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राजस्थान सरकार के Right to Health क़ानून से डॉक्टरों को क्या तकलीफ़ है?

राजस्थान सरकार के Right to Health क़ानून से डॉक्टरों को क्या तकलीफ़ है,JDU की नेशनल टीम में नीतीश की सोशल इंजीनियरिंग कैसे झलक रही है,दिल्ली बजट की बड़ी बातें और क्यों नल का पानी पीने लायक नहीं है?

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कुमार केशव / Kumar Keshav
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  • 22 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 7:55 PM IST

राजस्थान के हर शख़्स को इलाज की गारंटी देने वाला 'राइट टू हेल्थ' बिल कल विधानसभा में पास हो गया. इस तरह का क़ानून बनाने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है. इसके बाद सूबे के सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल अब किसी का भी इलाज करने से मना नहीं कर सकेंगे. इमरजेंसी की हालत में प्राइवेट हॉस्पिटल को भी फ्री इलाज करना होगा. लापरवाही करने या दोषी पाए जाने की स्थिति में अस्पतालों पर 10 से 25 हजार रुपए जुर्माना लगाया जा सकता है. राज्य के चिकित्सा और स्वास्थ्य मंत्री परसादीलाल मीणा ने विधानसभा में कहा कि राजस्थान स्वास्थ्य के क्षेत्र में मॉडल स्टेट बन रहा है और सरकार सभी को स्वास्थ्य का अधिकार देने के लिए प्रतिबद्ध है. लेकिन सरकार के इस क़दम के ख़िलाफ़ प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टर्स और संचालक हड़ताल पर हैं. कुछ दिनों से डॉक्टर्स सड़कों पर उतरकर प्रोटेस्ट कर रहे हैं और इस दौरान उन्हें पुलिस की लाठी और वॉटर कैनन भी झेलने पड़े. तो आज वहां हालात कैसे हैं, प्राइवेट अस्पतालों के बंद होने से लोगों को किस तरह की दिक्क़तें आ रही हैं? सुनिए ‘दिन भर’ में.

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बिहार की ओर चलते हैं अब. आज बिहार का स्थापना दिवस भी है. बिहार को आज ही के दिन 1912 में बंगाल की प्रेसिडेंसी से अलग करके अलग राज्य बनाया गया था.ख़ैर ये महज जानकारी थी. ख़बर पर आते हैं. बिहार में सत्तारूढ़ पार्टी जनता दल यूनाइटेड की राष्ट्रीय टीम की घोषणा हुई है. राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के नेतृत्व में ये टीम बनी है.कुछ चकित करने वाले नाम जोड़े गए हैं,कुछ लोगों को हटाए जाने पर भी बात चल रही है. जैसे- केसी त्यागी की छुट्टी हो जाना. अब तक त्यागी पार्टी के महासचिव और प्रवक्ता थे. अब उन्हें बाय बाय टेक केयर बोल दिया गया है.मंगनी लाल मंडल पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने हैं.इस तरह से पार्टी की कुल 32 सदस्यीय राष्ट्रीय कमेटी है ये. जिसमें अध्यक्ष और उपाध्यक्ष समेत 22 महासचिव,7 सचिव और एक कोषाध्यक्ष हैं. अब इस नई नवेली नेशनल टीम में नयापन कितना है, कौन से नामों का हटना या शामिल होना चौंकाता है? सुनिए ‘दिन भर’ में.

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आम आदमी पार्टी अक्सर चर्चा के केंद्र में रहती है. चाहे वो पंजाब का लॉ एंड ऑर्डर हो, दिल्ली के LG के साथ तनातनी, या पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी या महाठग सुकेश चंद्रशेखर के आरोप... इन सब घटनाओ से आम आदमी पार्टी पर सवाल खड़े होते रहते हैं. ताज़ा मामला दिल्ली के बजट को लेकर है, जिस पर गृह मंत्रालय की टोकटाक के बाद कुछ देर के लिए ग्रहण लग गया था. लेकिन एक रोज़ बाद मामला सुलझा और आज जाकर दिल्ली का 9वां बजट पेश हुआ. 78 हज़ार करोड़ का ये बजट था जिसमें से एजुकेशन सेक्टर के लिए 16 हज़ार करोड़ रूपए रखे गए, महिलाओं को लेकर कई वादे किए गए, मोहल्ला बस योजना और यमुना की सफाई पर केजरीवाल सरकार का फोकस दिखा. वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने बजट भाषण में कहा कि 2023-24 के बाद दिल्ली में एक भी सड़क या फुटपाथ टूटा दिखाई नहीं देगा. इसके अलावा दो साल में कूड़े के पहाड़ खत्म करने का वादा किया गया है. साथ ही तीन नए ISBT बनाने की बात की गई है. तो अब दिल्ली बजट को थोड़ा और विस्तार में जानते हैं कि कौन सी मुख्य बातें रहीं बजट की? सुनिए ‘दिन भर’ में. 

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पानी हमारे जीवन के लिए कितना ज़रूरी है, ये आप सब जानते ही हैं. और इसी अहमियत को रेखांकित करने के लिए 22 मार्च को दुनियाभर में वर्ल्ड वॉटर डे के तौर पर मनाया जाता है. 1993 से इसे मनाने की शुरुआत हुई और इस साल की थीम है – 'एक्सेलरेटिंग चेंज' यानी तेज़ी से परिवर्तन. इंडिया में भी हर घर तक पेय जल पहुँचाने का बीड़ा सरकार ने उठाया है, 2024 का टारगेट सेट किया गया है. लेकिन हाल ही में नेशनल सैंपल सर्वे आर्गेनाईजेशन की एक रिपोर्ट आई है जो कहती है कि ग्रामीण भारत के 3 चौथाई और शहरी इलाक़ों के एक चौथाई घरों में भी पाइप्ड वॉटर नहीं पहुंचा है. जगह जगह के कई मीडिया रिपोर्ट्स बताते हैं कि हर घर जल योजना अपने तय लक्ष्य से पीछे चल रही है. तो इस देरी की वजह क्या है, ख़ासकर ग्रामीण भारत में. सुनिए ‘दिन भर’ में.

 

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