
Sahitya Aajtak Lucknow: योग गुरु स्वामी रामदेव ने साहित्य आजतक के मंच से कहा कि अगर वो देश की जगह व्यापार की सोचते तो बिजनेसमैन एलॉन मस्क से ज्यादा अमीर होते. बाबा रामदेव ने कहा कि जो ज्ञान मुझे वेदों, पुराणों, रामायण, महाभारत, भगवद्गीता और पूर्वजों से मिला है, उसमें जो अनुसंधान किया और उसे जमीन पर उतारा. अगर इस इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी को पेटेंट कराता तो मैं एलॉन मस्क से ज्यादा अमीर होता.
बाबा रामदेव ने अपने पुराने बयान का जिक्र करते हुए कहा कि मैंने एक बार कहा था कि स्वामी रामदेव का टाइम टाटा बिडला, अडानी, जुकरबर्ग, एलॉन मस्क, बारेन बफेट और बिल गेट्स से ज्यादा महत्वपूर्ण है. वो अपने लिए जीते हैं, लेकिन संन्यासी सबके लिए जीता है. इसलिए उसका समय, ऊर्जा और ज्ञान वो सबके कल्याण के लिए होता है.
...तो मैं एलॉन मस्क से ज्यादा अमीर होता: योगगुरु
एलॉन मस्क का जिक्र करते हुए योगगुरु ने कहा कि उसने कहा कि ऐसी कार बना दूंगा, आसमान में तुम्हारे लिए जगह आरक्षित कर दूंगा, वो टेक्नोलॉजी की बात करता है, लेकिन जो हमारे पास वेदों, पुराणों, धार्मिक पुस्तकों और पूर्वजों का ज्ञान है, उसमें जो रिसर्च की, उसको भुनाता तो एलॉन मस्क से ज्यादा अमीर स्वामी रामदेव होता, लेकिन हमने विश्व कल्याण के लिए वो ज्ञान दिया.
गंभीर बीमारी वाले मरीजों को ठीक किया: स्वामी रामदेव
बाबा रामदेव ने इसके दावा किया कि हमने कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों को आयुर्वेद के जरिए ठीक कर दिखाया. उन्होंने कहा कि मेडिकल माफिया एक तरफ, दूसरे पॉलिटिकल माफिया, रिलीजियस माफिया, इंटलैक्चुअल माफिया, मैंने कभी मीडिया माफिया नहीं कहा, लेकिन चारों ओर माफियागीरी चल रही है, हम सबके लिए लड़ते हैं. पूरा मेडिकल सिस्टम नहीं कर पाया, लेकिन हमने डंके की चोट पर करके दिखाया. शुगर के मरीज ठीक नहीं हो सकते हैं, हमने ऐसा करके दिखाया. 100-200 यूनिट इंसुलिन लेने वाले को छुड़वाया. हमने बीपी, थॉयराइड, लीवर, किडनी ट्रांसप्लांट से बचाया. हमने कैंसर को एक-दो महीने में ठीक करके दिखाया. पूरी दुनिया योग-आयुर्वेद और सनातन को फॉलो करेगी. जीवन जीने का कोई और दूसरा तरीका नहीं है.
साहित्य के साथ हुई छेड़छाड़: रामदेव
इससे पहले स्वामी रामदेव ने कहा कि साहित्य के साथ छेड़छाड़ हुई है. इतिहास की पुनर्लेखन की न सही, लेकिन पुनर्व्याख्या की जरूरत है. जिस तरह से भारत का गौरवशाली अतीत रहा है. इसमें हमने कुछ संघर्ष झेले हैं. उन्होंने कहा कि हम 200 साल से पढ़ते आ रहे हैं कि भारत 1000 साल तक गुलाम रहा, भारत गुलाम नहीं, संघर्षरत रहा. हमने कभी मुगलों या अंग्रेजों की पराधीनता स्वीकार नहीं की.