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किसानों की मांगें पूरी नहीं हुईं तो कांवड़ यात्रा के बाद शुरू करेंगे आंदोलन... राकेश टिकैत की सरकार को चेतावनी

हरिद्वार में आयोजित चार दिवसीय किसान कुंभ के मुख्य प्रस्तावों में अलग से किसान आयोग का गठन, किसानों को मुफ्त बिजली सुनिश्चित करना, आवारा पशुओं की समस्या का समाधान करना और छोटे जोत वाले किसानों के लिए ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराना शामिल था.

बीकेयू नेता राकेश टिकैत. (ANI/File Photo) बीकेयू नेता राकेश टिकैत. (ANI/File Photo)
कुमार कुणाल
  • हरिद्वार ,
  • 18 जून 2024,
  • अपडेटेड 11:53 PM IST

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) द्वारा हरिद्वार में आयोजित चार दिवसीय किसान कुंभ के समापन पर एक महापंचायत आयोजित की गई, जिसमें 26 प्रस्ताव पारित किए गए और 100 दिवसीय संघर्ष का एजेंडा तय किया गया. सभा को संबोधित करते हुए, बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसानों के मुद्दों के प्रति केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की उदासीनता को दूर करने के लिए एक मजबूत संगठन की आवश्यकता पर जोर दिया.

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टिकैत ने चेतावनी दी कि अगर सरकार किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं देती है तो कांवड़ यात्रा के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. उन्होंने किसानों के हितों की रक्षा के लिए एकजुट मोर्चे की वकालत करते हुए 2025 तक 25 किसान भवन बनाने का लक्ष्य रखा. उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) गारंटी कानून के महत्व को रेखांकित किया और किसानों की सहायता के लिए तत्काल कार्यान्वयन का आग्रह किया.

राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार को उनके घोषणापत्र के वादों और तीन कृषि विधेयकों को वापस लेने की याद दिलाई, एक मजबूत भूमि अधिग्रहण कानून और आदिवासी किसानों के संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया. मुख्य प्रस्तावों में अलग से किसान आयोग का गठन, किसानों को मुफ्त बिजली सुनिश्चित करना, आवारा पशुओं की समस्या का समाधान करना और छोटे जोत वाले किसानों के लिए ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराना शामिल था.

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महापंचायत ने स्वस्थ जल प्रणालियों और बेहतर ग्रामीण बुनियादी ढांचे के महत्व पर भी प्रकाश डाला. युवाओं से जुड़े मुद्दों पर बात करते हुए टिकैत ने अग्निवीर योजना को खत्म करने की मांग की और सरकार से इन युवाओं को अन्य सुरक्षा बलों में शामिल करने और बेरोजगारी भत्ता देने का आग्रह किया. इसके अलावा, उन्होंने युवाओं की शिकायतों को दूर करने के लिए युवा आयोग बनाने की वकालत की और युवा किसानों के बीच कुटीर और लघु उद्योगों को बढ़ावा देने पर जोर दिया.

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