दिल्ली के जिस थाने में राकेश टिकैत थे कॉन्स्टेबल, जब वहां पहुंचे तो क्यों बढ़ गई हलचल?

साउथ दिल्ली के थाने में पहुंचते ही वहां मौजूद पुलिसवालों में इस बात को लेकर के कौतूहल था कि किसान नेता अचानक उनके थाने पर क्यों चले आए. आनन-फानन में इलाके के डीसीपी को भी इसकी जानकारी दे दी गई कि किसान नेता राकेश टिकैत थाने में धमक आए हैं. 

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Rakesh Tikait Rakesh Tikait

कुमार कुणाल

  • नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 10:46 AM IST
  • टिकैत की पोस्टिंग आरके पुरम थाने में हुई थी
  • बम स्क्वायड में साल 1991 में हुई थी भर्ती

दिल्ली के बॉर्डर पर लगभग 11 महीने से प्रदर्शन कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत अचानक शुक्रवार को दिल्ली के आरके पुरम थाना पहुंच गए. टिकैत के अचानक पहुंचने से थाने में गहमागहमी शुरू हो गई.

साउथ दिल्ली के थाने में पहुंचते ही वहां मौजूद पुलिस वालों में इस बात को लेकर के कौतूहल था कि किसान नेता अचानक उनके थाने पर क्यों चले आए. आनन-फानन में इलाके के डीसीपी को भी इसकी जानकारी दे दी गई कि किसान नेता राकेश टिकैत थाने में धमक आए हैं. 

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किसान आंदोलन के मद्देनजर दिल्ली में राकेश टिकैत की किसी थाने में एंट्री को लेकर बवाल मचना लाजमी था. तुरंत सुरक्षा चाक-चौबंद कर दी गई की कहीं कोई बवाल मचाने राकेश टिकैत ना पहुंचे हों. अभी अफरा-तफरी मचनी शुरू ही हुई थी कि राकेश टिकैत ने वहां मौजूद पुलिसवालों को अपनी 25 साल पुरानी कहानी बतानी शुरू की. टिकैत ने उन्हें बताया कि 25 साल पहले वो इसी थाने में बतौर कॉन्स्टेबल काम करते थे. 

दरअसल, राकेश टिकैत की भर्ती दिल्ली पुलिस के बम स्क्वायड में साल 1991 में हुई थी और उनकी पोस्टिंग आरके पुरम थाने में हुई. जहां लगभग 5 साल तक यानी सन 91 से लेकर 96 तक वह बतौर कॉन्सटबल काम करते रहे.

बम दस्ते में बतौर सिपाही थे

राकेश टिकैत बताते हैं कि पुलिसवालों को इतना ही सुनना था कि वहां पर मौजूद सभी पुलिसवालों ने बड़े अच्छे तरीके से उनका सत्कार भी दिया. वो कहते हैं कि वह बेशक किसान नेता बन गए हो लेकिन उन्हें यह बिल्डिंग अभी याद थी जहां पर उन्होंने तकरीबन 5 साल तक काम किया था. बम दस्ते में बतौर सिपाही काम करने पर टिकैत यह भी बताते हैं कि उस समय कहीं भी बम की सूचना मिलने पर उन्हें जाना पड़ता था और एक ऐसा ही वाकया तब दिल्ली के ग्रामीण इलाके नजफगढ़ में भी हुआ था. 

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आरके पुरम जाने की वजह भी रास्ते से गुजरती ही बन गई. लखीमपुर खीरी मामले में एक वरिष्ठ किसान नेता तेजिंदर सिंह विर्क को गंभीर चोट आई है और उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया है. मेदांता अस्पताल में उनका सफल ऑपरेशन रहा और वह अब ठीक हो रहे हैं. उन्हीं से मिलने राकेश टिकैत जब गाजीपुर से गुरुग्राम की तरफ निकले तो रास्ते में आरके पुरम मिल गया और फिर उनकी 25 साल पुरानी सभी यादें ताजा हो गईं.


 

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