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महाराष्ट्र में बच गई शिंदे सरकार... उद्धव गुट की याचिका को स्पीकर ने किया खारिज

स्पीकर ने शिव सेना संविधान में नेतृत्व ढांचे की बात जोर देकर कही. उन्होंने कहा कि, असली पार्टी का फैसला निर्वाचन आयोग कर चुका है. 2018 का लीडरशिप स्ट्रक्चर ही विश्वस्त है. उसमें पक्ष प्रमुख यानी पार्टी अध्यक्ष की व्याख्या की गई है. हमने भी उसे ही मान्यता दी है. वही उच्चतम पद है.

सीएम एकनाथ शिंदे सीएम एकनाथ शिंदे
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 7:15 PM IST

महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके गुट के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता मामले में फैसला सुनाया. इस दौरान उन्होंने कहा कि, शिंदे गुट ही असली शिवसेना है और उद्धव ठाकरे भी पार्टी नियमों के तहत ही पार्टी के नेता बने थे.

शिंदे को हटाने का अधिकार उद्धव को नहींः स्पीकर
इसके साथ ही स्पीकर ने यह भी कहा था कि 'एकनाथ शिंदे को हटाने का अधिकार उद्धव को नहीं है. बता दें कि, करीब 18 महीने पहले शिंदे समेत 39 विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी, जिसकी वजह से 57 साल पुरानी पार्टी शिवसेना में विभाजन हो गया था और महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गई थी. इस घटना के बाद दोनों गुटों ने एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की थीं. 

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असली पार्टी का फैसला निर्वाचन आयोग कर चुका हैः स्पीकर
स्पीकर ने शिव सेना संविधान में नेतृत्व ढांचे की बात जोर देकर कही. उन्होंने कहा कि, असली पार्टी का फैसला निर्वाचन आयोग कर चुका है. 2018 का लीडरशिप स्ट्रक्चर ही विश्वस्त है. उसमें पक्ष प्रमुख यानी पार्टी अध्यक्ष की व्याख्या की गई है. हमने भी उसे ही मान्यता दी है. वही उच्चतम पद है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 19 सदस्य होंगे. 14 चुने जाएंगे पांच मनोनीत होते हैं. शिवसेना विधायकों की अयोग्यता मामले में फैसला सुनाते हुए राहुल नार्वेकर ने सुप्रीम कोर्ट का भी उल्लेख करते हुए आभार जताया. स्टाफ और वकीलों का भी आभार और धन्यवाद किया. 

व्हिप कौन है? क्या विधायक अयोग्य हुए?, स्पीकर बोले- नहीं
इस पूरे मामले में जो सबसे खास सवाल था कि, क्या 21 जून की एसएसएलपी बैठक से विधायकों की अनुपस्थिति अयोग्यता का कारण बनती है? इस पर स्पीकर ने कहा कि, इस आधार पर मेरा मानना ​​है कि शिंदे गुट को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि शिंदे गुट ही असली पार्टी थी और गुट के उभरने के बाद से ही सुनील प्रभु सचेतक नहीं रहे. 

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राष्ट्रीय कार्यकारिणी का फैसला ही सर्वोच्चः स्पीकर
महेश जेठमलानी ने भी अपनी दलीलों में बताया कि शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का फैसला ही सर्वोच्च और सर्वमान्य होता है. 25 जून 2022 को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई थी. उसमें जो सात प्रस्ताव पास की गए उन पर फर्जीवाड़े से बदलाव करने का आरोप लगा. मेरे सामने भी वो लाए गए. उन पर पूरी राष्ट्रीय कार्यकारिणी यानी प्रतिनिधि सभा की बजाय सिर्फ सचिव विनायक राव के ही दस्तखत थे.


राहुल शिवाय, अरविंद के गवाह के रूप में दस्तखत हैं जो राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य ही नहीं हैं. इसलिए ये दस्तावेज शक के घेरे में हैं. इन पर भरोसा नहीं किया जा सकता. स्पीकर ने उद्धव ठाकरे की दलीलें खारिज करते हुए कहा कि 25 जून 2022 को लिए गए कथित निर्णयों को मान्यता नहीं दे सकते हैं. भारत गोगावले ही असली व्हिप हैं. 21 जून 2023 को एकनाथ शिंदे ही पार्टी के वैध नेता और भरत गोगावले वैध व्हिप हैं. 

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