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'महाराष्ट्र में NCP के साथ अलायंस क्यों, यही तो हर कोई पूछ रहा', बोले RSS नेता रतन शारदा

अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के साथ गठबंधन और महाराष्ट्र की राजनीति पर बोलते हुए शारदा ने अपने लेख में कहा था, ‘यह अनावश्यक राजनीति और टाले जा सकने वाले जोड़-तोड़ का बेहतरीन उदाहरण.’

अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस (फाइल फोटो) अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस (फाइल फोटो)
साहिल जोशी
  • नई दिल्ली,
  • 14 जून 2024,
  • अपडेटेड 4:35 PM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नेता रतन शारदा, ने आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर (Organiser) में एक आर्टिकल लिखा है. उन्होंने गुरुवार को कहा कि सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने उनके आर्टिकल की तारीफ की है. रतन शारदा ने इंडिया टुडे से कहा, "बीजेपी और आरएसएस के कई नेताओं ने मुझे संदेश भेजा है. वे मेरे लिखे से सहमत हैं. इससे पता चलता है कि दोनों के बीच एक अंतर है. बीजेपी, सुधार करने और वापसी करने के लिए जानी जाती है. मैंने यह आर्टिकल सकारात्मक नजरिए के साथ लिखा है."

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अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के साथ गठबंधन और महाराष्ट्र की राजनीति पर बोलते हुए शारदा ने अपने लेख में कहा था, ‘यह अनावश्यक राजनीति और टाले जा सकने वाले जोड़-तोड़ का बेहतरीन उदाहरण.’

जब उनसे पूछा गया कि एनसीपी के साथ यह गठबंधन क्यों हुआ तो शारदा ने कहा, “यही तो आम लोग सड़क पर पूछ रहे हैं. महाराष्ट्र में सरकार सुरक्षित थी, फिर क्यों? अजित पवार एक अच्छे नेता हैं, लेकिन वोट ट्रांसफर नहीं हुए,”

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'हिमाचल की हार के बाद भी नए लोगों को टिकट दिया'

अपने आर्टिकल में शारदा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के अनुभव के बाद भी नए लोगों को टिकट दिए गए. अपने आर्टिकल ने उन्होंने लिखा, 'पीएम मोदी सभी 543 सीटों पर लड़ रहे हैं... यह विचार भी सीमित महत्व का है. यह विचार तब नुकसानदायक हो गया जब उम्मीदवार बदले गए और स्थानीय नेताओं के बदले थोपे गए और दलबदलुओं को अधिक महत्व दिया गया.' 

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उन्होंने लिखा, 'देर से आने वालों को जगह देने के लिए अच्छा प्रदर्शन करने वाले सांसदों की बलि चढ़ाना दुखद है. अनुमान है कि लगभग 25 प्रतिशत उम्मीदवार मौसमी प्रवासी थे. ऐसा पिछले हिमाचल प्रदेश चुनावों में 30 प्रतिशत विद्रोहियों के चौंकाने वाले अनुभव के बावजूद हुआ, जिसके परिणामस्वरूप बीजेपी की हार हुई थी. स्थानीय मुद्दे और उम्मीदवार का ट्रैक रिकॉर्ड मायने रखता है.'

शारदा ने अपने इंटरव्यू में कहा, 'मौसमी प्रवासी 25% (110) सीटों पर चुनाव लड़े, जिनमें से 69 सीटें वे हार गए. उन्हें किसने हराया? लोगों ने उन्हें हराया. इसलिए उम्मीदवार का ट्रैक रिकॉर्ड और स्थानीय मुद्दे भी महत्वपूर्ण हैं.'

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