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रैपिड रेल में सुरक्षित होगा सफर, RRTS कॉरिडोर टनल में बन रहे क्रॉस पैसेज

दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के भूमिगत हिस्से में निर्माणाधीन समानांतर टनलों में यात्रियों की सुरक्षा के लिये क्रॉस पैसेज बनाने का कार्य किया जा रहा है. इन क्रॉस पैसेजे का निर्माण न्यू ऑस्ट्रेलियन टनलिंग मेथड (एनएटीएम) तकनीक के आधार पर किया जा रहा है.

Construction of cross passages in RRTS Tunnel Construction of cross passages in RRTS Tunnel
वरुण सिन्हा
  • नई दिल्ली,
  • 06 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 1:41 PM IST

दिल्ली-गाजियाबाद आरआरटीएस कॉरिडोर के भूमिगत हिस्से में हर रूट पर ट्रेनों के आने-जाने के लिए दो समानान्तर टनल का निर्माण किया जा रहा है. साथ ही, इन टनलों में हर 250 मीटर की दूरी पर एक-एक क्रॉस पैसेज का प्रावधान किया गया है. यानी दोनों टनल के बीच एक ऐसा हिस्सा, जिससे आवश्यकता या आपातकाल में एक टनल से दूसरी टनल के बीच आवागमन किया जा सके. यह क्रॉस पैसेज भूमिगत भाग में ट्रेनों के परिचालन और आपातकाल में यात्रियों की सुरक्षा में सहायक होते हैं. किसी आपातकालीन स्थिति में यदि किन्हीं अप्रत्याशित कारणों से एक टनल में ट्रेन का परिचालन रुक जाता है, तो इन क्रॉस पैसेज के माध्यम से यात्रियों को दूसरी टनल से बाहर निकाला जा सकता है. 

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कैसे होता है इसका निर्माण?

एनएटीएम तकनीक के तहत निर्माण के लिए क्रमिक उत्खनन विधि द्वारा पैसेज के लिए खुदाई की जाती है. सबसे पहले उत्खनन के उस हिस्से को मार्क किया जाता है. फिर हाथ से चलाई जाने वाली छोटी-छोटी मशीनों के जरिये मिट्टी की खुदाई की जाती है. मिट्टी को स्थिर बनाने के लिए रॉक बोल्ट लगाये जाते हैं. इस निर्माण प्रक्रिया के दौरान लगातार मिट्टी के दबाव और सतह पर होने वाले उसके असर को उपकरणों के माध्यम से चेक किया जाता है. क्रॉस पैसेज के निर्माण के साथ ही कंक्रीट से उसे मजबूत किया जाता है. फिर टनल रिंग्स इन्सटॉल करके इसे और अधिक मजबूती एवं स्थिरता प्रदान कर दी जाती है. छोटी एवं घुमावदार जगहों पर टनल निर्माण या क्रॉस पैसेज बनाने के लिये एनएटीएम पद्धति कारगर होती है.  

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जानें कितने टनल का होगा निर्माण?
दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ कॉरिडोर पर मेरठ में कुल 6 टनल का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें कुल 9 क्रॉस-पैसेज निर्मित किए जाएंगे. भैंसाली से मेरठ सेंट्रल के बीच निर्माणाधीन लगभग 2 किमी लंबी दोनों समानांतर टनल में कुल 6 क्रॉस पैसेज, भैंसाली से बेगमपुल के बीच लगभग 1 किमी लंबी दोनों समानांतर टनल में कुल 2 क्रॉस पैसेज और गांधी बाग से बेगमपुल के बीच लगभग 700 मीटर लंबी दोनों समानांतर टनल में 1 क्रॉस-पैसेज का निर्माण किया जाएगा.  

रैपिड रेल यात्रियों के लिए होंगे 4 टनल और 12 क्रॉस पैसेज 
वहीं, दिल्ली में आरआरटीएस कॉरिडोर पर कुल 4 टनल का निर्माण किया जाना है. जिनमें से कुल 12 क्रॉस-पैसेज निर्मित किए जाएंगे. न्यू अशोक नगर से आनंद विहार के बीच निर्माणाधीन 3 किमी लंबी दोनों समानांतर टनलों में कुल 8 क्रॉस-पैसेज और आनंद विहार से साहिबाबाद के बीच निर्माणाधीन 2 किमी लंबी दोनों समानांतर टनलों में कुल 4 क्रॉस-पैसेज का निर्माण किया जाएगा.

यात्रियों के लिए 4 टनल और 12 क्रॉस पैसेज होंगे

रैपिड रेल परियोजना में टनलिंग के लिए लगभग 90 मीटर लंबी सुदर्शन (टनल बोरिंग मशीन) का प्रयोग किया जा रहा है. यह सुदर्शन अंदर ही अंदर मिट्टी की कटाई कर टनल रिंग्स को इन्सटॉल करती हुई आगे बढ़ती है. इस प्रकार टनल निर्माण प्रगति करता रहता है. टीबीएम द्वारा टनल बनाने की तकनीक सबसे अत्याधुनिक तकनीकों में से एक है. 

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देश में पहली बार हो रहा इस तकनीक का प्रयोग 
भारत में किसी भी अर्बन मास ट्रांजिट परियोजना में पहली बार 6.5 मीटर व्यास की टनल का निर्माण किया जा रहा है. साथ ही, भूमिगत हिस्से में यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न सुरक्षा उपायों का भी प्रावधान किया गया है. क्रॉस पैसेज का निर्माण इसी का एक हिस्सा है. आरआरटीएस टनल में हवा का आवागमन सुनिश्चित करने के लिए वेंटिलेशन डक्ट भी निर्मित किए जा रहे हैं. साथ ही, इनमें 60 -90 सेमी चौड़ा एक साइड वॉकवे भी बनाया गया है जो रखरखाव गतिविधियों में सहायता प्रदान करने के साथ, सुरक्षा प्रावधान के रूप में भी कार्य करेगा. 

आरआरटीएस परियोजना को निर्धारित समय सीमा के अनुसार कार्यान्वित किया जा रहा है. एनसीआरटीसी निर्धारित समय से पहले ही, जल्द ही साहिबाबाद से दुहाई के बीच स्थित 17 किमी लंबे प्रायोरिटी सेक्शन का परिचालन शुरू करने जा रही है. वहीं, दिल्ली से मेरठ तक संपूर्ण कॉरिडोर पर ट्रेनों का परिचालन वर्ष 2025 में आरंभ करने का लक्ष्य है. 

 

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