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रेवड़ी कल्चर पर सियासत तेज, अब जयंत चौधरी ने CJI को लेकर पूछा ये सवाल

सुप्रीम कोर्ट में फ्रीबीज के खिलाफ याचिका दायर की गई है. यानी चुनाव से पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए 'मुफ्त' का वादा करने वाले राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा था कि चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा उपहार का वादा और उसे बांटना एक गंभीर मुद्दा है.

आरएलडी चीफ जयंत चौधरी आरएलडी चीफ जयंत चौधरी
aajtak.in
  • लखनऊ,
  • 12 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 9:29 AM IST

सुप्रीम कोर्ट में 'रेवड़ी कल्चर' यानी फ्री योजनाओं पर रोक की मांग को लेकर सुनवाई चल रही है. इसी बीच आरएलडी चीफ जयंत चौधरी ने सीजेआई पर ही सवाल खड़े किए हैं. जयंत चौधरी ने ट्वीट कर पूछा है कि भारत के माननीय चीफ जस्टिस को कौन-कौन सी 'फ्रीबीज' मिलती हैं.

जयंत चौधरी ने इस मामले में एक के बाद एक कर कई ट्वीट किए. उन्होंने एक ट्वीट में पूछा, ''प्रधानमंत्री जी को बताना चाहिए क्या अग्निपथ भी रेवड़ी नहीं है?''

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What are the ‘freebies’ provided to the Honourable Chief Justice of India? #RevdiCulture

— Jayant Singh (@jayantrld) August 11, 2022

क्या है मामला?

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में फ्रीबीज के खिलाफ याचिका दायर की गई है. यानी चुनाव से पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए 'मुफ्त' का वादा करने वाले राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा था कि चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा उपहार का वादा और उसे बांटना एक गंभीर मुद्दा है. इससे अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है. इससे पहले पीएम मोदी भी रेवड़ा कल्चर को लेकर विपक्षी दलों पर निशाना साध चुके हैं. 

हमने सभी वादे घोषणापत्र में शामिल किए- जयंत चौधरी

अब इस मामले में जयंत चौधरी ने सवाल उठाए हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा, सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने सीजेआई को बताया कि चुनाव के दौरान किए गए ज्यादातर वादों को घोषणापत्र का हिस्सा नहीं बनाया जाता. यह बीजेपी के लिए सही हो सकता है, लेकिन हमारे लिए नहीं है. विधानसभा चुनाव में रैलियों के दौरान किए गए सभी वादों को हमने घोषणा पत्र में शामिल किया था. 

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राज्यसभा सांसद जयंत चौधरी ने कहा, जब पार्टियां घोषणापत्र घोषित किए बिना चुनाव प्रचार शुरू करती हैं, तभी ये समस्याएं पैदा होती हैं. हमने विशेषज्ञ और सार्वजनिक प्रतिक्रिया पर आधारित एक घोषणापत्र, समय पर घोषित किया था, ताकि मतदाता प्रमुख मुद्दों को समझ सकें. वादे लोकतांत्रिक मतदान प्रक्रिया की पवित्रता बनाए रखने के लिए अभिन्न हैं!

चौधरी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी काफी साहसिक लगती है लेकिन सही भावना में नहीं है! समाज के निचले हिस्से को सीधे हस्तक्षेप की आवश्यकता है चाहे वह राशन में हो या वित्तीय सहायता के माध्यम से. यह जीवन के अधिकार सहित मौलिक अधिकारों के संरक्षण से संबंधित है!. 
 


 

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