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पश्चिम बंगाल में प्रदेश सरकार किसानों की आय लेकर उनके हालात को लेकर भले ही दावे करती हो, लेकिन RTI की रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. दरअसल, हाल ही में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट में में कहा गया है कि 2021 में पश्चिम बंगाल में किसी भी किसान ने आत्महत्या नहीं की है. लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से एक RTI के जवाब में जो आंकड़ों बताए गए हैं, वह NCRB की रिपोर्ट से इतर हैं.
पिछले साल पश्चिम बंगाल में कितने किसानों ने आत्महत्या की. इस सवाल को लेकर सामाजिक-कानूनी शोधकर्ता और RTI कार्यकर्ता विश्वनाथ गोस्वामी ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी थी. इसके जवाब में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आधिकारिक दस्तावेजों में कहा गया है कि 2021 में राज्य के सिर्फ पश्चिमी मेदिनीपुर जिले में 122 लोगों ने आत्महत्या की, जो कृषि क्षेत्र से जुड़े थे. इतना ही नहीं, इस जिले में 2022 में अबतक 34 किसान आत्महत्या कर चुके हैं. यह जानकारी राज्य के लोक राज्य सूचना अधिकारी और पश्चिम मेदिनीपुर जिले के पुलिस उपाधीक्षक ने RTI के तहत एक सवाल के जवाब में दी है.
आधिकारिक जवाब में कहा गया है कि पश्चिमी मेदिनीपुर जिले के घाटल थाना क्षेत्र में सबसे ज्यादा किसान और कृषि पर निर्भर लोगों ने आत्महत्याएं की हैं. वहां पिछले साल कुल 63 लोगों ने आत्महत्या की थी, कृषि पर निर्भर 13 लोगों ने इस साल अब तक आत्महत्या की है. घाटल के बाद पिछले साल गोलटोर में किसानों की आत्महत्या की संख्या बढ़कर 14 हो गई और इस साल अब तक इस क्षेत्र में 5 लोगों ने आत्महत्या की है. आनंदपुर थाना क्षेत्र में पिछले साल 10 लोगों ने आत्महत्या की थी. इस साल अब तक 2 ने आत्महत्या की है. इसी जिले के केशपुर क्षेत्र में पिछले साल कृषि पर निर्भर 8 लोगों ने आत्महत्या कर ली थी और उस क्षेत्र के 5 कृषि आश्रित लोगों ने इस साल खुदकुशी कर ली.
सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार की ओर से सभी आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो को भेजे जाते हैं.
इसके बाद विपक्ष ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है. साथ ही पूछा है कि राज्य में अकेले पश्चिमी मेदिनीपुर जिले में 122 किसानों ने आत्महत्या की है, तो NCRB की रिपोर्ट में राज्य में किसानों की आत्महत्या की संख्या को शून्य क्यों दिखाया गया है? इसे लेकर विपक्ष राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठा रहा है. विपक्ष ने सरकार से पूछा है कि क्या किसान की आत्महत्या के आंकड़े आधिकारिक रूप से दर्ज नहीं हैं, क्या किसानों के परिवार को राज्य सरकार से कोई मुआवजा मिलेगा.
वहीं आरटीआई कार्यकर्ता विश्वनाथ गोस्वामी ने इंडिया टुडे- आजतक को बताया कि पश्चिम बंगाल में अपराध ठीक से दर्ज नहीं हो रहे हैं, यह घटना दर्शाती है कि रजिस्टर्ड क्राइम के डाटा हेराफेरी संभव है. किसान आत्महत्या एक है बहुत बड़ा मुद्दा है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि अगर कोई मोबाइल फोन चोरी हो जाता है, तो भी पुलिस उसे गुम होने की रिपोर्ट करने के लिए मजबूर करती है. जबिक साइबर क्राइम के 25-30 प्रतिशत से अधिक मामलों को FIR में परिवर्तित नहीं किया जाता है. (रिपोर्ट- राजेश साहा)
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