
रमजान के महीने में ईद से पहले कल आखिरी जुमा है, इसे अलविदा जुमा कहा जाता है, जल्द ही ईद आ रही है. वहीं, दो दिन बाद हिंदू नागरिकों के लिए पवित्र चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होने वाली है. इससे पहले याद करिए होली के दिन ही रमजान का जुमा पड़ा था. त्योहार चाहे मुस्लिम का हो या पर्व हिंदू का... सब आसपास पड़ते हैं, ऐसे में सवाल है कि अगर एक तरफ मुस्लिमों के लिए सौगात है, तो दूसरी तरफ क्यों बंटने-बांटने की बात है?
एक तरफ कपड़े, दाल, चावल, सेवइयां, सरसों का तेल, चीनी और खजूर के साथ एक तऱफ मुस्लिमों के लिए सौगात है, तो दूसरी तरफ बंटने-बांटने की बात. नवरात्रि में मीट-मटन की दुकानों की बंदी की मांग के बीच 'सेवइयां खिलानी हैं तो गुझिया भी खानी पड़ेगी' वाला संभल के सीओ का विवादित बयान भी चर्चा में है.
दरअसल, अलविदा जुमे की नमाज़ को लेकर नई बहस शुरू हो गई है. दिल्ली से लेकर संभल तक और संभल से मेरठ तक चेतावनी जारी कर दी गई है कि कोई भी सड़क पर या घरों की छतों पर नमाज़ नहीं पड़ेगा. दिल्ली में बीजेपी के विधायकों ने पुलिस कमिश्नर को पत्र लिख दिया है, तो संभल में पीस कमेटी की बैठक बुलाकर सबको नसीहत दी गई है कि कोई मस्जिद के अलावा कहीं नमाज़ पढ़ता हुआ दिखाई दिया, तो सख्त एक्शन होगा. वहीं, मेरठ में तो पुलिस ने कह दिया है कि अगर किसी को सड़क पर नमाज पढ़ते देख लिया, तो उसका ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट तक रद्द हो सकता है. दरअसल, मेरठ एसपी सिटी आयुष विक्रम ने कहा कि अगर किसी के खिलाफ केस कोई बनता है, तो यही होता है कि पासपोर्ट और लाइसेंस रद्द किए जा सकते हैं. नए नहीं बनते, जब तक कोर्ट से एनओसी न मिल जाए.
जयंत चौधरी को नहीं जंचा मेरठ पुलिस का बयान
हालांकि मेरठ पुलिस का ये बयान बीजेपी के साथी और केंद्र में मंत्री जयंत चौधरी को जंचा नहीं. बीजेपी के साथी दल के प्रमुख ने मेरठ में पुलिस आदेश की तुलना ऑरवेलियन 1984 की पुलिसिंग से कर दी. ये कहने की कोशिश है कि मौजूदा पुलिसिंग या शासन व्यवस्था वैसी हो गई है जैसा कि जॉर्ज ऑरवेल के उपन्यास 1984 में बताया गया है. जिसमें सत्ता निरंकुश होती है, जयंत चौधरी क्या दबी जुबान ये सवाल इसलिए भी उठा रहे हैं क्योंकि एक तरफ दिल्ली से बिहार तक मुस्लिम नागरिकों को ईद पर सौगात बांटी जाती है तो दूसरी तरफ संभल में आखिरी जुमा की नमाज से पहले पीस कमेटी की बैठक में संभल के सीओ अनुज चौधरी की तरफ से 52 जुमा, एक होली के बाद अब नई ऐसी बात कही जाती है. जो पॉलिटिकल पहलवानी ज्यादा लगती है.
सौगात देकर बड़े संदेश की लकीर खींची जा रही
संभल के सीओ अनुज चौधरी ने कहा था कि अपना त्योहार अपने तरीके से मनाने के लिए हर आदमी स्वतंत्र है. अगर मेरा वक्तव्य गलत था तो सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट में चैलेंज करते. मैंने दोनों के लिए चीज़ बराबर बोली. हर आदमी को अपना-अपना अधिकार है, अगर आप ईद की सिवइयां खिलाना चाहते हो, तो आपको गुजिया भी खानी पड़ेगी. ऐसे ही बयानों की बीच सवाल ये है कि जब एक तरफ सौगात से बड़े संदेश की लकीर खींची जाती है तो उसे कुछ लोग समेट देना चाहते हैं या फिर ये भी एक राजनीति ही है?
दिल्ली, संभल और मेरठ में सख्ती
संभल में पुलिस और प्रशासन ने कहा कि सड़क पर और छतों पर कोई भी नमाज़ नहीं पढ़ेगा. वहीं, दिल्ली में बीजेपी विधायक करनैल सिंह ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को चिट्ठी लिखकर मांग की है कि अलविदा जुमे की नमाज सड़क पर नहीं होनी चाहिए और तीसरा यूपी के मेरठ में एसपी सिटी ने सख्त आदेश जारी कर दिए हैं कि अगर कोई सड़क पर अलविदा जुमे और ईद की नमाज़ पढ़ेगा तो, उसका पासपोर्ट और लाइसेंस जब्त हो सकता है. अब इस पर सियासत शुरू हो गई है.
बीजेपी विधायक की मांग पर सियासत शुरू
बीजेपी विधायक करनैल सिंह ने अपने पत्र में लिखा कि जो सड़कों पर नमाज़ हो रही है, हर शुक्रवार को नमाज़ पढ़ते हैं, ट्रैफिक जाम हो जाता है, एंबुलेंस फंसी रहती हैं, माता मंदिर जो कनॉट प्लेस के पास है, वहां पर आधे घंटे तक एक एंबुलेंस खड़ी रही, उनके कान पर जूं नहीं रेंगी. जब मस्जिद में उनके पास जगह है, तो मस्जिद में नमाज़ पढ़ें. ऐसा नहीं है कि हम किसी कानून के विरोधी हैं, सभी कानून का पालन करें. इस पर आम आदमी पार्टी के विधायक चौधरी जुबैर ने कहा कि दिल्ली में अब सड़कों पर नमाज़ नहीं होती है और अगर कहीं होती होगी, तो मजबूरी में होती होगी. बीजेपी के नेताओं को कोई काम नहीं है. एक नेता कहता है कि मीट की दुकानें बंद कर दी जाएं, एक नेता कहता है कि नमाज़ से दिक्कत होती है, अज़ान से दिक्कत होती है. वहीं बीजेपी विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने कहा कि उन्होंने जनभावना को देखते हुए पत्र लिखा है, हम किसी के नमाज़ अदा करने या ना करने के विरोधी नहीं हैं, आप मस्जिद में करिए ना, लेकिन मेन रोड में नमाज पढ़कर दूसरे लोगों को परेशान ना करें.