Advertisement

डीजल की बढ़ती कीमतों ने तोड़ी ट्रांसपोर्टरों की कमर, सरकार से मांगा राहत पैकेज

ट्रांसपोर्टरों ने सरकार से मांग की है कि रोजना पेट्रोल और डीजल के दामों में फेरबदल करने की जगह मासिक या त्रैमासिक बदलाव प्रणाली लागू करनी चाहिए और कर विभाग एवं परिवहन विभागों द्वारा हो रहे भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए आवश्यक कदम भी उठाये जाने चाहिए.

मई में कीमतें 15 बार से ज्यादा बार बढ़ चुकी हैं मई में कीमतें 15 बार से ज्यादा बार बढ़ चुकी हैं
आशुतोष मिश्रा/राम किंकर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 02 जून 2021,
  • अपडेटेड 9:24 PM IST
  • मासिक या त्रैमासिक बदलाव प्रणाली लागू करने की मांग
  • डीजल की कीमत एक बार फिर आसमान छूने लगी

5 राज्यों में विधानसभा चुनाव खत्म होते ही पेट्रोल और डीजल की कीमतें एक बार फिर आसमान छूने लगी हैं. अकेले मई में कीमतें 15 बार से ज्यादा बार बढ़ चुकी हैं. पेट्रोल की कीमतें जहां आम आदमी की जेब जला रही हैं वहीं डीजल की बढ़ती कीमतें अप्रत्यक्ष रूप से घर का बजट बिगाड़ रही हैं, लेकिन उससे भी ज्यादा डीजल की कीमतों में लगी आग ट्रांसपोर्टरों की कमर तोड़ रही है. 

Advertisement

चाहे सब्जी हो या अनाज, घर की जरूरत की चीजें हो या बड़े औद्योगिक इकाइयों का सामान, बड़े स्तर पर परिवहन डीजल  ट्रकों से होता है और ऐसे में डीजल की बढ़ती कीमतें सीधे-सीधे खर्च बढ़ा रही हैं. घटती कमाई और बढ़ती महंगाई के चलते ट्रांसपोर्टरों ने सरकार से राहत पैकेज की मांग की है. दिल्ली गुड्स ट्रांसपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन ने सरकार से राहत पैकेज के अलावा कई तरह की छूट की मांग की है. 

दिल्ली गुड्स एंड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर का कहना है, "पेट्रोल और डीजल के दामों में वृद्धि रूक नहीं पा रही है, ट्रकों के मालिक ऋण की किस्त भी नहीं चुका पा रहे हैं. पिछले साल मई 2020 से लेकर 2021 में लगभग डीजल के दामों में ₹26.04 की वृद्धि हो चुकी है जिसके चलते लागत 30% अधिक हो गई है, लेकिन भाड़ा पहले से भी कम हो गया है. हमारी सरकार से पुरजोर मांग है कि एक्साइज ड्यूटी और केंद्र व राज्यों के करों (वैट) में कमी की जाए."

Advertisement

ट्रांसपोर्टरों ने सरकार से मांग की है कि रोजना पेट्रोल और डीजल के दामों में फेरबदल करने की जगह मासिक या त्रैमासिक बदलाव प्रणाली लागू करनी चाहिए और कर विभाग एवं परिवहन विभागों द्वारा हो रहे भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए आवश्यक कदम भी उठाये जाने चाहिए.
 
एसोसिएशन के मुताबिक, कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों को बुरी तरह से प्रभावित किया है जिसके चलते सिर्फ 30-40% ही व्यवसायिक वाहनों को काम मिल पा रहा है. साथ ही चक्रवाती तूफ़ान आने की वजह से जो नुकसान हुआ है उसका आंकलन अभी हो नहीं सका है, लेकिन संक्रमण के चलते व्यवसाय को और अधिक नुकसान झेलना पड़ रहा है. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement