
भारत की 90 साल की रीना छिब्बर वर्मा 75 साल बाद पाकिस्तान में अपने पुश्तैनी घर को देखकर आ गईं हैं. दरअसल, बंटवारे के वक्त 75 साल पहले रीना वर्मा रावलपिंडी में अपने घर को छोड़कर भारत आ गई थीं. उस वक्त उनकी उम्र महज 15 साल थी. बंटवारे के बाद से कई बार उन्होंने पाकिस्तान में अपने घर जाने का प्रयास किया, लेकिन हर बार किसी न किसी कारण से उनका जाना टल गया.
इस साल मार्च में उन्होंने पाकिस्तान जाने के लिए वीजा की कोशिश की, लेकिन उनका वीजा खारिज कर दिया गया. इस बार आखिरकार उनकी घर जाने की मांग को स्वीकार कर लिया गया. 16 जुलाई को वह वाघा-अटारी सीमा के रास्ते पाकिस्तान पहुंचीं थीं.
पाकिस्तान में धूमधाम से किया गया स्वागत
रीना वर्मा ने बताया कि अब पाकिस्तान वाले घर में एक मुस्लिम परिवार रहता है. हमारे छोड़ने के बाद यह परिवार उस घर के तीसरे मालिक हैं. उन लोगों ने मेरा स्वागत बड़ी धूमधाम से किया. ढोल नगाड़े बजे. उन्होंने खुशी से मुझे गोद में उठा लिया. जितना मैं अपने घर को देखकर खुश थी, वह परिवार मेरा स्वागत करके भी उतना ही खुश थे.
बिल्कुल नहीं बदला घर का नक्शा
रीना कहती हैं कि आज भी रावलपिंडी में उनका घर वैसे का वैसा ही है. जरूरत के हिसाब से वहां रह रहे परिवार ने छोटे-मोटे बदलाव जरूर किए, लेकिन बाकी पूरा घर वैसा का वैसा है. एकदम अच्छी हालत में है.
उन्होंने कहा कि घर को देखकर बहुत खुशी हुई, लेकिन दुख भी हुआ. क्योंकि परिवार को याद कर रही थी. मेरा वहां सब लोगों ने बहुत अच्छे से ढोल के साथ स्वागत किया. वहां रह रहा परिवार मुझे आसपास के दूसरे जगहों पर ले गए. मुझे एयरपोर्ट से लेने और छोड़ने भी आए. मेरे पिता ने मुझे सिखाया था कि लोग खराब नहीं होते, हालात खराब होते हैं.
'बचपन में जिस कमरे में सोती थी, वहीं सोई'
रीना ने बताया कि आज भी वह अपना होमटाउन रावलपिंडी ही बताती हैं. सौभाग्य की बात यह थी कि उन्हें अपने पुश्तैनी घर में अपने ही कमरे में एक दिन रहने का मौका मिला.
उन्हें बहुत खुशी हुई कि वहां रहने वाले परिवार ने उस घर का नाम 'Reena's Home' यानी 'रीना का घर' रख दिया है. अपने पुराने घर के साथ-साथ रीना अपने भाई-बहनों और अपने पति के कॉलेज भी जाकर आईं. उन्होंने कहा कि वो इन सभी लम्हों को हमेशा याद रखेंगी.