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प्रियंका, हनीप्रीत और अब रूहानी दीदी... नाम बदलने के पीछे क्या है राम रहीम का मकसद?

यहां ये समझना जरूरी हो जाता है कि राम रहीम की मुंहबोली बेटी है हनीप्रीत. अच्छे दिनों में सिरसा डेरा मुख्यालय में इस मुंहबोली बेटी की तूती बोलती थी. अब एक बार फिर हनीप्रीत को वहीं ताकत मिल सके, कहा जा रहा है इसी वजह से ये नाम बदला गया है.

राम रहीम के साथ हनीप्रीत राम रहीम के साथ हनीप्रीत
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 9:26 PM IST

डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम ने अपनी मुख्य शिष्या का नाम एक बार फिर बदल दिया है. जेल से परोल पर छूटे राम रहीम ने बागपत आश्रम में हनीप्रीत के नए नाम का ऐलान किया. राम रहीम ने कहा - अब हनीप्रीत का नाम रूहानी दीदी होगा. हनीप्रीत का नाम असल में प्रियंका तनेजा है. यानी हनीप्रीत नाम भी राम रहीम का ही दिया हुआ था. अब हनीप्रीत रूहानी दीदी हो गई है. क्या नाम बदलने के पीछे राम रहीम का कोई गेमप्लान है?  

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वैसे गुरमीत राम रहीम ने हनीप्रीत का नाम कोई पहली बार नहीं बदला है. इससे पहले भी वो प्रियंका तनेजा को हनीप्रीत का नाम देकर डेरा में उसका रुतबा बुलंद कर चुके हैं. असल में सबसे पहले 1999 में प्रियंका तनेजा का नाम बदला गया था. तब राम रहीम ने ही प्रियंका का नाम बदल हनीप्रीत किया था. जेल से पेरोल पर निकलने के बाद अब फिर राम रहीम ने उसी परंपरा को दोहरा दिया है. हनीप्रीत को रूहानी दीदी बना दिया है.

डेरा का असल किंग कौन, राम रहीम की क्या रणनीति?

यहां ये समझना जरूरी हो जाता है कि राम रहीम की मुंहबोली बेटी है हनीप्रीत. अच्छे दिनों में सिरसा डेरा मुख्यालय में इस मुंहबोली बेटी की तूती बोलती थी. अब एक बार फिर हनीप्रीत को वहीं ताकत मिल सके, कहा जा रहा है इसी वजह से ये नाम बदला गया है.  डेरा सच्चा सौदा में हनीप्रीत को फिर सक्रिय करने के लिए ये फैसला हुआ है. जानकारी के लिए बता दें कि डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम 40 दिनों की पेरोल पर हैं और डेरा प्रमुख ने जेल से बाहर निकलकर यूपी के बरनावा में मौजूद आश्रम से लगातार अपने अनुयाइयों को सन्देश दिया है. डेरा से लाइव होते हुए इस बार डेरा प्रमुख ने अपने अनुयाइयों को डेरा की गद्दी पर सन्देश कुछ इस अंदाज़ में देकर खुद को ही डेरा का सर्वे सर्वा बताया है. डेरा प्रमुख ने कहा कि हम ही थे, हम ही हैं और हम ही रहेंगे. सूत्रों की चर्चाएं पता नहीं कहां से होती है.

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हनीप्रीत का डेरा में भविष्य क्या?

पिछले काफी समय से चर्चाये चल रही थी कि डेरा की कमान डेरा प्रमुख की मुंह बोली बेटी हनीप्रीत के हाथों में दी जाने वाली है. शायद इसी लिए ये नाम बदलने की रस्म पूरी की गई है ताकि हनीप्रीत के सर्वे सर्वा बनने के रास्ते की सभी रुकावटें नतमस्तक हो जाएं. कहा जा रहा है कि हनीप्रीत को रूहानी दीदी बनाकर उसने अपनी गद्दी के साथ-साथ डेरा पर हनीप्रीत का प्रभाव और बढ़ा दिया है. राम रहीम और हनीप्रीत न सिर्फ एक दूसरे के राजदार हैं बल्कि राम रहीम पूरी तरह से डेरा की चाबी रूहानी दीदी यानी हनीप्रीत के हाथ करने को बेताब हैं...ये बात शायद हनीप्रीत को भी अच्छी तरह पता थी कि एक रोज ऐसा आएगा...शायद तभी 2 साल बाद जेल से रिहा होने पर हनीप्रीत ने रोहतक के सुनारिया जेल जाकर राम रहीम से मिलने की कोशिश की थी...और हनीप्रीत की इस कोशिश को देखकर दुनिया को हैरानी भी नहीं हुई. 

राम रहीम और हनीप्रीत का 'करीबी' रिश्ता

याद कीजिए 25 अगस्त 2017 का वह दिन, जिस दिन पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत ने राम रहीम को दोषी ठहराया था. उस दिन भी हनीप्रीत ही राम रहीम के साथ थी. जेल जाने के बाद राम रहीम ने हनीप्रीत को बहुत मिस किया था...और उससे मुलाकात के लिए कितनी तड़प थी, इसका अंदाजा आप इस बात से ही लगाया जा सकता है कि गुरमीत राम रहीम जेल में हनीप्रीत को अपने साथ रखना चाहता था. और इसके लिए उसने बाकायदा जेल अधिकारियों को चिट्ठी लिखने के साथ साथ कोर्ट में याचिका भी दी थी. उम्रकैद की सज़ा मिलने के बाद राम रहीम ने कोर्ट में याचिक दायर कर अनुरोध किया था कि हनीप्रीत को उसके साथ रहने दिया जाय क्योंकि वह उसकी फिजियोथेरापिस्ट है और वही उसे मसाज भी देती है. कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था. हनीप्रीत ने भी अपने वकील के जरिए कोर्ट में आवेदन कर जेल में राम रहीम के साथ रहने देने की अनुमति मांगी थी. कोर्ट ने उसका आवेदन भी खारिज कर दिया था. 

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ऐसे में दोनों का रिश्ता कितना करीब था, ये पूरी दुनिया समझ चुकी है. लेकिन राम रहीम को पता है कि डेरा सच्चा सौदा कि अरबों की दौलत पर कई लोगों की गिद्ध दृष्टि लगी हुई है. ऐसे में राम रहीम को अपनी दौलत बचाने के लिए जो सबसे बेहतर उपाय था वो कर ही दिया है. इसी लिए राम रहीम ने अपनी सबसे बड़ी राज़दार हनीप्रीत को रूहानी दीदी का नया नाम देकर उस चुनौती को खत्म करने की कोशिश की है जो डेरा के भीतर उन्हें मिलने की खबरें आम होने लगी थीं.

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