
केंद्र द्वारा आंध्र प्रदेश में स्थित राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड के निजीकरण की मंजूरी ने राज्य की राजनीति का तापमान बढ़ा दिया है. केंद्र सरकार के इस फैसले का आंध्र प्रदेश में विरोध शुरू हो गया है. राज्य के मजदूर संगठनों ने केंद्र के इस फैसले का विरोध तो किया ही है, साथ ही राजनीतिक दलों ने भी केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध किया है. आंध्र प्रदेश भी केंद्र सरकार के इस फैसले से दबाव में है.
शुक्रवार को राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड के मजदूरों और वाम दलों ने निजीकरण के खिलाफ विशाल रैली निकाली. टीडीपी के महासचिव नारा लोकेश इस मुद्दे पर राज्य के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी को पत्र लिखा है और आरोप लगाया है कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर केंद्र पर दबाव बनाने में नाकाम रही. इसलिए केंद्र RINL के विनिवेश के फैसले पर आगे बढ़ी है.
टीडीपी के लोकसभा सांसद के राममोहन नायडू ने केंद्र से अपील की है कि RINL के विनिवेश के फैसले को वापस लिया जाए. इसे लेकर उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को चिट्ठी भी लिखी है.
आंध्र प्रदेश में विस्तार की राह देख रही बीजेपी भी दिल्ली के इस फैसले से दबाव में है. आंध्र प्रदेश बीजेपी के नेताओं ने इस मुद्दे पर दिल्ली में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात की है और वैकल्पिक रास्ते तलाश करने को कहा है.
वहीं विशाखापत्तनम के वाईएसआरसीपी सांसद एमवीवी सत्यनारायण ने तो यहां तक कहा है कि अगर केंद्र सरकार RINL के विनिवेश के फैसले के साथ आगे जाती है तो वे संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे.