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'भाषा, जाति और क्षेत्रीयता में न बंटे, अपनी सुरक्षा के लिए हों एकजुट', RSS प्रमुख मोहन भागवत की हिंदुओं से अपील

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है. हम यहां अनादि काल से निवास कर रहे हैं. भले ही हिंदू उपनाम बाद में उभरा. हिंदू शब्द का प्रयोग भारत में रहने वाले सभी संप्रदायों के लिए किया जाता रहा है. हिंदू सभी को अपना मानते हैं और सभी को गले लगाते हैं.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत. (PTI Photo) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत. (PTI Photo)
राम प्रसाद मेहता
  • बारां,
  • 06 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 1:18 PM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शनिवार को बारां के धान मंडी मैदान में आयोजित स्वयंसेवक एकत्रीकरण कार्यक्रम में 3,500 से अधिक स्वयंसेवकों को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत की वैश्विक ख्याति और प्रतिष्ठा उसके एक मजबूत राष्ट्र होने के कारण है. उन्होंने कहा कि किसी देश के प्रवासियों की सुरक्षा की गारंटी तभी होती है, जब उनकी मातृभूमि शक्तिशाली हो; अन्यथा एक कमजोर राष्ट्र के प्रवासियों को प्रस्थान करने का आदेश दिया जाता है.

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मोहन भागवत ने कार्यक्रम में आए स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है. उन्होंने कहा, 'हम यहां अनादि काल से निवास कर रहे हैं. भले ही हिंदू उपनाम बाद में उभरा. हिंदू शब्द का प्रयोग भारत में रहने वाले सभी संप्रदायों के लिए किया जाता रहा है. हिंदू सभी को अपना मानते हैं और सभी को गले लगाते हैं. हिंदू कहते हैं कि हम और आप दोनों अपनी-अपनी जगह सही हैं. हिंदू सतत संवाद के माध्यम से सामंजस्यपूर्ण रूप से सह-अस्तित्व में विश्वास करते हैं.'

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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इस बात पर जोर दिया कि हिंदू समाज को भाषा, जाति और क्षेत्रीय असमानताओं और संघर्षों को खत्म करके अपनी सुरक्षा के लिए एकजुट होना होगा. उन्होंने आह्वान किया कि ऐसे समाज का निर्माण होना चाहिए जहां संगठन, सद्भावना और परस्पर श्रद्धा व्याप्त हो. लोगों के आचरण में अनुशासन, राज्य के प्रति दायित्व और उद्देश्यों के प्रति समर्पण हो. उन्होंने कहा कि समाज का गठन केवल व्यक्तियों और उनके परिवारों से नहीं होता; समाज की व्यापक चिंताओं पर विचार करके कोई भी व्यक्ति आध्यात्मिक संतुष्टि प्राप्त कर सकता है.

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उन्होंने स्पष्ट किया कि आरएसएस का कार्य यांत्रिक नहीं बल्कि विचार आधारित है. मोहन भागवत ने कहा कि समाज निर्माण के लिए आरएसएस के बराबर का प्रयास करने वाला दुनिया में और दूसरा कोई संगठन नहीं है. उन्होंने कहा कि जैसे समुद्र अद्वितीय है, वैसे ही आकाश भी अद्वितीय है, और उसी तरह आरएसएस भी अतुलनीय है. आरएसएस के मूल्य पहले संगठन के नेताओं तक पहुंचते हैं, उनसे स्वयंसेवकों तक और स्वयंसेवकों से परिवारों तक पहुंचते हैं, और अंततः समाज को आकार देते हैं. आरएसएस में व्यक्तित्व निर्माण की यही प्रक्रिया है.

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मोहन भागवत ने आरएसएस स्वयंसेवकों से समुदायों के भीतर व्यापक संपर्क बनाए रखने की अपील की. उन्होंने कहा कि समाज को सशक्त बनाकर सामुदायिक कमियों को दूर करने का प्रयास किया जाना चाहिए. सामाजिक समरसता, न्याय, स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वावलंबन पर जोर होना चाहिए. स्वयंसेवकों को अपने कार्यों में तत्पर रहना चाहिए. भागवत ने कहा कि आरएसएस के स्वयंसेवक परिवारों के भीतर सद्भाव, पर्यावरण चेतना, पारिवारिक शिक्षा, स्वदेशी मूल्यों और नागरिक जागरूकता को बढ़ावा दे सकते हैं, जो समाज की मूलभूत इकाइयां हैं. उन्होंने कहा कि छोटी-छोटी प्रथाओं को दैनिक जीवन में शामिल करके समाज और राष्ट्र की उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा सकता है.

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