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रामपुरः आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन पर कब्जा ले सकती है सरकार

ये मामला जौहर यूनिवर्सिटी से जुड़ा है, जिसकी स्थापना के समय उत्तर प्रदेश भूमि अधिनियम के अंतर्गत किसी व्यक्ति या संस्था के द्वारा अधिकतम साढ़े 12 एकड़ भूमि रखे जाने की सीमा को लेकर शासन से छूट प्राप्त की गई थी जिसमें शासन द्वारा कुछ शर्तें लगाई गई थीं. हालांकि अब प्रशासन का आरोप है कि जौहर ट्रस्ट द्वारा उन शर्तों का उल्लंघन किया गया.

आजम खान के जौहर यूनिवर्सिटी को कब्जे में ले सकती है सरकार (फाइल-पीटीआई) आजम खान के जौहर यूनिवर्सिटी को कब्जे में ले सकती है सरकार (फाइल-पीटीआई)
आमिर खान
  • रामपुर,
  • 01 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 11:56 PM IST
  • मामला एडीएम प्रशासन रामपुर की अदालत में चल रहा
  • आजम पर साढ़े 12 एकड़ से ज्यादा जमीन लेने का आरोप
  • जौहर ट्रस्ट द्वारा शर्तों का उल्लंघन किया गया: प्रशासन
  • मामले की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को तय की गई

रामपुर में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद आजम खान और जिला प्रशासन के बीच चूहा-बिल्ली का खेल अभी भी जारी है. उनके ऊपर दर्ज किए गए 80 से ज्यादा मुकदमों में से अधिकतर में अदालतों से जमानत मिलने के बाद प्रशासन ने आजम खान पर अब राजस्व अदालतों में शिकंजा कसना शुरू कर दिया है.

इसी क्रम में आजम खान की मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन सरकार के कब्जे में लिए जाने को लेकर मुकदमा एडीएम प्रशासन रामपुर की अदालत में चल रहा है.

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शर्तों के उल्लंघन का आरोप
मामला मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी से जुड़ा है जिसकी स्थापना के समय उत्तर प्रदेश भूमि अधिनियम के अंतर्गत किसी व्यक्ति या संस्था के द्वारा अधिकतम साढ़े 12 एकड़ भूमि रखे जाने की सीमा को लेकर शासन से छूट प्राप्त की गई थी जिसमें शासन द्वारा कुछ शर्तें लगाई गई थीं.

प्रशासन का आरोप है कि जौहर ट्रस्ट द्वारा उन शर्तों का उल्लंघन किया गया जिसके चलते जौहर यूनिवर्सिटी के लिए साढ़े 12 एकड़ से अधिक भूमि की अनुमति निरस्त मानी जाएगी और तमाम भूमि सरकार की घोषित करते हुए उस पर सरकार का कब्जा लिए जाने की कार्रवाई की जा रही है.

वहीं शासकीय अधिवक्ता अजय तिवारी से आजतक ने बात की तो उन्होंने इस पूरे प्रकरण के बारे में तफसील से बताया. उन्होंने कहा कि आजम खान ने जौहर यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए साढ़े 12 एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदने की अनुमति शासन से मांगी थी, उस शासनादेश के अनुसार उन्होंने कहा था कि 400 एकड़ जमीन हमें जौहर यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए चाहिए.

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अनूसूचित जाति के लोगों की जमीन ली
उन्होंने कहा कि 400 एकड़ जमीन खरीदने की अनुमति उन्होंने 2005 में प्राप्त की थी. जो अनुमति उन्हें मिली थी, वो कुछ शर्तों के तहत थी. उसकी शर्त नंबर 5 में शासनादेश में यह लिखा हुआ है अगर किसी भी शर्त का उल्लंघन होगा तो ये 12 एकड़ से ज्यादा जमीन किसानों की खरीदी गई है, अपने आप सरकार में निहित हो जाएगी क्योंकि उनके द्वारा शासनादेश में जो शर्तें दी गई थीं उसमें एक अनुमति यह थी कि आपके द्वारा जितनी जमीन खरीदने की अनुमति मांगी गई है. शासनादेश की तिथि से 5 साल के अंदर स्थापना पब्लिक निर्माण का कार्य पूरा करना होगा.

उन्होंने कहा कि इस तरह से जौहर यूनिवर्सिटी की स्थापना और निर्माण से संबंधित जो भी कार्य हैं उसे 5 साल के अंदर पूरा करना होगा. दूसरी शर्त उनकी यह थी जिसमें उसका प्रस्ताव भी गया था. आजम खान की तरफ से यह कहा गया था कि किसानों की सहमति हमें मिल गई है और उनकी सहमति के बाद ही हम यह जमीन खरीद रहे हैं. इसमें यह भी था कि इसमें अनुसूचित जाति और जनजाति में से किसी की जमीन तो नहीं है, इसमें उस प्रस्ताव में लिखा है कि इस तरह का कोई व्यक्ति इसमें नहीं है.

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शासकीय अधिवक्ता अजय तिवारी ने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति के व्यक्तियों की भी रसूख का फायदा उठाते हुए उनकी जमीनें भी खरीदी गईं. उसके अलावा रेत की जमीन को पट्टा करके अपने यूनिवर्सिटी में मिलाया गया जो नदी की जमीन का पट्टा शासन निरस्त कर चुका है. चकरोड को शामिल किया गया जो ग्राम सभा की सुरक्षित भूमि थी. उसमें यह भी था ऐसी सुरक्षित भूमि को यूनिवर्सिटी में शामिल नहीं किया जाएगा. इसके अलावा लोकहित के जो काम थे उसे करने के लिए जमीन खरीदने की अनुमति प्रदान की गई थी लेकिन उन्होंने अपने जवाब में कोई ऐसा साक्ष्य नहीं दिया कि इनके द्वारा चैरिटी के क्या-क्या काम किए जा रहे हैं.

गरीब बच्चों को भी सहूलियत नहीं

उन्होंने कहा कि इनका कहना यह था कि लोगों को शिक्षित करने के लिए हम जौहर यूनिवर्सिटी की स्थापना कर रहे हैं और यह भी कहा कि रामपुर शिक्षा की दृष्टि से काफी पिछड़ा हुआ है, जबकि रामपुर उत्तर प्रदेश का एकमात्र जिला ऐसा है जहां आजादी से पहले कई इंटर कॉलेज, कई डिग्री कॉलेज, कई उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रामपुर के अंदर थे. रामपुर हरगिज शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ नहीं था. हमारा कहना यह भी था कि आप यह कहते कि बच्चों को शिक्षा हम देंगे. हम पढ़ाएंगे, लेकिन बच्चों की फीस जो यूनिवर्सिटी में माफ की गई है उसका कोई जिक्र नहीं है. किसको कम शुल्क पर पढ़ाया जा रहा है, इसका कोई जिक्र नहीं है. सरकारी राजकीय रजा डिग्री कॉलेज में जहां बीएससी प्रीवियस की पढ़ाई की फीस है उसकी फीस 1500 रुपये है तो क्या जौहर यूनिवर्सिटी में इससे कम फीस पर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है.

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शासकीय अधिवक्ता अजय तिवारी ने कहा कि हमने कहा कि शर्तों का उल्लंघन हुआ है. हमारे जिलाधिकारी जो साढ़े 12 एकड़ से ज्यादा जमीन है जो खरीदी गई है, उस पर कब्जा लें क्योंकि वह जमीन सरकार की है. चूंकि शर्तों का उल्लंघन हुआ है तो वह जमीन अपने आप सरकार में निहित हो जाएगी. शर्तों का उल्लंघन किया गया है तो ट्रस्ट के लोगों ने आजम खान को हमने पहले उनके पते पर नोटिस भिजवाया था फिर पता चला कि वो सीतापुर जेल में निरूद्ध हैं तब हमने सीतापुर जेल में जेलर के माध्यम से नोटिस उनके पास भिजवाया तो वहां से रिपोर्ट आई कि उन्होंने नोटिस लेने से इनकार कर दिया. फिर हमने अखबार के माध्यम से उसका प्रकाशन कराया. ट्रस्ट के अध्यक्ष होने के नाते एडीएम प्रशासन जेपी गुप्ता के न्यायालय में ही मामला चल रहा है और अगली तारीख 7 अक्टूबर की मुकर्रर की गई है.

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