
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल में हिस्सा लिया, इस दौरान उन्होंने सेना और बॉर्डर से जुड़े तथ्यों को आम जन तक पहुंचाने और नई पीढ़ी के लिए तैयार करने पर जोर दिया.
राजनाथ बोले कि एक और दृष्टिकोण से यह आयोजन मुझे बहुत महत्वपूर्ण लगता है. जैसे समय बदल रहा है, खतरों और युद्धों के चरित्र में भी बदलाव आ रहा है. भविष्य में और भी सुरक्षा से जुड़े मुद्दे हमारे सामने आ सकते हैं, धीरे-धीरे संघर्ष इतना व्यापक होता जा रहा है, जिसकी पहले कभी कल्पना भी नहीं की गई थी.
आमजन तक पहुंचे हमारा इतिहास: राजनाथ
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि यहां लोग किताबों के द्वारा, सेना से जुड़ी सैद्धांतिक जानकारियां तो ले ही सकते हैं, सेना के अफसरों और जवानों से संवाद करके, उनके निजी और रियलिस्टिक अनुभवों को भी जान सकते हैं. साथ ही उनके दिखाए गए करतबों से वे सेना के ऑपरेशंस, और उनकी कार्य प्रणालियों के बारे में भी जान सकते है.
रश्रा मंत्री बोले कि मिलिट्री लिटरेचर को आमजन से जोड़ने के पीछे, खुद मेरी भी गहरी रुचि रही है. मेरी बड़ी इच्छा है कि हमारी आने वाली पीढ़ियां, हमारे देश के इतिहास, ख़ासकर सीमाई इतिहास को जानें और समझें. इसलिए रक्षा मंत्री का पद ग्रहण करने के साथ ही, मैंने बकायदा एक कमेटी गठित की. यह हमारे सीमाई इतिहास, उससे जुड़े युद्ध, शूरवीरों के बलिदान, और उनके समर्पण को सरल, और सहज तरीके से लोगों के सामने लाने की दिशा में काम कर रही है.
उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय से जुड़े थिंकटैंक, मिलिट्री, स्ट्रेटजी से से जुड़ी Researches, Journals और Periodicals का ऑफलाइन और ऑनलाइन प्रकाशन करते हैं, ताकि इस विषय में रुचि रखने वाले लोगों तक, ऐसी सामग्रियां पहुंच सकें. समय-समय पर, मैं खुद इन कामों की समीक्षा करता रहता हूं और जरूरी दिशानिर्देश देता रहता हूं. मेरा प्रयास रहता है, कि हमारे देश की जनता, अलग-अलग स्तरों पर हमारी सेनाओं, और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चीजों को, अच्छी तरह से समझें और यथासंभव उसमें अपना योगदान भी दें.
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देशभक्ति के साहित्य का इतिहास: राजनाथ
रक्षा मंत्री बोले कि हमारा पंजाब प्रांत, आज से नहीं, सदियों से शूर-वीरों का जन्मदाता रहा है. ऐसे में इस तरह के उत्सव की शुरुआत अगर कहीं से हो सकती थी, तो वह पंजाब प्रांत से ही हो सकती थी. यह आयोजन हमारे उन वॉरियर्स को श्रद्धांजलि भी है, जिन्होंने राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया. हमारे देश में राष्ट्रीयता की भावना से साहित्य लिखे जाने की पुरानी परंपरा रही है. हिंदी हो या पंजाबी, या फिर गुजराती, लगभग सभी भाषाओं में ऐसे लेखन हुए हैं, जिन्होंने अपने समय में लोगों के अंदर स्वदेश प्रेम की भावना को जागृत और विकसित किया है.
रक्षा मंत्री बोले कि प्राचीन काल में ‘चाणक्य’ जैसे विद्वान रहे हैं, जिन्होंने Warfare के बारे में लिखा है, जो कई दृष्टियों से आज भी प्रासंगिक हैं. वहीं आधुनिक भारत में देखें, तो ‘महात्मा गांधी’, ‘सुभाष चंद्र बोस’, ‘सरदार भगत सिंह’ और ‘लाला लाजपत राय’ से लेकर ‘प्रेमचंद’, ‘जयशंकर प्रसाद’ और ‘माखनलाल चतुर्वेदी’ ने राष्ट्रीयता की जो अलख अपनी लेखनी से लगाई, वह आज भी पाठकों के ह्रदय को राष्ट्रप्रेम के प्रकाश से भर देती है.