Advertisement

रांची: ‘स्पेशली एबल्ड’ महिला किसान बनीं नजीर, सब्जी उगाकर दूसरों को भी दे रहीं रोजगार

कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से इस साल मार्च के बाद से तमाम काम-धंधों पर बुरा असर पड़ा. लेकिन उषा ने इस मुश्किल दौर में भी सब्जियों के उत्पादन और बिक्री को अधिक प्रभावित नहीं होने दिया. सब्जियों की फॉर्मिंग और मार्केटिंग की सारी प्लानिंग उषा खुद ही करती हैं. खेतों में बुवाई और कटाई की जरूरत के हिसाब से वो दूसरों को अस्थायी रोजगार भी देती हैं.

रांची में सब्जी की खेती करती उषा (फोटो-सत्यजीत) रांची में सब्जी की खेती करती उषा (फोटो-सत्यजीत)
सत्यजीत कुमार
  • रांची,
  • 05 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 11:26 PM IST
  • ग्रेजुएट उषा ने सब्जियों की फॉर्मिंग से चमकाई अपनी किस्मत
  • उषा लगभग 2 एकड़ जमीन पर सब्जियों का उत्पादन कर रही
  • खास तौर पर महिलाओं को दे रही आत्मनिर्भर बनने का संदेश

इंसान कुछ करने की ठान ले तो कोई मुश्किल, कोई अड़चन उसका रास्ता नहीं रोक सकती. इसी की जीती जागती मिसाल हैं रांची की उषा कुमारी. ‘स्पेशली एबल्ड’ उषा का हौसला भी स्पेशल है. जन्म से उनका एक हाथ काम नहीं करता. लेकिन इसे कभी उन्होंने अपने रास्ते की बाधा नहीं बनने दिया. चाहे पढ़ाई हो या फिर अब अपनी फॉर्मिंग, कमाल की इच्छाशक्ति से वो आगे बढ़ती रहीं.

Advertisement

33 साल की उषा ग्रेजुएट हैं और उनके परिवार में मां, पिता, भाई, भाभी और भतीजा है. लेकिन स्वावलंबन की पहचान उषा ने अपनी जीविका के लिए खुद जमीन बनाई. आज उसी का नतीजा है कि वो खुद अच्छी कमाई करने के साथ महिलाओं समेत कई दूसरे लोगों को भी रोजगार देती हैं. 

रांची के गंगु टोली की रहने वाली उषा कुमारी की पहचान इलाके में एक सफल महिला किसान के रूप में बन गई है. उन्हें आत्मनिर्भरता का दूसरा नाम बताया जाने लगा है. वो युवा वर्ग के लिए रोल मॉडल मानी जाने लगी हैं.  

अब बताते हैं कि कैसे उषा सब्जियों की खेती में एक-एक कदम बढ़ाते हुए सफलता की सीढ़ियां चढ़ती गईं. खुद अधिक जमीन पास नहीं होने की वजह से इन्होंने और जमीन लीज पर ली. इस वक्त उषा लगभग 2 एकड़ जमीन पर सब्जियों का उत्पादन कर रही हैं. फिलहाल इनके खेतों में फूल गोभी और पत्ता गोभी लहलहा रही हैं.

Advertisement
अन्य महिलाओं को भी रोजगार दे रही उषा

जमीन के हर 20 डेसीमल के प्लॉट पर उषा 2,500 पौधे लगाती हैं. मोटे तौर पर हर 20 डेसीमल से फूल गोभी, पत्ता गोभी से उषा को 60,000 रुपये की आमदनी होती है. उषा हरी मिर्च की खेती भी करती हैं. 

कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से इस साल मार्च के बाद से तमाम काम-धंधों पर बुरा असर पड़ा. लेकिन उषा ने इस मुश्किल दौर में भी सब्जियों के उत्पादन और बिक्री को अधिक प्रभावित नहीं होने दिया.

देखें: आजतक LIVE TV

सब्जियों की फॉर्मिंग और मार्केटिंग की सारी प्लानिंग उषा खुद ही करती हैं. खेतों में बुवाई और कटाई की जरूरत के हिसाब से वो दूसरों को अस्थायी रोजगार भी देती हैं. इसके लिए वो हर दिन 300 रुपये के हिसाब से भुगतान करती हैं. दर्जन से ज्यादा लोगों के घर का खर्च इसी कमाई से चलता है.  

उषा सभी को खासकर महिलाओं को आत्म निर्भर बनने का संदेश देना चाहती है, ताकि उन्हें दूसरों पर मोहताज होने की नौबत न आए. उषा से प्रेरणा लेकर गांव की कलावती देवी और कुमिता देवी भी सब्जियों के उत्पादन में साथ जुड़ी हुई हैं. अपने दम पर पैसे कमाने की खुशी इन महिलाओं के चेहरे पर साफ देखी जा सकती है.

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement