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दिग्विजय सिंह जब मुख्यमंत्री थे... जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा में सुनाया किस्सा

राज्यसभा में पीएम के संबोधन के बाद सदन की कार्यवाही नहीं चल सकी. राज्यसभा में शाम को कार्यवाही नहीं चल सकी, लेकिन किस्सों और संस्मरणों का दौर चला. सदन चलाने की कोशिश में सभापति जगदीप धनखड़ ने कई किस्से सुनाए.

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 7:12 PM IST

गुरुवार को राज्यसभा की कार्यवाही हंगामेदार रही. पीएम मोदी को नारेबाजी के बीच भाषण देना पड़ा तो वहीं धन्यवाद प्रस्ताव पर वोटिंग और इसके पारित होने के बाद सदन की कार्यवाही सत्ता पक्ष के हंगामे के कारण बार-बार बाधित हुई. दो स्थगित किए जाने के बाद तीसरी बार भी सत्तापक्ष की नारेबाजी जारी रही तो सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन की कार्यवाही कल 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया. इससे पहले सदन में किस्से-कहानियों और संस्मरणों का दौर भी चला.

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राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन स्थगित करने से तब का किस्सा सुनाया जब दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. सभापति ने कहा कि दिग्विजय सिंह 10 साल के लिए मुख्यमंत्री रहे थे. उन्होंने कहा कि जब दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री हुआ करते थे तब ये मुझे डायरेक्ट फोन करते थे. सभापति ने कहा कि तब मैं अक्सर फोन उठाकर बोलता- हैलो कौन.

जगदीप धनखड़ ने कहा कि मैं बोलता हैलो कौन और दिग्विजय सिंह कहते कि बात करने के लिए किसी पीए की जरूरत है क्या. उन्होंने सदस्यों से कहा कि हम चर्चा के लिए बड़ी सुंदर जगह पर हैं. हालांकि, सदस्यों पर इसका कोई असर नहीं हुआ और हंगामा जारी रहा जिसके बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन की कार्यवाही कल 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी.

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इससे पहले सभापति जब सदन की कार्यवाही शुरू कराने के लिए आसन तक आए, सदस्यों का अभिवादन स्वीकार किया. उन्होंने कहा कि जयराम हर चीज देख सकते हैं. हमारे बीच गहरे वैचारिक मतभेद हैं लेकिन इनके नाम की वजह से इनका बड़ा सम्मान करता हूं. क्योंकि इनका नाम है 'जय राम'. राज्यसभा के सभापति ने इसके बाद 1990 के दशक को याद किया.

उन्होंने कहा कि इनको देखकर मुझे तब की याद आ गई जब हमारे दो सांसद हुआ करते थे. राज्यसभा के सभापति ने कहा कि तब हमारे दो सांसद हुआ करते थे. एक बड़े ही सेंसिटिव व्यक्ति थे लेकिन नाम था जालिम सिंह. दूसरे सदस्य थे ठीक उलट नाम था. उनका नाम था सुंदरलाल. जगदीप धनखड़ ने कहा कि ये काका से आते थे जहां से मैं आता हूं. वहां के लोग बड़े कड़क होते हैं. उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि ऐसा मै नहीं, ये कह रहे हैं.

इसी बीच जगदीप धनखड़ ने मुकुल वासनिक को टोका. उन्होंने कहा कि मुकुल जी मैं आपको बता रहा हूं, ये जो सांकेतिक वाली बात है न. ये बहुत कठिन है जब आप किसी हार्वर्ड वाले से डील कर रहे हों. उन्होंने कहा कि आपको मेरी तुलना में बहुत अच्छा अनुभव होगा.

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