे. 

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माफी नहीं मांग रहे- राहुल के वकील

राहुल के वकील ने कोर्ट में कहा, हम कोर्ट से माफी नहीं मांग रहे, हमें दया नहीं चाहिए. लेकिन जो कुछ हुआ, वो फर्ज के हिसाब से किया. राहुल के इस बयान से किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. 

उधर, शिकायतकर्ता के वकील ने मांग की कि राहुल को अधिकतम सजा होनी चाहिए. इसके बाद कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई. हालांकि, कोर्ट ने उनकी सजा 30 दिन के लिए सस्पेंड कर दी. यानी 30 दिन में वे ऊपरी अदालत जा सकते हैं. 30 दिन बाद उन्हें रेगुलर जमानत लेनी होगी. 

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