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यस बैंक के फाउंडर राणा कपूर को फिर झटका, जानिए बॉम्बे हाई कोर्ट ने क्यों नहीं दी जमानत

यस बैंक के संस्थापक रहे राणा कपूर को एक बार फिर झटका लगा है. बॉ़म्बे हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है. इससे पहले कपूर की एक और जमानत याचिका को हाईकोर्ट ने 25 जनवरी, 2021 को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा, उनके ऊपर लगे आरोप गंभीर हैं. सबूतों में छेड़छाड़ की आशंका को देखते हुए उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती है.

राणा कपूर (फाइल फोटो) राणा कपूर (फाइल फोटो)
विद्या
  • मुंबई,
  • 05 मई 2023,
  • अपडेटेड 6:41 AM IST

बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक बार फिर यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर को जमानत देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) के निदेशक कपिल वधावन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुनवाई करते हुए निर्णय लिया. कपूर की पहले की जमानत याचिका को हाईकोर्ट ने 25 जनवरी, 2021 को खारिज कर दिया था.

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तीन साल से हिरासत में हैं कपूर
न्यायमूर्ति पीडी नाइक की पीठ ने कहा, "हालांकि कपूर तीन साल से हिरासत में हैं, लेकिन सार्वजनिक धन की संलिप्तता से पता चलता है कि आरोप गंभीर है. सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका है." इसी पीठ ने कपूर की पहली जमानत अर्जी को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि कथित तौर पर उनकी कंपनियों की आपराधिक गतिविधियों के कारण सार्वजनिक धन के भारी नुकसान को गंभीरता से लेने की जरूरत है.

ये हैं राणा कपूर पर आरोप
न्यायमूर्ति पीडी नाइक की एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा कि राणा कपूर ने अपने परिवार के सदस्यों और सहयोगियों के लिए लाभ पहुंचाने के लिए अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया. उन रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों में शामिल होने के आरोप हैं. इसके जरिए करीब 5,333 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई. यह भी आरोप हैं कि विदेशों में भी करीब 378 करोड़ रुपये का निवेश किया गया. इसकी जांच अभी जारी है. बता दें कि कपूर के खिलाफ मामला पहली बार 2020 में सीबीआई द्वारा दर्ज किया गया था. उन्हें 8 मार्च, 2020 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज किए गए मनी लॉन्ड्रिंग केस के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था. 

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इस आधार पर मांगी थी जमानत
2018 में, यस बैंक ने कथित तौर पर DHFL के शॉर्ट टर्म डिबेंचर में ₹3,700 करोड़ का निवेश किया था. इसने डीएचएफएल की सहायक कंपनी को ₹750 करोड़ का लोन भी दिया था. कपूर ने कथित तौर पर DOIT अर्बन वेंचर्स (इंडिया) प्राइवेट को ऋण देकर ₹ 600 करोड़ की रिश्वत ली है. कपूर ने इस आधार पर दूसरी ज़मानत अर्जी दायर की कि उन्हें निर्धारित न्यूनतम सजा के समय से ज्यादा की अवधि के लिए कैद किया गया था. कपूर पर लगे आरोपों के लिए अधिकतम सजा सात साल है जबकि दोषी पाए जाने पर न्यूनतम सजा तीन साल है. कपूर ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि वह मार्च 2020 से हिरासत में हैं, और मामले की सुनवाई शुरू होने में अभी लंबा समय लगेगा. ऐसे में अब उनकी हिरासत की जरूरत नहीं है. 

अदालत ने दी ये दलील
"शिकायत में कपूर मुख्य अभियुक्तों में से एक है. उसने अपने और अपने परिवार के सदस्यों और सहयोगियों के लिए अनुचित वित्तीय लाभ प्राप्त करने के लिए अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया है. वह रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों में शामिल है. अपराध की कार्यवाही (POC) ) इस मामले में 5,333 करोड़ रुपये की राशि शामिल है. यह आरोप लगाया गया है कि कपूर ने अपने परिवार समूह के स्वामित्व वाली/नियंत्रित कंपनियों के माध्यम से भारत के बाहर बड़ी मात्रा में पीओसी की हेराफेरी की थी. 600 करोड़ रुपये का अपराध, विदेशों में 378 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है. अपराध की आय के सटीक स्तर से संबंधित निवेश अभी भी जांच के दायरे में है," न्यायमूर्ति नाइक ने कहा. पीठ ने आगे कहा, "अपराध और अपराध की गंभीरता को देखते हुए कपूर जमानत नहीं दी जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि मामले में सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका है. इसलिए, राणा कपूर को जमानत नहीं दी जा सकती है. 

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