Advertisement

राजीव गांधी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा- पेरारिवलन को रिहा कर दिया जाए?

राजीव गांधी हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से कहा है कि जब 25 साल जेल में रहने के बाद कोई भी सजायाफ्ता कैदी अच्छे चाल-चलन के आधार पर रिहाई का हकदार होता है तो 35 साल से ज्यादा जेल में काटने वाले कैदी पेरारिविलन को ये सुविधा क्यों नहीं दी जा सकती है?

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 27 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 5:43 PM IST
  • पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या का मामला
  • दोषी एजी पेरारिवलन 36 साल से जेल में

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी एजी पेरारिवलन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने पूछा है कि क्यों ना पेरारिवलन को रिहा कर दिया जाए. एजी पेरारिवलन पिछले 36 साल से जेल में है और आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. उसने सुप्रीम कोर्ट में जेल से रिहा किए जाने के संबंध में याचिका लगाई है. 

Advertisement

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एल नागेश्वर राव और बीआर गवई की बेंच ने सुनवाई की और केंद्र सरकार से एक हफ्ते में अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है. बेंच ने दो टूक कहा कि जब पेरारिविलन की रिहाई का मामला कई दशकों से दो सरकारों के बीच लटका और फंसा पड़ा है तो क्यों ना उसे अब 36 साल बाद रिहा कर दिया जाए. केंद्र और राज्य सरकार के बीच यह मामला फंसा है कि याचिकाकर्ता पेरारिविलन की रिहाई पर कौन फैसला करे. तमिलनाडु के राज्यपाल या भारत के राष्ट्रपति. 

क्या राज्य सरकार सीधे राष्ट्रपति को प्रस्ताव भेज सकती?

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जब 25 साल जेल में रहने के बाद कोई भी सजायाफ्ता कैदी अच्छे चाल-चलन के आधार पर रिहाई का हकदार होता है तो 35 साल से ज्यादा अवधि जेल में काटने वाले कैदी पेरारिविलन को ये सुविधा क्यों नहीं दी जा सकती है? कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या राज्य सरकार अपनी कैबिनेट में पारित प्रस्ताव को बिना केंद्र की सिफारिश के सीधे राष्ट्रपति को भेज सकती है?

Advertisement

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि राष्ट्रपति को संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राज्यपाल के फैसले पर निर्णय लेने का अधिकार है. अब इस मामले में केंद्र का जवाब और याचिकाकर्ता का प्रति उत्तर आने के बाद सुप्रीम कोर्ट 4 मई को सुनवाई करेगा.

यह है मामला

गौरतलब है कि सितंबर 2018 में तमिलनाडु सरकार ने एक प्रस्ताव पारित किया था और पेरारिवलन समेत उम्रकैद के सजायाफ्ता सभी सात दोषियों की समय पूर्व रिहाई का आदेश देने के लिए तत्कालीन राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को सिफारिश भेजी थी. बाद में पेरारिवलन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. हालांकि, राज्यपाल ने मामले को राष्ट्रपति के पास भेज दिया है. बता दें कि 21 मई 1991 की रात तमिलनाडु के श्रीपेरंपुदुर में एक चुनावी रैली के दौरान लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) की महिला आत्मघाती हमलावर ने राजीव गांधी की हत्या कर दी थी. महिला की पहचान धनु के रूप में हुई थी.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement