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सलमान रुश्दी की जिस किताब पर राजीव गांधी सरकार ने लगाया था बैन, 36 साल बाद उसकी भारत में बिक्री शुरू

बुक के प्रकाशन के बाद ये विवादों में घिर गई थी, ईरानी नेता रूहोल्लाह खुमैनी ने सलमान रुश्दी और उनके प्रकाशकों के खिलाफ फतवा जारी कर दिया था. रुश्दी को अपने जीवन का अधिकांश समय छिपकर बिताना पड़ा, जुलाई 1991 में उनके जापानी अनुवादक हितोशी इगाराशी की हत्या कर दी गई थी. इतना ही नहीं 12 अगस्त 2022 को न्यूयॉर्क में एक व्याख्यान के दौरान सलमान रुश्दी पर लेबनानी-अमेरिकी शख्स ने चाकू से हमला कर दिया, इस हमले में सलमान रुश्दी की एक आंख की रोशनी चली गई.

सलमान रुश्दी (फाइल फोटो) सलमान रुश्दी (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:09 PM IST

ब्रिटिश-भारतीय उपन्यासकार सलमान रुश्दी की विवादास्पद पुस्तक 'द सैटेनिक वर्सेज' 36 साल के लंबे प्रतिबंध के बाद भारत में चुपचाप लौट आई है. इस किताब को तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने 1988 में बैन किया था. इस बुक के पब्लिश होने के बाद दुनियाभर में हंगामा हुआ था. किताब के लेखक और कॉन्टेन्ट का जमकर विरोध हुआ था. अब ये किताब दिल्ली में बिक रही है.

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बुकस्टोर की मालिक रजनी मल्होत्रा ​​ने बताया कि हमें ये पुस्तक कुछ दिन पहले मिली है, और अब तक की प्रतिक्रिया बहुत सकारात्मक रही है. इसकी बिक्री भी अच्छी हो रही है. बुकसेलर ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि सलमान रुश्दी की 'द सैटेनिक वर्सेज' अब हमारे पास उपलब्ध है, यह उपन्यास अपनी कल्पनाशील कहानी और बोल्ड विषयों के साथ दशकों से पाठकों को आकर्षित कर रहा है. 

पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया की प्रधान संपादक मानसी सुब्रमण्यम ने भी इस किताब की उपलब्धता को लेकर पोस्ट किया, उन्होंने रुश्दी को टैग करते हुए लिखा कि 36 साल के प्रतिबंध के बाद 'द सैटेनिक वर्सेज' को भारत में बेचने की अनुमति मिल गई है.

बता दें कि नवंबर 2022 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस किताब के आयात पर लगाए गए बैन को चुनौती देने वाली याचिका पर कार्यवाही बंद कर दी. कोर्ट ने कहा कि अधिकारी अधिसूचना प्रस्तुत करने में विफल रहे हैं, इसलिए यह मान लिया जाना चाहिए कि यह मौजूद ही नहीं है. ये आदेश तब आया जब सरकारी अधिकारी 5 अक्टूबर 1988 की अधिसूचना प्रस्तुत करने में विफल रहे, जिसमें पुस्तक के आयात पर प्रतिबंध लगाया गया था. 

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बुक के प्रकाशन के बाद ये विवादों में घिर गई थी, ईरानी नेता रूहोल्लाह खुमैनी ने सलमान रुश्दी और उनके प्रकाशकों के खिलाफ फतवा जारी कर दिया था. रुश्दी को अपने जीवन का अधिकांश समय छिपकर बिताना पड़ा, जुलाई 1991 में उनके जापानी अनुवादक हितोशी इगाराशी की हत्या कर दी गई थी. इतना ही नहीं 12 अगस्त 2022 को न्यूयॉर्क में एक व्याख्यान के दौरान सलमान रुश्दी पर लेबनानी-अमेरिकी शख्स ने चाकू से हमला कर दिया, इस हमले में सलमान रुश्दी की एक आंख की रोशनी चली गई.

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