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राजस्थान चुनाव: अशोक गहलोत का रद्द होगा नामांकन? बीजेपी ने लगाया आपराधिक मामले छिपाने का आरोप

बीजेपी ने चुनाव आयोग को दिए शिकायत पत्र में कहा है कि गहलोत के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े सहित दो आपराधिक मामले दर्ज हैं, लेकिन नामांकन पत्र के साथ पेश शपथ पत्र में इन्हें छिपाया गया. उनके खिलाफ दर्ज पहला मुकदमा जमीन घोटाले से संबंधित है जबकि दूसरा मुकदमा बलात्कार और यौन हिंसा से संबंधित है.

अशोक गहलोत अशोक गहलोत
जयकिशन शर्मा
  • जयपुर,
  • 08 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:42 PM IST

राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के चुनावी हलफनामे पर विवाद खड़ा हो गया है. हलफनामे में जानकारी छिपाने को लेकर बीजेपी ने चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है. बीजेपी का आरोप है कि मुख्यमंत्री गहलोत ने सरदारपुरा से भरे नामांकन पत्र में अपने आपराधिक प्रकरणों की जानकारी छिपाई है. 

बीजेपी ने चुनाव आयोग को दिए शिकायत पत्र में कहा है कि गहलोत के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े सहित दो आपराधिक मामले दर्ज हैं, लेकिन नामांकन पत्र के साथ पेश शपथ पत्र में इन्हें छिपाया गया. उनके खिलाफ दर्ज पहला मुकदमा जमीन घोटाले से संबंधित है जबकि दूसरा मुकदमा बलात्कार और यौन हिंसा से संबंधित है. बीजेपी ने गहलोत के इस कृत्य को जनप्रतिनिधि कानून के तहत दोषी मानते हुए चुनाव आयोग से शिकायत की है और नामांकन पत्र खारिज करने की मांग की है.

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इस संबंध में चुनाव आयोग पहुंचे केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि इस संबंध में जयपुर में मुख्य चुनाव आयुक्त से शिकायत करते हुए कहा कि अशोक गहलोत ने छह नवंबर को चुनावी हलफनामा पेश किया था. इसमें सभी लंबित आपराधिक प्रकरणों का विस्तृत ब्योरा देना जरूरी था लेकिन गहलोत ने जानबूझकर अधूरा विवरण पेश किया. गहलोत ने अपने खिलाफ दर्ज दो आपराधिक प्रकरणों का विवरण नामांकन पत्र में नहीं दिया,जो अनिवार्य था.

उन्होंने बताया कि गहलोत के खिलाफ जमीन घोटाले से जुड़ा एक मामला आठ सितंबर 2015 को जयपुर के गांधीनगर थाने में आईपीसी की धारा 166, 409, 420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत दर्ज है. मौजूदा समय में यह मामला अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट के समक्ष विचाराधीन है. इसी प्रकार एक अन्य मामला रेप और यौन हिंसा जैसी संज्ञेय धाराओं में दर्ज है. इसकी जानकारी नामांकन पत्र के साथ पेश शपथ पत्र में नहीं दी गई, जबकि ये  जानकारी देना अनिवार्य था.

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जोधपुर के एडवोकेट नाथूसिंह राठौड़ की ओर से पेश शिकायत पत्र में कहा गया कि गहलोत ने इससे पहले भी 2013 और 2018 के चुनाव में गलत शपथ पेश कर तथ्यों को छिपाया गया. इसकी शिकायत करने के बाद भी राज्य चुनाव आयोग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई, जो आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्न चिह्न लगाता है.

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