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'तालिबान से सावधान, जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून जरूरी', संघ प्रमुख मोहन भागवत की दो टूक

विजयादशमी पर शस्त्र पूजन के मौके पर भागवत ने डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और माधव सदाशिव गोलवलकर को भी पुष्पांजलि अर्पित की. इस दौरान मोहन भागवत ने इस दौरान जनसंख्या नियंत्रण, विभाजन, ओटीटी प्लेटफॉर्म समेत कई मुद्दों पर अपनी बात रखी.

संघ प्रमुख मोहन भागवत. (फोटो-ट्विटर) संघ प्रमुख मोहन भागवत. (फोटो-ट्विटर)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 11:21 AM IST
  • ओटीटी प्लेटफॉर्म पर हो नियंत्रण
  • स्वाधीनता रातों रात नहीं मिली- भागवत
  • अखंडता को वापस लाने के लिए जानना होगा इतिहास- भागवत

विजयादशमी के मौके पर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने शस्त्र पूजन किया. नागपुर में आरएसएस मुख्यालय पर मौजूद भागवत ने इस दौरान स्वंयसेवकों को संबोधित किया. शस्त्र पूजन के मौके पर भागवत ने डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और माधव सदाशिव गोलवलकर को भी पुष्पांजलि अर्पित की. इस दौरान मोहन भागवत ने इस दौरान जनसंख्या नियंत्रण, विभाजन, ओटीटी प्लेटफॉर्म समेत कई मुद्दों पर अपनी बात रखी.

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जनसंख्या नीति का समर्थन

मोहन भागवत ने कहा जनसंख्या नीति पर एक बार फिर से विचार किया जाना चाहिए. 50 साल आगे तक का विचार कर नीति बनानी चाहिए और उस नीति को सभी पर समान रूप से लागू करना चाहिए. जनसंख्या का असंतुलन देश और दुनिया में एक समस्या बन रही है.

संघ प्रमुख ने कहा कि देश में उपलब्ध संसाधनों, भविष्य की आवश्यकताओं एवं जनसांख्किीय असंतलुन की समस्या को ध्यान में रखते हुए दशे की जनसंख्या नीति का पुनर्निर्धारण कर उसे सब पर समान रूप से लागू किया जाए. 

मोहन भागवत ने कहा कि सीमा पार से हो रही अवैध घसुपैठ पर अंकुश लगाया जाए. राष्ट्रीय नागरिक पंजिका (National Register of Citizens) का निर्माण कर इन घुसपैठियों को नागरिकता के अधिकार तथा भूमि खरीद के अधिकार से वंचित किया जाए. 
 

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स्वाधीनता रातों रात नहीं मिली

मोहन भागवत ने कहा कि यह साल हमारी स्वाधीनता का 75वां वर्ष है. 15अगस्त 1947 को हम स्वाधीन हुए. हमने अपने देश के सूत्र देश को आगे चलाने के लिए स्वयं के हाथों में लिए. स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर हमारी यात्रा का वो प्रारंभ बिंदु था. हमें यह स्वाधीनता रातों रात नहीं मिली है. संघ प्रमुख ने कहा कि स्वतंत्र भारत का चित्र कैसा हो इसकी भारत की परंपरा के अनुसार समान सी कल्पनाएं मन में लेकर, देश के सभी क्षेत्रों से सभी जातिवर्गों से निकले वीरों ने तपस्या त्याग और बलिदान के हिमालय खड़े किये हैं.

अखंडता को वापस लाने के लिए जानना होगा इतिहास

संघ प्रमुख ने कहा जिस शत्रुता और अलगाव के कारण विभाजन हुआ उसकी पुनरावृत्ति नहीं करनी है. पुनरावृत्ति टालने के लिए, खोई हुई हमारे अखंडता और एकात्मता को वापस लाने के लिए उस इतिहास को सबको जानना चाहिए. खासकर नई पीढ़ी को जानना चाहिए. खोया हुआ वापस आ सके, खोए हुए बिछड़े हुए को वापस गले लगा सकें. उन्होंने कहा अपने मत, पंथ, जाति, भाषा, प्रान्त आदि छोटी पहचानों के संकुचित अहंकार को हमें भूलना होगा.

ओटीटी प्लेटफॉर्म, ड्रग्स पर चिंता

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि, 'ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जो दिखाया जाता है, उस पर कोई नियंत्रण नहीं है. कोरोना के बाद बच्चों के पास भी फोन हैं. नशीले पदार्थों का प्रयोग बढ़ रहा है...इसे कैसे रोकें? ऐसे कारोबारों के पैसे का इस्तेमाल राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में किया जाता है. इन सब पर नियंत्रण होना चाहिए.

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तालिबान पर भी बोले मोहन भागवत

संघ प्रमुख  मोहन भागवत ने कहा कि तालिबान का चरित्र कैसा है हम सब जानते हैं. उसकी दो प्रकार की बातें हो रही हैं. कभी कहता है कि अच्छे रहेंगे, कभी कहता है पहले जैसे हैं. इसका एक स्पष्ट संकेत है कि उनसे सावधान रहना चाहिए और तो और उस समय उसका समर्थन करने वाले, रूस भी था तुर्कस्तान भी था. चीन और पाकिस्तान तो आज भी समर्थन कर रहे हैं. अब तालिबान बदला भी होगा, पाकिस्तान बदला है क्या? ऐसा बिल्कुल नहीं है. चीन का इरादा भारत के बारे में बदला है क्या? उन्होंने कहा कि बातचीत से मसला हल हो सकता है. यह सब बातें मानते हुए अपनी सावधानी और अपनी तैयारियों को पूर्ण रखना चाहिए.

#WATCH | "...We know Taliban's history...China and Pakistan support it to this day...Even if the Taliban changed, Pakistan didn't... Has China's intentions towards India changed.?... Our border security needs to be strengthened...," says RSS chief Mohan Bhagwat pic.twitter.com/zkRSlMF99L

— ANI (@ANI) October 15, 2021

 

गुरु तेग बहादुर को किया याद

 मोहन भागवत ने कहा कि इस वर्ष श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज का 400वां प्रकाश पर्व है. वह धार्मिक कट्टरता के खिलाफ खड़े होकर शहीद हो गए थे, जो कट्टरता तब भारत में बहुत प्रचलित थी. उन्हें "हिंद की चादर" या "हिंद की ढाल" की उपाधि से सराहा गया. इसके अलावा उन्होंने कहा कि  संत ज्ञानेश्वर महाराज जी ने अपने पसायदान(मराठी साहित्य) के माध्यम से और सदियों बाद गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर ने अपनी प्रसिद्ध कविता व्हेयर द माइंड इज विदाउट फियर (Where the Mind is without fear) में स्वयं के मुक्त जीवन की हमारी अवधारणा के बारे में बात की.

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संगठित हिंदू  समाज

हमारे देश के इतिहास में यदि कुछ परस्पर कलह, अन्याय, हिंसा की घटनाएं घटी हैं, लंबे समय से कोई अलगाव, अविश्वास,  विषमता अथवा विद्वेष पनपता रहा हो, अथवा वर्तमान में भी कुछ ऐसा घटो हो तो उसके कारणों को समझकर उनका निवारण करते हुए फिर से वैसी घटना ना घटे, परस्पर विद्वेष, अलगाव दूर हों तथा समाज जुड़ा रहे ऐसी  वाणी व कृति होनी चाहिए.

 

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