
गलवान झड़प के बाद पहली बार भारत ने चीन से बातचीत की है. रक्षा मंत्री राजनाथ ने गुरुवार को अपने चीनी समकक्ष जनरल ली शांगफू के साथ बातचीत की. दिल्ली में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक के मौके पर यह वार्ता हुई है. 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी, जिसके बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया था. हालांकि, तब से दो बार कोर कमांडर स्तर पर बातचीत हो चुकी है.
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि राजनाथ सिंह 27 और 28 अप्रैल को हिस्सा लेने वाले रक्षा मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे, जहां द्विपक्षीय रक्षा संबंधी मुद्दों और पारस्परिक हित के अन्य मामलों पर चर्चा की जाएगी.
भारत-चीन के बीच सीमा को लेकर टकराव
इससे पहले रविवार को भारत और चीन के बीच 18 वें दौर की कोर कमांडर स्तर की बातचीत हुई, जिसमें दोनों देश निकट संपर्क में रहने और पूर्वी लद्दाख में बाकी मुद्दों के लिए जल्द से जल्द पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमत हुए. हालांकि, दोनों देशों के बीच तीन साल से सीमा को लेकर गतिरोध चल रहा है, जिसे समाप्त करने के लिए स्पष्ट रूप से आगे बढ़ने का कोई संकेत नहीं मिला है.
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पूर्वी लद्दाख सीमा के साथ पैंगोंग झील क्षेत्र में 5 मई, 2020 को एक सैन्य गतिरोध के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आ गई थी. जून 2020 में गालवान घाटी में भयंकर संघर्ष के बाद संबंधों में और तनाव आ गया था. भारत ने कहा है कि चीन के साथ उसके संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते जब तक कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल नहीं हो जाती है.
पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने
भारतीय तैयारियों से निपटने के लिए चीन अपने नए हवाई क्षेत्रों और सैन्य ठिकानों के साथ लद्दाख के विपरीत क्षेत्रों में अपनी वायु और थल सेना को मजबूत कर रहा है. इतना ही नहीं, चीनियों ने अपने क्षेत्र में गश्त कर रहे भारतीय विमानों के लिए खतरा पैदा करने के लिए अपनी एयर डिफेंस सिस्टम को भी तैनात किया है. वहीं, भारत किसी भी चीनी दुस्साहस से निपटने के लिए नियमित रूप से पूर्वी लद्दाख सेक्टर में नए रडार और वायु रक्षा प्रणाली तैनात कर रहा है.
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पिछली बैठक में निकट संपर्क में रहने पर बनी थी सहमति
इससे पहले 17 जुलाई 2022 को 16वें दौर की बैठक हुई थी. उसके बाद इस 20 दिसंबर को दोनों पक्षों ने खुले और रचनात्मक तरीके से पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी के साथ संबंधित मुद्दों के समाधान पर बातचीत की. इस बातचीत के दौरान दोनों पक्ष पश्चिमी क्षेत्र में जमीनी स्तर पर सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने पर सहमत हुए. दोनों पक्षों ने निकट संपर्क में रहने और सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत बनाए रखने और जल्द से जल्द शेष मुद्दों के परस्पर स्वीकार्य समाधान पर काम करने पर सहमति व्यक्त की.
9 दिसंबर 2022 को हुई थी झड़प
बताते चलें कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में चीनी सेना और भारतीय सेना के बीच हुई झड़प को लेकर चीन की सेना ने देर से पहला रिएक्शन दिया था. इस झड़प को लेकर चीन ने भारतीय सेना पर ठीकरा फोड़ दिया था. चीनी सेना ने आरोप लगाया कि भारतीय सेना के जवानों ने अवैध तरीके से विवादित सीमा को पार किया था, जिसकी वजह से झड़प शुरू हुई. हालांकि, मोदी सरकार ने बयान में कहा कि 9 दिसंबर को हुई झड़प में भारतीय सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी सैनिकों की घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर उन्हें बाहर खदेड़ दिया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि इस झड़प में किसी भी भारतीय सैनिक का निधन नहीं हुआ है और ना ही कोई गंभीर रूप से घायल हुआ है.
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