
टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. 86 साल की उम्र में बुधवार रात (9 अक्टूबर) उनका निधन हो गया. रतन टाटा के निधन से पूरे देश में शोक का माहौल है, हर आंख नम है. रतन टाटा की गिनती सबसे सफल बिजनेसमैन की लिस्ट में की जाती है, उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में सफलता का डंका बजाया. वह भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा किए गए कामों को देश हमेशा उन्हें याद रखेगा. बता दें कि रतन टाटा ने नैनो कार लॉन्च की थी, जिसे लखटकिया कार के नाम से भी जाना जाता है. इसकी कहानी भी दिलचस्प है.
दरअसल, गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने रतन टाटा को सिर्फ एक शब्द का SMS भेजा था, इसी SMS के कारण 2008 में टाटा नैनो परियोजना को पश्चिम बंगाल से गुजरात में शिफ्ट कर दिया गया था और ये SMS था 'Welcome'.
नरेंद्र मोदी ने टाटा को ये SMS तब भेजा था, जब उद्योगपति रतन टाटा कोलकाता में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे, जिसमें तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के नेतृत्व में हिंसक विरोध के बाद पश्चिम बंगाल से टाटा नैनो प्रोजेक्ट को राज्य से बाहर करने की घोषणा की गई थी.
तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी ने सुनाया था किस्सा
तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2010 में 2000 करोड़ रुपये के इन्वेस्ट से साणंद में बने टाटा नैनो प्लांट का उद्घाटन करते हुए कहा था कि जब रतन टाटा ने कोलकाता में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वे पश्चिम बंगाल छोड़ रहे हैं, तो मैंने उन्हें 'Welcome'कहते हुए एक छोटा SMS भेजा था और अब आप देख सकते हैं कि एक रुपये का SMS क्या कर सकता है.
4 दिन में शिफ्ट हो गया था प्लांट
रतन टाटा ने 3 अक्टूबर 2008 को नैनो प्रोजेक्ट को पश्चिम बंगाल से बाहर निकालने की घोषणा की थी और कहा था कि अगले 4 दिनों के भीतर गुजरात के साणंद में प्लांट स्थापित किया जाएगा.
नैनो परियोजना को देश से बाहर नहीं जाने दिया
नरेंद्र मोदी ने तब कहा था कि कई देश नैनो परियोजना के लिए हरसंभव मदद देने के इच्छुक हैं, लेकिन गुजरात सरकार के अधिकारियों ने सुनिश्चित किया कि परियोजना भारत से बाहर न जाए. उन्होंने सरकारी मशीनरी की भी प्रशंसा करते हुए कहा था कि यह कार्यकुशलता में कॉर्पोरेट संस्कृति से मेल खा रही है और राज्य के तेजी से विकास में प्रमुख भूमिका निभा रही है.
तत्कालीन गुजरात सरकार की सराहना की थी
बता दें कि जून 2010 में साणंद में प्लांट से पहली नैनो कार के रोलआउट के समय रतन टाटा ने मोदी के नेतृत्व वाली तत्कालीन गुजरात सरकार की सराहना की थी. रतन टाटा ने कहा था कि जब हमने एक और नैनो प्लांट की तलाश की, तो हम शांति और सद्भाव की ओर बढ़ना चाहते थे. गुजरात ने हमें वह सब कुछ दिया जिसकी हमें जरूरत थी. हम समर्थन और हम पर भरोसा जताने के लिए बहुत आभारी हैं. हालांकि टाटा ने 2018 में नैनो कारों का उत्पादन बंद कर दिया था.