
यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लेकर एक बार फिर से बहस शुरू हो गई है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संयुक्त महासचिव दत्तात्रेय होसाबले ने रविवार को कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर सार्वजनिक बहस होनी चाहिए ताकि लोगों को इसके बारे में अवगत कराया जा सके. साथ ही यह भी कहा कि सरकार को यह तय करना है कि इससे जुड़ा बिल लाने का यह सही समय है या नहीं.
आरएसएस के स्थापना दिवस पर थिंक टैंक इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम में बोलते हुए होसबाले ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का उल्लेख राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के तहत संविधान में किया गया है. हालांकि, संविधना निर्माताओं द्वारा इसके कार्यान्वयन के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है.
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि यह सरकार को तय करना है कि वह यूसीसी बिल लाने का यह अच्छा समय है या नहीं. लेकिन हमें पहले इसके बारे में लोगों को शिक्षित करना होगा. होसाबले ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसके पूर्ववर्ती जनसंघ दोनों की समान नागरिक संहिता (UCC) की मांग रही है.
लोगों को इस मुद्दे के बारे में शिक्षित करना महत्वपूर्ण है, उन्होंने कहा कि इसके बारे में एक उचित सार्वजनिक बहस होनी चाहिए क्योंकि इससे कई धारणाओं को स्पष्ट करने में मदद मिलती है. उन्होंने इस दौरान जम्मू-कश्मीर का जिक्र किया जहां पिछले साल अगस्त में इस राज्य का विशेष दर्जा खत्म कर दिया गया था. उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को यह पता ही नहीं था कि अनुच्छेद 370 या अनुच्छेद 35 ए क्या था. लोगों को शिक्षित करना महत्वपूर्ण है.
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नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का उदाहरण देते हुए, जिसको लेकर देश के कई हिस्सों में लोगों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया था, आरएसएस नेता ने कहा कि यह किसी भी वर्ग के खिलाफ नहीं था, लेकिन कुछ लोगों द्वारा इसके बारे में गलत बताया गया.
उन्होंने सोशल मीडिया पर अभद्र भाषा के इस्तेमाल को भी गलत बताया. आरएसएस के नेता ने कहा कि सोशल मीडिया ने लोगों को बिना किसी लोकपाल या सेंसरशिप वाले उपकरण दिए हैं, इसलिए परिपक्व लोगों को इस संबंध में एक आंदोलन का नेतृत्व करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग की निंदा की जानी चाहिए, विशेष रूप से इन प्लेटफार्मों पर महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक भाषा का उपयोग बंद किया जाना चाहिए.
सार्वजनिक मंचों पर स्वस्थ बहस पर जोर देते हुए, आरएसएस नेता दत्तात्रेय होसाबले ने कहा कि भले ही कोई मेरे विचारों से सहमत नहीं हो, लेकिन वह मेरा दुश्मन नहीं है.