
देश आज 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. गणतंत्र दिवस के मौके पर 75 विमानों ने फ्लाई पास्ट किया. ये फ्लाई पास्ट आजादी के 75 साल पूरे होने के अवसर पर किया गया. इस दौरान वायुसेना के 75 विमानों ने आसमान में करतब दिखाए. इतना ही नहीं, पहली बार विमान की कॉकपिट से तस्वीरें ली गईं, जिससे ऊपर का नजारा भी दिखाई दिया. ये फ्लाई पास्ट 60 मीटर से 300 मीटर की ऊंचाई पर हुआ.
इस फ्लाई पास्ट में राफेल, सुखोई, जैगुआर, एमआई-17, सारंग, अपाचे और डकोटा विमान शामिल हुए. इन्होंने आसमान में राहत, मेघना, एकलव्य, त्रिशूल, तिरंगा, विजय और अमृत समेत कई संरचनाओं का प्रदर्शन किया.
फ्लाई पास्ट में सबसे पहले एमआई-17 हेलीकॉप्टर आए जिन्होंने राहत संरचना का प्रदर्शन किया. एमआई-17 विमान अक्सर मानवीय सहायता में काम आते हैं. हालांकि, इसका मतलब ये नहीं है कि ये युद्ध में शामिल नहीं होते. फ्लाई पास्ट में 5 एमआई-17 हेलीकॉप्टर शामिल रहे.
एमआई-17 के बाद चिनूक हेलीकॉप्टर आए जिन्होंने मेघना फॉर्मेशन दिखाया. 1971 के युद्ध में जब मेघना नदी को पार करना था तो बी-4 हेलीकॉप्टर थे लेकिन आज चिनूक हेलीकॉप्टर हैं. 1971 की जंग में मेघना नदी को पार करना बहुत बड़ा टर्निंग प्वॉइंट था. मेघना नदी बांग्लादेश की सबसे बड़ी नदी है.
उसके बाद सारंग हेलीकॉप्टर आए जिन्होंने आसमान में तिरंगा फहराया. 5 सारंग हेलीकॉप्टर ने तिरंगा फॉर्मेशन किया. इन हेलीकॉप्टर ने आसमान में तिरंगे के रंग बिखेरे.
इसके बाद एमआई-35 और अपाचे हेलीकॉप्टर ने फ्लाई पास्ट किया. लद्दाख और पूर्व में अपाचे हेलीकॉप्टर तैनात है. इन हेलीकॉप्टर ने एकलव्य फॉर्मेशन किया.
इसके बाद टंगेल विमान आए. 1971 की लड़ाई में टंगेल विमान से 700 भारतीय जवानों को एयरड्रॉप कराया गया था. इससे भारतीय जवान ढाका के पास पहुंच गए थे. टंगेल के साथ ही डकोटा विमान भी उड़े. 1971 की जंग में डकोटा की भी अहम भूमिका रही.
वायुसेना के सी-130 विमान ने भी फ्लाई पास्ट किया. ये मालवाहक विमान है. जवानों को इधर से उधर ले जाना हो या ऑक्सीजन को कहीं पहुंचाना हो, इसमें इन विमानों की भूमिका होती है.
फ्लाई पास्ट में 5 राफेल लड़ाकू विमान भी शामिल हुए. इन्होंने विनाश फॉर्मेशन बनाई. राफेल की दो स्क्वाड्रन है. एक-एक स्क्वाड्रन पश्चिमी और उत्तरी सीमा तैनात है. तीन सुखोई विमानों ने आसमान में त्रिशूल बनाया. इसके बाद 17 जैगुआर विमान आए, जिन्होंने आसमान में 75 की आकृति बनाई.
उत्तर भारत के 8 अलग-अलग एयरबेसेस से इन विमानों ने उड़ान भरी थी. फिर ये साथ में आए. हमेशा 3-4 विमान स्टैंडबाय रहते हैं, ताकि कोई भी इमरजेंसी होने पर इस्तेमाल हो. अगर फ्लाई पास्ट के दौरान किसी विमान में कोई तकनीकी खराबी आ जाए तो तुरंत स्टैंडबाय में उड़ रहा विमान उसकी जगह ले लेता है.