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कन्हैयालाल हत्याकांड पर मोदी-गहलोत की भिड़ंत में भारी कौन?

राजस्थान चुनावों में कन्हैया मर्डर केस को भुना पाएगी BJP, कर्नाटक में BJP लौटकर येदियुरप्पा की शरण में कैसे आई, उत्तराखंड में कैसे निकलेंगे टनल में फंसें मजदूर, दिल्ली के अलावा इन क्षेत्रों तक कैसे पहुंचा प्रदूषण, सुनिए 'दिन भर' में.

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चेतना काला
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  • 13 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:36 PM IST

राजस्थान के उदयपुर में पिछले साल 28 जून को एक हत्या हुई थी. केस इतना बड़ा हो गया कि विपक्ष के हाथ का हथियार बन गया. यहां तक कि प्रधानमंत्री भी अगर राजस्थान में होते हैं तो गाहे बगाहे उस हत्या को याद कराना नहीं भूलते. प्रधानमंत्री के इस भाषण को एक महीने से ऊपर का वक्त बीत गया है.. और अब कल कन्हैयालाल की हत्या पर राजस्थान के मुख्यमंत्री का बयान भी आया. उन्होंने यहां तक कहा कि कन्हैया लाल तेली के हत्यारे भारतीय जनता पार्टी से जुड़े थे. साथ ही उन्होंने ये भी दावा किया कि  नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की बजाय अगर मामले की जांच स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप करता तो जांच के कुछ तार्किक परिणाम भी निकलते. कन्हैया लाल का मर्डर इतना जघन्य था कि पूरे देश में उसे लेकर सनसनी रही. लेकिन प्रदेश के चुनावों में इस हत्या को साल भर से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी अगर बीजेपी इसे याद दिलाने की कोशिश में है तो उसके अर्थ क्या हैं, राजस्थान का वोटर इसे किस तरह से देखेगा, सुनिए 'दिन भर' में.  

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देश के 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं. लेकिन एक चुनाव जो देश की केन्द्रीय सत्ता में काबिज बीजेपी कभी नहीं भूलना चाहेगी वो है कर्नाटक का विधानसभा चुनाव. वहाँ बीजेपी इसी साल हारी और कांग्रेस सत्ता में आई. इस चुनाव में बीजेपी के खेमे से खबर ये थी कि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता बीएस येदियूरप्पा को लगभग साइडलाइन कर दिया गया है. लेकिन ताज़ा खबर इसके उलट है और वो ये कि येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र बीजेपी के 10वें प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए हैं. उन्होंने नलिन कुमार कतील की जगह ली. नलिन को 2019 में प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया था लेकिन चूंकि 2022 में राज्य में विधानसभा चुनाव थे इसलिए उनका कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाया गया था और अब बीवाई विजयेन्द्र  ये जिम्मेदारी सम्हालेंगे. कर्नाटक बीजेपी के बारे में ये कहा जा रहा था कि येदियूरप्पा को जब बीजेपी ने जब साइडलाइन किया था और पूर्व मुख्यमंत्री बासवराज बोमई के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था, उसके अपने नुकसान हुए थे. नुकसान ये कि येदियूरप्पा का लिंगायत समुदाय में प्रभाव है और बीजेपी से ये वर्ग छिटका. शायद यही वजह है कि बीजेपी को 47 साल के विजयेन्द्र में वो पोटेंशियल नजर आ रहा है जो उसके खोए हुए जनाधार को वापस दिलाए. विजयेन्द्र को बीजेपी का राज्य नेतृत्व मिलने के राजनीतिक निहितार्थ क्या हैं, सुनिए 'दिन भर' में. 

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और कल जब पूरा देश दीवाली का जश्न मना रहा था, कुछ लोग काम में जुटे हुए थे. लेकिन वही काम उनके लिए ऐसी मुसीबत बना जिससे वो अब तक जूझ रहे हैं और प्रशासन उनकी मुश्किल दूर करने में लगा है. उत्तराखंड के उत्तरकाशी में एक अंडर कंस्ट्रक्शन टनल धंस गई. 40 मजदूर इसकी जद में आए और अब तक फंसे हुए हैं. इस टनल का नाम है सिलक्यारा टनल. ये टनल ​​​​ब्रह्मकमल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाया जा रहा था. और अब इस टनल का निर्माण कार्य रेस्क्यू ऑपरेशन में बदल चुका है. फंसे हुए मजदूरों में झारखंड के 15, उत्तर प्रदेश के 8, ओडिशा के 5, बिहार के 4, पश्चिम बंगाल के 3, उत्तराखंड के 2, असम के 2 और हिमाचल प्रदेश का एक मजदूर शामिल है. राहत की बात ये है कि रेस्क्यू टीम्स मजूदरों से संपर्क करने में सफलहुई है  जिसके बाद  टनल में पानी की सप्लाई के लिए बनी पाइपलाइन के जरिए ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है. इसी पाइपलाइन के जरिए रात में कंप्रेसर से दबाव बनाकर टनल में फंसे मजदूरों तक चने के पैकेट भी भेजे गए.इतनी बड़ी संख्या है मजदूरों की, आज दूसरा दिन है, कुछ ही देर में 48 घंटे हो जाएंगे मजदूरों को फंसे हुए – प्रशासन क्या बता रहा है इस घटना के कारण, सुनिए 'दिन भर' में. 

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बीते शुक्रवार को दिल्ली इस बात पर राहत की सांस ले रही थी कि बारिश हो जाने की वजह से प्रदूषण कम तो हुआ. लेकिन ये राहत बहुत लंबी नहीं थी. कल देश भर में दीवाली का त्योहार मनाया गया. और इस दौरान हुई आतिशबाजी से राहत की सांस फिर से आफत की सांस में बदल चुकी थी. आज सुबह के पॉडकास्ट आज का दिन में हमने बताया था कि राजधानी दिल्ली में दीवाली की रात ने सुबह को कितना प्रदूषित किया. लेकिन ये हाल केवल यहीं का नहीं है. हमनें आज AQI.IN वेबसाइट पर रियल टाइम एयर क्वालिटी इंडेक्स चेक किया. दोपहर के वक्त, 592 AQI के साथ सबसे खराब हवा थी बिहार की राजधानी पटना में. इसके अलावा बिहार के ही भागलपुर का AQI 388 था. यहीं के राजगीर में 374 और फिर देश की राजधानी का AQI 347. जब हम दिल्ली के प्रदूषण की बात करते हैं, यहाँ ज्यादा आबादी, फिर उसकी वजह से वाहनों में इजाफा तमाम कारण दिखाई देते हैं लेकिन दिल्ली के अलावा जब हम देश में इतने सारे शहरों में लगभग ऐसे ही हालात हैं तो उसके कारण क्या हैं – दिल्ली से अलग situations के बावजूद इन छोटे शहरों में प्रदूषण के कारण क्या दिखते हैं आपको, सुनिए 'दिन भर' में. 
 

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