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टिकैत बोले- किसान आंदोलन की शाहीन बाग से न करें तुलना, आंदोलनजीवी पर PM मोदी पर साधा निशाना

राकेश टिकैत ने कहा कि इस आंदोलन की तुलना शाहीन बाग से मत कीजिए. यह किसानों का मूवमेंट है. इस मसले को भी शाहीन बाग बनाने की साजिश थी, वही पत्थरबाज यहां आए. हमारी निगाह सब पर है कि कौन कैसी भाषा इस्तेमाल कर रहा है और कौन पत्थरबाज यहां आया है. 

राकेश टिकैत राकेश टिकैत
कुमार कुणाल
  • नई दिल्ली ,
  • 10 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 3:36 PM IST
  • टिकैत बोले- किसान आंदोलन की शाहीन बाग से तुलना नहीं
  • आंदोलनजीवी वाले बयान पर PM मोदी पर साधा निशाना
  • दीप सिद्धू पर खुलकर बोले टिकैत

तीन कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की मांग को लेकर किसान दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हैं. इस बीच, भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने आजतक संवाददाता कुमार कुणाल से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने किसान आंदोलन, दीप सिद्धू और आंदोलनजीवी वाले बयान पर खुलकर अपनी बात रखी. 

दीप सिद्धू को लेकर क्या बोले राकेश टिकैत 

लाल किला हिंसा मामले में आरोपी दीप सिद्धू को लेकर राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार दीप सिद्धू के नाम पर उलझाना चाहती है, ताकि बिल वापसी ना हो. उन्होंने कहा कि क्या दीप सिद्धू के झंडा फहराने से किले पर कब्जा हो गया, क्या उसकी सरकार बन गई? दीप सिद्धू के मसले को बहुत ज्यादा तूल न दिया जाए. हमारा सवाल लाल किले पर झंडा फहराने का नहीं है, बल्कि हमारा सवाल तो कृषि कानून की वापसी का है. उन्होंने कहा कि दीप सिद्धू तो साजिश का मोहरा था. अब पता नहीं आगे सरकार की और क्या कुछ मंशा है. 

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पीएम मोदी के आंदोलनजीवी वाले बयान पर टिकैत बोले 

पीएम मोदी के आंदोलनजीवी वाले बयान पैर टिकैत ने कहा कि नाम सही दिया है प्रधानमंत्री ने भगत सिंह जी आंदोलनजीवी थे, जिन्होंने देश को आजाद करवाया. वह सभी आंदोलनजीवी थे. हमारे सैनिक भी आंदोलनजीवी हैं. यह देश और जवानों का अपमान है. पब्लिक के बीच में मैसेज तो चला गया, हमें गर्व है कि हम आंदोलनजीवी हैं.

शाहीन बाग से मत कीजिए तुलना 

राकेश टिकैत ने कहा कि इस आंदोलन की तुलना शाहीन बाग से मत कीजिए. यह किसानों का मूवमेंट है. इस मसले को भी शाहीन बाग बनाने की साजिश थी, वही पत्थरबाज यहां आए. हमारी निगाह सब पर है कि कौन कैसी भाषा इस्तेमाल कर रहा है और कौन पत्थरबाज यहां आया है. 

अयोध्या और बाबरी का जिक्र 

टिकैत ने आगे कहा कि अयोध्या में भी तो जब बाबरी मस्जिद टूटी थी तो आंदोलनकारी भीड़ को कंट्रोल नहीं कर पाए थे. भीड़ के सामने बैरिकेडिंग रूकती है क्या? उस दिन यह कटीले तार कहां चले गए थे. 

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किसानों पर दर्ज मामले वापस हो

राकेश टिकैत ने कहा कि क्या यह हार-जीत की लड़ाई है? लाल किले पर कब्जा हो गया क्या, उससे फसलों के रेट तय हो जाएंगे क्या? जो लोग जेलों में बंद है, जिनके खिलाफ मामले दर्ज हुए हैं उन्हें वापस लिया जाए, ताकि हम भी अपने गांव वापस जा सकें. हम चाहते हैं कि एमएसपी पर कानून बने. 

सरकार पर साधा निशाना 

टिकैत ने कहा कि ये (सरकार) बिल वापसी नहीं करने का लिंक ढूंढ रही है,  जबकि हमारे आंदोलन का लिंक तो सिर्फ खेती से है. हमारा इन सब चीजों से कोई मतलब नहीं है और किसान भी उस लाइन पर नहीं जाएगा. किसान नेता ने कहा कि किसी से 25 जनवरी को 7 बजे बयान दिलवाया गया और वही 13 घंटे बाद लाल किले पर मिला. कौन लेकर गया उसको, यह जांच का विषय है.  

उन्होंने कहा कि इसके पीछे इशारा सरकार कर रही है. ये चक्रव्यूह था जिसमें किसान फंसा नहीं. ऐसी राजनीति नहीं करना चाहिए. इनको देश से कोई लेनादेना नहीं है.

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