
काबिलियत दिखाओ, फिर कुर्सी पाओ, क्या दिल्ली से निकले इसी आदेश के साथ बीजेपी अब मध्य प्रदेश और राजस्थान जीतने की रणनीति बना चुकी है. जहां पहले मध्य प्रदेश में केंद्रीय मंत्री और सांसद विधायकी के चुनाव में उतार दिए गए. अब यही फॉर्मूला राजस्थान में भी लागू होगा ऐसा कहा जा रहा है. यहां भी 4-5 सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़वाया जा सकता है.
जिस तरह बंगाल तक मजबूती से पार्टी उम्मीदवारों को चुनाव लड़वाते आ रहे कैलाश विजयवर्गीय को MP के विधानसभा चुनाव में उतार दिया गया, वैसा ही कुछ आश्चर्यजनक राजस्थान में भी हो सकता है.
जैसे, जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा का भी नाम विधानसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों में हो सकता है.
जयपुर में अहम मीटिंग
गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ फिलहाल जयपुर में हैं. यहां जयपुर में उनकी अहम मीटिंग चल रही है.
खबर है कि मध्य प्रदेश में मंत्री-सांसद-महासचिव को उतारने वाला फॉर्मूला राजस्थान में भी बीजेपी अपना सकती है. पार्टी को लगता है कि बड़े मंत्री और सांसद भी विधायकी के चुनाव में उतारे जाएंगे तो इससे पक्ष में माहौल बनेगा. पार्टी को लगता है कि इससे स्थानीय स्तर पर नाराजगी काबू में आती है, सिर्फ अपनी ही नहीं बल्कि आसपास की सीट तक पर बड़े चेहरे माहौल बनाने में काम आते हैं.
ये बात समझने के लिए आपको कैलाश विजयवर्गीय का उदाहरण देते हैं. जिन्होंने उम्मीदवारी घोषित होने के बाद जब इंदौर में जनता के बीच 'मैं तो लड़ना ही नहीं चाहता था' जैसे बयान दिए तो सबने इस पर अपनी राय बना ली कि देखो बड़े नेता बचने लगे. विपक्ष भी यही कहने लगा.
लेकिन बीजेपी की रणनीति है कि बड़े नेता उतरकर सीधे जनता के बीच ये संदेश दें कि वो भी उनके बीच के ही कार्यकर्ता बनकर लड़ने आए हैं.
दरअसल, जनता के बीच जो कैलाश विजयवर्गीय कहते हैं वो बीजेपी की 'मैन टू मैन मार्किंग' का हिस्सा है. आप कहेंगे ये क्या चीज है?
ये क्या होती है. इसे पहले आप फुटबॉल के एक मैच के वीडियो को देखिए. जहां विपक्षी टीम के हर खिलाड़ी के साथ अपनी टीम का एक खिलाड़ी घेरा बना लेता है. जिसके बाद दूसरी टीम के सदस्य के पास खुलकर खेलने की बहुत कम क्षमता रह जाती है.
ठीक इसी तरह मध्य प्रदेश से राजस्थान तक बीजेपी अपने बड़े मंत्रियों, सांसदों को उतारकर क्षेत्र में कांग्रेस को घेरने की रणनीति बनाई है. जिससे कार्यकर्ताओं में जोश आए और चुनाव सरल हो जाए.
दूसरे राज्यों के 44 नेताओं को जिलों की जिम्मेदारी
अब इंतजार राजस्थान की लिस्ट का होने लगा है. जिसके बाद स्थिति साफ हो पाएगी. लेकिन इससे पहले बीजेपी ने दूसरे राज्यों के 44 नेताओं को जिलों की जिम्मेदारी दी है. अब तक 26 से ज्यादा नेता जयपुर पहुंच भी चुके हैं. इसमें से कुछ प्रमुख नाम-
- दिल्ली सांसद प्रवेश वर्मा को जोधपुर देहात
- पंजाब प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ को सीकर
- केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह को जयपुर शहर
- हरियाणा विधायक महिपाल ढाडा को हनुमानगढ़
- हरियाणा प्रदेश महामंत्री संदीप जोशी को चूरू
- यूपी से बीजेपी नेता जुगलकिशोर को जयपुर देहात उत्तर
- जम्मू-कश्मीर के पूर्व डिप्टी सीएम निर्मल सिंह को जयपुर देहात दक्षिण
- जम्मू-कश्मीर के पूर्व डिप्टी सीएम कविन्द्र गुप्ता को दौसा
- हरियाणा के बीजेपी नेता अरविंद यादव को अजमेर देहात
- दिल्ली सांसद को रमेश बिधूड़ी को टोंक की जिम्मेदारी
- यूपी में बीजेपी नेता अरुण असीम को कोटा देहात
- उत्तराखंड में प्रदेश उपाध्यक्ष कुलदीप कुमार को बारां की जिम्मेदारी
बड़े नेता नाखुशी जाहिर कर सकते हैं?
राजस्थान के लिए बीजेपी की लिस्ट कितना चौंकाती है लेकिन कुछ सवाल पहले से उठने लगे हैं. जैसे अगर मध्य प्रदेश की तरह बीजेपी ने यहां भी बड़े मंत्री और सांसदों को विधायकी के चुनाव में उतारा गया तो क्या राजस्थान में भी कुछ मंत्री/सांसद/पदाधिकारी भीतर वाली नाखुशी जाहिर कर सकते हैं?
ऐसी अटकलें कैलाश विजयवर्गीय के बयान के बाद ही लग रही हैं. उनको पार्टी ने इंदौर-1 से उम्मीदवार बनाया है. टिकट मिलने के बाद कैलाश ने कहा था कि पार्टी ने टिकट दे दिया मुझे, लेकिन मैं अंदर से खुश नहीं हूं. अब देखना होगा कि क्या राजस्थान से भी कैलाश विजयवर्गीय जैसी भीतरी अनिच्छा जाहिर हो सकती है.